Vinayak Damodar Savarkar: जानें स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर का इतिहास, जीवनी एवं उपलब्धियों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी।

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Vinayak Damodar Savarkar

Vinayak Damodar Savarkar: आधुनिक भारत के इतिहास में स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर का नाम बड़ें ही आदर एवं श्र्द्धा के साथ लिया जाता है। लोग उन्हें प्यार से ‘वीर सावरकर’ के नाम से भी बुलाते थे, वे एक सच्चे राष्ट्रभक्त एवं हिंदुत्ववादी सिद्धांत के कट्टर प्रवर्तक थे, प्रतिभा उनमें गज़ब की थी, इससे कोई इनकार नहीं करता, उसमें एक वकील, राजनेता, समाज सुधारक, लेखक के सभी गुण विधमान थे। यहाँ ‘वीर सावरकर’ के इतिहास, जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है:

Table of Contents

विनायक दामोदर सावरकर कौन थे?

ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेने वाले विनायक दामोदर सावरकर गिनती भारत के प्रखर वक्ता, वकील, राजनेता, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, साहित्यकार, लेखक, हिंदुत्ववादी सिद्धांत के कट्टर प्रवर्तक में की जाती है। उनकी पुस्तक “द हिस्ट्री ऑफ द वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस” में उनकी प्रखर आवाज एवं सोच को महसूस किया जा सकता है जिसमें उन्होने स्पष्ट किया कि ब्रिटिश शासन में न्याय का कोई स्थान हैं अतः यह दमनकारी है। इसीलिए उन्होंने घोषणा की “हम पूर्ण स्वतंत्रता चाहते हैं।”

वीर सावरकर जयंती कब और क्यों मनाया जाता है?

विनायक सावरकर जी की जयंती प्रत्येक वर्ष 28 मई को मनाया जाता है, इसी दिन वीर सावरकर जी का जन्म हुआ था। उनकी जन्म तिथि 28 मई 1883 को है। सावरकर के देश की आजादी के लिए त्याग, समर्पण एवं बलिदान को याद करने के लिए वीर सावरकर जयंती, मनाया जाता है। उन्होने देश को पूर्ण स्वतन्त्रता दिलाने के लिए अनेकों कष्ट सहें, यातनाएँ झेली। इसीलिए प्रतिवर्ष 28 मई को उनकी याद में वीर सावरकार जयंती मनाई जाती है।

वीर सावरकर जयंती, 2024 – वर्ष 2024 में वीर सावरकर जयंती कब है?

वर्ष 2024 में वीर सावरकर जयंती 28 मई, 2024 को है।

विनायक दामोदर सावरकर का जीवन परिचय – एक दृष्टि में (Vinayak Damodar Savarkar)

नाम विनायक दामोदर सावरकर,
उपनाम (समर्थकों द्वारा दिए गए नाम)वीर सावरकर
जन्म तिथि 28 मई 1883
जन्म स्थान ब्रिटिश भारत में भागुर गाँव, नासिक, मुंबई (बंबई)
मृत्यु तिथि (पुण्यतिथि)26 फरवरी, 1966
माता -पिता दामोदर पन्त सावरकर एवं राधाबाई
भाई – बहन भाई गणेश/बाबाराव एवं नारायण दामोदर सावरकर
बहन नैनाबाई
अर्धांगनी एवं संतान अर्धांगनी का नाम – यमुनाबाई
संतान- पुत्र कानम : प्रभाकर, विश्वास सावरकर, पुत्री का नाम -प्रभात चिपलूणकर
जीवन काल 83 वर्ष
विरोध ब्रिटिश अधिनियम एवं सुधार – मॉर्ले-मिंटो सुधार (भारतीय परिषद अधिनियम 1909),
दल, सभा एवं पार्टियों का गठन हिंदू महासभा, अभिनव भारत सोसाइटी, इंडिया हाउस, फ्री इंडिया सोसाइटी
प्रसिद्धि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका के लिए
पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे का नाम वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा

विनायक दामोदर सावरकर का जन्म कब एवं कहां हुआ था?

विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को वर्तमान महाराष्ट्र में नासिक के पास भागुर में हिंदू मराठी परिवार में हुआ था।

विनायक दामोदर सावरकर के माता -पिता एवं परिवार के बारे में संक्षिप्त परिचय

विनायक दामोदर सावरकर के पिता का नाम दामोदर पन्त सावरकर एवं माता का नाम श्रीमती राधाबाई था। सावरकर जी के दो भाई और बहन भी थे। भाई का नाम भाई गणेश एवं नारायण दामोदर सावरकर तथा बहन का नाम नैनाबाई था। उनके पिता उन्हें बचपन से ही रामायण एवं महाभारत की कथाएँ सुनाएँ करते थे, जिससे उनमें हिन्दुत्व के प्रति गहरा लगाव हो गया था। कम उम्र में ही इनके माता – पिता का देहांत हो गया था। इनके माता -पिता के निधन के पश्चात बड़ें भाई ने घर का भर एवं लालन -पालन किया। बड़ें भाई गणेश के व्यक्तित्व की छाप गणेश पर भी पड़ा।

विनायक दामोदर सावरकर का प्रारम्भिक जीवन, विवाह एवं शिक्षा

प्रारम्भिक शिक्षा के लिए शिवाजी को हाईस्कूल नासिक में भर्ती कराया गया जाहन से उन्होने 1901 में 10वीं परीक्षा उत्तीर्ण की एवं तत्पश्चात स्नातक के लिए फर्ग्युसन कालेज, पुणे में दाखिला लिया। बाद में इनका विवाह यमुनाबाई नाम की महिला के साथ हुआ जिनसे उन्हें दो पुत्र प्रभाकर एवं विश्वास सावरकर एवं पुत्री प्रभात चिपलूनकर हुए। आगे चलकर उन्होने मई 1909 में बार एट ला, लन्दन से (वकालत) की डिग्री भी हासिल की। बचपन से ही इन्हें पुस्तकों से प्यार था, लेखक के गुण इनमें बचपन से पनप रहे थी।

मित्र मेला संगठन की स्थापना

सावरकर अँग्रेजी हुकूमत की भेद-भाव एवं अन्यायपूर्ण नीति से वे असन्तुष्ट थे, देश में पूर्ण राजनीतिक स्वतन्त्रता चाहते थे। इसीलिए मात्र 16 वर्ष की उम्र में वर्ष 1899 में मित्र मेला नाम के संगठन की स्थापना की। वे देश के युवाओं को देश की आजादी के लिए मित्र मेला नाम से एकजुट कर रहे थे। बाद में इसी मित्र मेला संगठन का नाम अभिनव भारत सोसाइटी (YOUNG INDIA SOCIETY, 1904) पड़ा।

अभिनव भारत सोसाइटी (YOUNG INDIA SOCIETY, 1904) की स्थापना

सावरकर ने 1904 में अभिनव भारत सोसायटी नामक गुप्त संस्था की स्थापना की जिसमें उनका बड़े भाई गणेश ने दिया। यह क्रांतिकारी संस्था थी। इसी बीच वे पत्र पत्रिकाओं में लेखन कार्य भी करते रहे। अभिनव भारत सोसायटी में देश-विदेश के कांतिकारी भी जुड़ रहे थे, इसमें रूस, चीन, आयरलैंड, मिश्र के क्रांतिकारी भी शामिल थे। कालेज के दिनों से ही सावरकार एक अच्छे वक्ता थे एवं अपनी ओजपूर्ण वाणी से सभी को एकत्रित करने में सफल रहे थे। यहाँ वे क्रांतिकारियों को देश की आजादी के लिए संगठित कर रहे थे।

इंडिया हाउस एवं फ्री इंडिया सोसाइटी से जुड़ाव

श्यामजी किशन वर्मा ने 1905 में लंदन में इंडिया हाउस नाम एक संस्था की स्थापना की, जो देशभक्तों, क्रांतिकारियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं का गढ़ था। वर्ष 1906 में सावरकर ने आगे की पढ़ाई करने के लिए लंदन के लिए रवाना हुए, जहां वे इंडिया हाउस में रहते थे। वहीं पर उन्होने उन्होंने भारत की आजादी के लिए फ्री इंडिया सोसाइटी की स्थापना की जिसमें देशहित के लिए छात्रों को संगठित किया जाता था एवं भारत की सम्पूर्ण स्वतंत्रता का लक्ष्य रखा गया।

इस दौरान उन्होंने 1857 के विद्रोह के आधार पर “द हिस्ट्री ऑफ द वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस” पुस्तक लिखी जिसमें उन्होंने इस विद्रोह को भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम कहा। ब्रिटिश सरकार ने इस पुस्तक पर बैन लगा दिया, पर विदेशो में लेकिन इसका गुप्त प्रकाशन और वितरण किया जाने लगा। सावरकर रूसी क्रांतिकारियों से अत्यंत प्रभावित थे, उन्होंने ‘मैजीनी चरित्र ‘ नामक एक पुस्तक भी लिखी थी।

