Shivratri 2025: भारत में इस दिन मनाया जाएगा शिवरात्रि का त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त, व्रत-नियम, पूजा विधि एवं महत्व के बारे में।

हिन्दू धर्म में शिवरात्री त्यौहार का विशेष महत्व है तथा फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दर्शी तिथि को महा शिवरात्री का पर्व मनाया जाता है तथा इस पावन दिन पर ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था अर्थात् शिव और शक्ति का मिलन हुआ था. शिवरात्री का यह त्यौहार भगवान शिव को समर्पित है तथा इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है. तो आइये जानते है कि इस साल शिवरात्री का पर्व कब मनाया जाएगा.

शिवरात्री के दिन ही भगवान शिव वैराग्य जीवन को त्याग कर वैवाहिक जीवन को अपनाया था तथा मान्यता है कि शिवरात्री के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. अर्थात् महा शिवरात्री का व्रत करने से व्यक्ति की हर मनोकामनाए पूर्ण होती है.

साल 2025 में शिवरात्री कब है? (Shivratri 2025)

साल 2025 में महा शिवरात्री 26 फरवरी दिन- बुधवार को भारत में पूरी श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी तथा महा शिवरात्री के इस पावन पर्व पर भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है.

शिवरात्री 202526 फरवरी, दिन- बुधवार
पूजा का शुभ मुहूर्तसुबह 6:30 बजे से लेकर शाम 6:38 तक है.
पूजा के लिए आवश्यक सामाग्रीभांग, धतूरा, बेलपत्र, रोली, घी, फूल, श्रृंगार का सामान और मिष्ठान
मंत्रों का जापऊ नमः शिवाय
पारण का समय27 फरवरी को सुबह 6:48 बजे से 8:53 के बीच है

भगवान शिव का नाम नीलकंठ क्यों पडा?

पौराणिक कथाओं के अनुसार देव और दानव एक-दुसरे के साथ लड़ते रहते थे. तो भगवान विष्णु इस लड़ाई की समाधान के लिए समुद्र मंथन करने का फैसला किया तथा समुद्र के गहराई में स्थित अमृत कलश से अमृत का पान करने से हमेशा के लिए अमर हो जाएगा और इस तरह देव तथा दानव एक दुसरे के साथ मिलकर समुद्र मंथन किए. समुद्र मंथन के दौरान सर्वप्रथम प्राणघात विष निकला और इस विष से संसार का संतुलन बिगड़ने लगा. तभी भगवान शिव इस प्राणघात विष को ग्रहण किया

Shivratri 2025
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जिससे देवताओं और मानव जाती की रक्षा हुई. यह विष इतना घातक था कि भगवान शिव के विष ग्रहण करने से उनका कंठ नीला पड़ गया और तब से भगवान शिव का नाम नीलकंठ पडा. भगवान शिव ने इस संसार को नष्ट होने से बचाया जिसके कारण शिवरात्री का त्यौहार मनाया जाता है.

शिवरात्री का व्रत:

महा शिवरात्री के इस पावन पर्व पर महिलायें अपने परिवार की खुशहाली के लिए इस दिन निर्जला व्रत रखती है और अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करती है. मान्यता है कि शिवरात्री के इस पावन पर्व पर भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करने से हमारे जीवन में कष्टों का निवारण होता है और साथ ही साथ भगवान भोले की कृपा से हमारे यहाँ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

शिवरात्री की पूजा के लिए आवशयक सामाग्री:

महा शिवरात्री की पूजा के लिए हमें विभिन्न सामाग्री की आवश्यकता पड़ती है जिनमें से बेल पत्र, भांग, धतूरा, घी, शहद, फल, रोली, चन्दन तथा मिष्ठान.

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शिवरात्री की पूजा विधि:

  • शिवरात्री के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा धो कर फ्रेश हो जाए तथा उसके बाद साफ और स्वच्छ कपडे धारण करे तथा व्रत का संकल्प लेते हुए पूजा की शुरुआत करे.
  • शिवलिंग को दूध, दही, घी, शहद तथा शक्कर मिलाकर पंचामृत से अभिषेक करे.
  • उसके बाद भगवान शिव को बेल पत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, फल तथा मिष्ठान चढ़ाए और साथ ही साथ सुहागन महिलायें माता पार्वती को श्रृंगार का सारा सामान चढ़ाए. ऐसा करने से महिलाओं का शादी शुदा जीवन खुशहाल से व्यतीत होता है.
  • उसके बाद भगवान शिव की आरती करे तथा ऊ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करे उसके बाद भगवान शिव का ध्यान करे.

शिवरात्रि के दिन ज्योतिर्लिंग का दर्शन करना:

हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है तथा मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन इन तीर्थस्थलों में पूजा अर्चना करने से सुख शांति तथा आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है। हमारे भारत में पूरे बारह ज्योतिर्लिंग स्थित है और इनमें से प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का अपना इतिहास और महत्व है। महा शिवरात्रि के इस पावन दिन पर बड़ी संख्या में भक्त ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने के लिए यहाँ उपस्थित होते है।

  1. महाराष्ट्र में त्र्यंबकेश्वर
  2. महाराष्ट्र में घृष्णेश्वर
  3. झारखंड में वैद्यनाथ
  4. मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर
  5. गुजरात में नागेश्वर
  6. तमिलनाडु में रामेश्वरम
  7. महाराष्ट्र में भीमाशंकर
  8. गुजरात में सोमनाथ
  9. मध्य प्रदेश में महाकालेश्वर
  10. आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन
  11. उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ
  12. उत्तराखंड में केदारनाथ

शिवरात्री का महत्व:

शिवरात्री के इस पावन दिन पर ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था तथा इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति के कुंडली में चन्द्र दोष दूर होता है क्योंकि भगवान शिव अपने मस्तक पर चन्द्र धारण किए हुए है. शिवरात्री के इस पावन दिन पर भगवान शिव की आराधना, उपवास एवं ध्यान किया जाता है तथा शिव भक्त रात भर जागकर शिव की आराधना करते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव का ध्यान करने से मनुष्यों में सात्विक गुण विकसित होता हैं।

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