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    भाई दूज: भाई दूज की कहानी।

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    भाई दूज की कहानी: हिन्दू धर्म में भाई दूज त्योहार का विशेष महत्व है तथा यह त्योहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है तथा इस दिन बहने अपने भाई की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। भाई दूज का यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक है तथा भाई दूज के इस त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।

    मान्यता यह है कि मृत्यु के देवता यमराज इसी दिन अपनी बहन यमुना को दर्शन दिए थे तथा यमुना अपने भाई यमराज की लंबी उम्र के लिए व्रत की थी तथा व्रत के दौरान यमुना अपने भाई को तिलक लगा कर और उनकी आरती कर, अपने भाई यमराज को अन्नकूट का भोजन करवाई थी और तभी से ही इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाने लगा। भाई दूज के दिन यह भी प्रथा है कि जो भी भाई-बहन एक साथ इस दिन यमुना नदी में स्नान करते है तो उन्हें मुक्ति की प्राप्ति होती है।

    भाई दूज की कहानी
    त्योहारभाई दूज
    2025 में भाई दूज कब है?23 अक्टूबर, 2025 दिन- गुरुवार
    कब मनाया जाता है?प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
    आवश्यक सामाग्रीलोरी, अक्षत, पान का पत्ता, फूल, मिठाई, नारियल तथा दूब घास आदि।

    भाई दूज से जुड़ी कहानी:

    यमराज और यमुना की कहानी:

    पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव के पुत्र यमराज तथा पुत्री यमुना थी। यमराज मृत्यु के देवता होने के कारण इन्हें यमलोक में रहना पड़ता था और यमुना पृथ्वी लोक में रहती थी। कई साल बीतने के बाद यमुना अपने भाई यमराज से मिलना चाहती थी, इसलिए यमुना अपने भाई को कई बार पृथ्वी लोक पर आने को कहती लेकिन काम की वजह से यमराज अपनी बहन से नहीं मिल पाता था।

    इसी तरह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना अपने भाई को घर आने के लिए वचन देती है। यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्रेम करता था और यमराज को यह भी संकोच हो रहा था कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूँ मुझे कौन अपना घर बुलाएगा?? लेकिन यह सत्य जानने के बावजूद भी मेरी बहन यमुना मुझे अपना घर बुला रही है।

    इस तरह यमराज अपने बहन यमुना से मिलने के लिए पृथ्वी लोक पर पहुँचते है और अपने बहन यमुना के घर जाते है। यमुना अपने भाई को देख बेहद प्रसन्न होती है और यमुना अपने भाई का आदर सम्मान कर उनकी स्वागत करती है। यमुना अपने भाई को तिलक लगा कर उनकी आरती करती है तथा भोजन में अपने भाई को अपने हाथों से बने स्वादिष्ट पकवान खिलाती है।

    यमराज यह सब कुछ देख बेहद खुश होता है और अपनी बहन से वरदान मांगने को कहता है। इस तरह यमुना अपने भाई से यह वरदान मांगती है कि भाई आप प्रत्येक वर्ष इस दिन मेरे घर भोजन करने के लिए आएंगे। यमराज अपनी बहन यमुना का बात मानते हुए तथास्तु कहते है तथा अपनी बहन यमुना को भेट में कई तरह का उपहार देते है और तभी से ही कार्तिक मास के द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा।

    भाई दूज की कहानी

    श्री कृष्ण और सुभद्रा की कहानी:

    पौराणिक कथा के अनुसार नरकासुर का वध करने के पश्चात भगवान श्री कृष्ण इसी दिन द्वारका लौटे थे। ऐसे में सुभद्रा अपने भाई(श्री कृष्ण) का स्वागत तिलक लगा कर तथा अपने भाई को मिठाई खिलाकर की इस तरह सुभद्रा अपने भाई भगवान श्री कृष्ण की स्वागत आरती करते हुए की और तभी से ही इस दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा।

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