अंडमान का कुख्यात सेलुलर जेल एवं वीर सावरकार

सावरकार ने कई क्रांतिकारीयों जिसामे प्रसिद्ध मदन लाल ढिंगारा भी शामिल थे, को राजनीतिक सहयोग एवं समर्थन दिए जाने एवं नासिक के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक षडयंत्र काण्ड में शामिल होने के आरोप लगाकर 7 अप्रैल, 1911 को काला पानी की सजा पर सेलुलर जेल भेजा दिया गया। कैदियों को इस जेल में असीम यातनाएँ दी जाती थी। वर्ष 1911 से 1924 तक इसी जेल में रहे, यहाँ इनकी शारीरिक स्थिति काफी दुबली हो गयी थी। जेल अधिकारीयों द्वारा सावरकर को पीड़ित किया जाता था, उनसे तेल निकलवाने का काम लिया जाता था। बाद में 1924 में रिहा होने पर वे फिर समाज सुधार के कार्यों जैसे छुआछूत, जातिवाद को दूर करने में जुट गए।

हिंदू महासभा एवं सावरकार

अखिल भारत हिंदू महासभा एक अत्यंत प्राचीन संगठन था। वर्ष 1937 में अखिल भारत हिंदू महासभा के अहमदाबाद सत्र में उन्हें अध्यक्ष घोषित किया गया, बाद में उन्हें अगले 7 वर्षों के लिए भी इस पद के लिए चुना गया। इस अध्यक्ष पद पर पंडित मदन मोहन मालवीय, लाल लाजपत राय, जैसे नेतागण भी रह चुके थे।

अखंड भारत एवं सावरकार

देश के स्वतन्त्रता के समय में भी वे देश विभाजन के कड़े विरोधी थे, उनके अनुसार देश का हर नागरिक समान है, उन्हें समान नागरिक अधिकारी एवं कर्तब्यो का पालन करना होता है, भले किसी भी जाती, भाषा, धर्म, नस्ल, वंश के हो। वे अखंड भारत प्रखर प्रवर्तक थे।

विनायक दामोदर सावरकर की प्रसिद्ध पुस्तकें एवं रचनाएँ

पुस्तक का नाम लेखक प्रकाशन वर्ष
आजन्म कारावास अर्थात अंडमान का ‘प्रिय प्रवास’विनायक दामोदर सावरकर 1967
मोपला विनायक दामोदर सावरकर 1967
सावरकर समग्र विनायक दामोदर सावरकर 2000
काला पानी विनायक दामोदर सावरकर 2007
Who is a Hindu? (अँग्रेजी में)विनायक दामोदर सावरकर 1949
Indian War Of Independence 1857(अँग्रेजी में)विनायक दामोदर सावरकर 2008
My Transportation For Life (अँग्रेजी में)विनायक दामोदर सावरकर 2012
मेरा आजेवान करावासविनायक दामोदर सावरकर 2007
1857 का स्वतन्त्र समरविनायक दामोदर सावरकर 2007
मैजीनी चरित्रविनायक दामोदर सावरकर 2009

विनायक दामोदर सावरकर की प्रसिद्ध कथन (Quotes)

““Every person is a Hindu who regards and owns this Bharat Bhumi, this land from the Indus to the seas, as his fatherland as well as holy land, i.e., the land of the origin of his religion. Consequently, the so-called aboriginal or hill tribes are also Hindus because India is their fatherland as well as their holyland for whatever form of religion or worship they follow.”.”

Untouchability is the curse that has shadowed and darkened the history of our nation. Rightly so, nothing can justify the practice of untouchability.”

“We yield to none in our love, admiration, and respect for the Buddha Dharma—the Sangha. They are all ours. Their glories are ours, and ours are their failures.”

“After all, there is throughout this world, so far as man is concerned, a single race kept alive by common blood, the human blood. All other talk is best provisional, a makeshift, and only relatively true.”

“One country one God, one caste, one mind brothers all of us without difference, without doubt.”

“Calmness in preparation but boldness in execution, this should be the watchword during the moments of crisis.”

“The practice of untouchability is a sin, a blot on humanity, and nothing can justify it.”

वीर सावरकर पुण्यतिथि (Veer Savarkar Punyatithi)

सावरकर जी का निधन 26 फरवरी, 1966 को हुआ। उनकी याद में प्रतिवर्ष 26 फरवरी को वीर सावरकर पुण्यतिथि के रूप में मनया जाता है। कहा जाता है कि इच्छा से मृत्यु को वरण किया था। वे कहते थे,

“जब कोई व्यक्ति समाज के लिए उपयोगी न रह जाए तो जीवन त्याग देना मृत्यु की प्रतीक्षा करने से बेहतर है।”

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