फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी का त्यौहार मनाया जाता है. मान्यता है कि भगवान श्री राम ने रावण के साथ युद्ध करने से पहले अपनी पूरी वानर सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत रखे थे और इस दौरान भगवान श्री राम लंका पर विजय हासिल किए. कहा जाता है कि विजया एकादशी का व्रत करने से साधक को वाजपेय यज्ञ के सामान फल की प्राप्ति होती है और साथ ही साथ भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
विजया एकादशी के दिन जगत के पालन हार भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है तथा एकादशी का व्रत करने से हमें अपने कामों में विजय अर्थात् सफलता की प्राप्ति होती है और साथ ही साथ विजया एकादशी का व्रत करने से मनुष्यों के जीवन में संपन्नता बनी रहती है.
विजया एकादशी की तिथि एवं शुभ मुहूर्त (Vijaya Ekadashi Vrat)
साल 2025 में विजया एकादशी का व्रत 24 फरवरी दिन सोमवार को रखा जाएगा तथा 2025 में विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त 23 फरवरी को दोपहर 01 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 24 फरवरी को दोपहर 01 बजकर 44 मिनट पर होगी, इस तरह 24 फरवरी को ही विजया एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
विजया एकादशी पूजन विधि:
- विजया एकादशी के शुभ अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है तथा इस दिन व्रत का संकल्प लेते हुए भगवान विष्णु की पूजा शुरू करे.
- विजया एकादशी व्रत के दौरान सुबह जल्दी उठ कर नहा धो कर साफ तथा स्वच्छ कपडे धारण करे.
- उसके बाद एक लकड़ी की चौकी में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करे. अब भगवान विष्णु को रोली तथा चन्दन अर्पित करे उसके बाद पांच फल, फूल, तुलसी पत्ता था मिष्ठान का भोग लगाए. भगवान विष्णु को तुलसी अत्याधिक प्रिय है इसलिए विजया एकादशी व्रत में तुलसी को अपने पूजन में जरुर शामिल करे.
- उसके बाद भगवान विष्णु को धुप तथा अगरबत्ती दिखाते हुए, कपूर से आरती करे
- अंत में विष्णु चालीसा पाठ जरुर करे और साथ ही साथ विजया एकादशी व्रत कथा जरुर सुने.

विजया एकादशी व्रत पारण कब है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार विजया एकादशी व्रत का पारण समय 25 तारीख यानी मंगलवार को सुबह 06 बजकर 51 मिनट से लेकर 09 बजकर 10 मिनट तक रहेगा तथा इस दौरान आप व्रत का पारण कर सकते है.
विजया एकादशी का महत्व:
हिन्दू धर्म में विजया एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से हमें मोक्ष की प्राप्ति होती है और साथ ही साथ हमें अपने कामों में सफलता मिलती है तथा विजया एकादशी के दिन दान पुण्य करने से हमारे घरों में सुख समृद्धि और धन वैभव की प्राप्ति होती है.
विजया एकादशी से जुड़ी व्रत कथा: (Vijaya Ekadashi Vrat Katha 2025)
पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम के वनवास काल के दौरान लंकापति रावण ने माँ सीता को हरण कर लंका ले गए थे. माता सीता के हरण के पश्चात रावण से युद्ध करने के लिए भगवान राम अपनी बानर सेना को साथ लेकर आगे की ओर प्रस्थान कर रहे थे, तो लंका से पहले भगवान राम का विशाल समुद्र ने रास्ता रोक लिया.
तथा इस समुद्र में कई खतरनाक समुद्री जीव है जो भगवान राम तथा वानर सेना को हानि पहुंचा सकता. तो इस तरह भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण से इसका उपाय मांगा, लेकिन लक्ष्मण के पास भी इसका उपाय नहीं था तभी लक्ष्मण को वकदालभ्य ऋषि के बारे में पता चलता है तो लक्ष्मण अपने भाई भगवान श्री राम को ऋषि के पास ले जाते है. भगवान श्री राम ऋषि को प्रणाम किए और अपनी समस्या का साधान वकदालभ्य ऋषि से कहे.
तब ऋषि मुनि ने भगवान श्री राम को यह बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आप(भगवान श्री राम) और अपनी समस्त वानर सेना के साथ इस दिन उपवास रखे, तभी आप इस विशाल समुद्र को पार करने में सफल होगे और साथ ही साथ विजया एकादशी का व्रत करने से आप लंका पर भी विजय प्राप्त कर पाएंगे.
इस तरह भगवान श्री राम अपनी पूरी वानर सेना के साथ विजया एकादशी का उपवास रखा और राम सेतु बनाकर समुद्र को पार करने में सफल हुए उसके बाद भगवान राम, रावण को हरा कर लंका पर भी विजय हासिल किए.
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