Different Types Of Holi In India: रंगों का त्योहार होली प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास में बड़े धूम-धाम तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस तरह भारत के अलग-अलग राज्यों में होली का त्योहार विभिन्न तरीक़ों से मनाया जाता है, जिससे होली खेलने का मज़ा दो गुना बढ़ जाता है। तो आइए इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि भारत के विभिन्न राज्यों में होली का त्योहार कैसे सेलिब्रेट किया जाता है।
2025 में होली कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2025 में होली 14 मार्च दिन शुक्रवार को है। वहीं होलिका दहन 13 मार्च, दिन- गुरुवार को किया जाएगा। माना जाता है कि होलिका दहन के दिन भगवान विष्णु ने नरसिंहा का अवतार लेकर हिरण्य कश्यप का वध किया था और साथ ही साथ वृंदावन में भगवान कृष्ण ने पूतना का वध किया था और इसी खुशी में सभी गोपियाँ आपस में मिलकर कृष्ण के साथ रंगों वाली होली खेली थी और इस तरह होली के पर्व को एकता तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
वृंदावन की होली:

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में होली का त्योहार अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर की होली विश्व प्रसिद्ध है। वृंदावन की होली बेहद खास होती है तथा यहाँ पर होली का जशन पूरा 16 दिनों तक छाई रहती है। कहा जाता है कि स्वयं भगवान कृष्ण इस मंदिर में आकर अपने सभी भक्तों के ऊपर गुलाल तथा फूलों की वर्षा की थी और तब से इस प्रथा को मानते हुए बांके बिहारी मंदिर के पुजारी मंदिर में आए हुए सभी श्रद्धालुओं के ऊपर पुष्प और गुलाल फेंकते है और इस दौरान भक्त जन कृष्ण का भजन गुनगुनाते हुए आपस में एक-दूसरे के साथ होली खेलते है तथा इस शुभ अवसर पर यहाँ का वातावरण काफी अलौकिक और अविस्मरणीय हो जाता है।
बरसाने की होली:

मथुरा में स्थित बरसाने की लठमार होली विश्व प्रसिद्ध है। होली के दौरान महिलाएँ पुरुषों को लठ से मारती है और पुरुष अपने पत्नियों से बचते हुए उन पर रंग लगाते है। बरसाने की होली को लेकर यह मान्यता प्रचलित है कि स्वयं भगवान कृष्ण, राधा के साथ होली खेलने के लिए बरसाना आए थे, और तभी से यह प्रथा चालू हुआ कि बरसाना की महिलाएँ कृष्ण के रूप में अपने पति का इंतजार करती है तथा पुरुषों के लेट आने पर महिलाएँ उन पर लट्ठ बरसाती है और इस तरह बरसाना में एक अनोखे अंदाज़ से होली का त्योहार मनाया जाता है। होली खेलने की इस परम्परा को कई फ़िल्मों में भी फ़िल्माया गया है।
महाराष्ट्र की होली:
महाराष्ट्र में होली बड़े ही अलग तथा नयाब तरीक़े से मनाई जाती है। मौज-मस्ती से भरा इस दिन में लोग होली खेलने के लिए सूखे रंगों का प्रयोग करते है और अपने दोस्तों तथा करीबी रिश्तेदारों के साथ पूरन पोली, दही वड़ा, मालपुआ तथा अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद लेते है।

इसके अलावा महाराष्ट्र में होली खेलने की परम्परा को मटकी फोड़ होली के नाम से भी जाना जाता है। मटकी फोड़ होली में पुरुष मक्खन से भरी मटकियाँ को फोड़ते है और महिलाएँ इस मटकी को ऊँचाई पर बांधती है तथा इस मटकों को फोड़ने के लिए पुरुष आपस में मिलकर पिरामिड बनाते है तो महिलाएँ होली के गीत गाते हुए उन पर रंगों की बौछार करती है तथा मौज-मस्ती से भरा होली का यह त्योहार सबके चेहरों पर ख़ुशियाँ लेकर आती है।
बंगाल की होली:
बंगाल में होली को डोल जात्रा के नाम से जाना जाता है तथा इस दिन लोग राधा-कृष्ण की मूर्तियों को एक साथ पूजा करते है और उन्हें सुगंधित फूलों से तैयार किया गया झूला पर झुलाते है और उसके बाद राधा-कृष्ण को गुलाल लगाने के बाद, सभी स्त्रियाँ आपस में मिलकर होली का जशन मनाते है तथा एक-दूसरे को गुलाल लगाते है।

बंगाल में होली को ‘डोल पूर्णिमा’ तथा ‘डोल उत्सव’ भी कहा जाता है और इसके अलावा बंगाल में रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांति निकेतन में होली के पर्व को ‘वसंत उत्सव’ के रूप में मनाया जाता है।
पंजाब तथा हरियाणा में होली:
हरियाणा में होली के खास पर्व को ‘धुलेंडी होली’ कहा जाता है तथा इस दौरान पंजाब में स्थित आनंद पुर साहिब में यह त्योहार आयोजित किया जाता है यहाँ पर होली खेलने का तरीका अन्य जगहों की तुलना से बिल्कुल अलग है क्योंकि यहाँ पर होली रंगों से नहीं बल्कि घुड़ सवारी, मार्सल आर्ट, तलवार बाज़ी तथा अन्य तरीक़ों से होली का जशन मनाया जाता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम पूरी होने के बाद लंगर का आयोजन किया जाता है और सभी को स्वादिष्ट व्यंजन जैसे कि हलवा पूरी, अमृति, गुजिया, मालपुआ तथा दही वड़ा परोसा जाता है। इस तरह पंजाब में होली का यह जशन पूरे छः दिनों तक रहता है।
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