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Tribhasha Sutra: जानें त्रिभाषा सूत्र किसे कहते हैं? नई शिक्षा नीति 2020 एवं  त्रिभाषा सूत्र में क्या संबंध है?

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Third language formula

त्रिभाषा सूत्र (Tribhasha Sutra-three language formula)-त्रिभाषा सूत्र को हम भारत सरकार की भाषा नीति का ही एक भाग कह सकते हैं। त्रिभाषा सूत्र का तात्पर्य हिन्दी भाषी एवं गैर-हिन्दी भाषी राज्यों में भाषा अध्ययन की व्यवस्था से है।

त्रिभाषा सूत्र (Tribhasha Sutra-three language formula) 

त्रिभाषा सूत्र को राष्ट्रीय शिक्षा आयोग (कोठारी आयोग) ने वर्ष 1968 की नीति में उल्लिखित किया था जो इस प्रकार है है:-

(1) पहली भाषा- अध्ययन की जाने वाली पहली भाषा मातृ भाषा या क्षेत्रीय भाषा।

(2) दूसरी भाषा – हिन्दी भाषी राज्य- कोई अन्य आधुनिक भारतीय भाषा या अंग्रेजी

      गैर-हिंदी भाषी राज्य- हिंदी या अंग्रेजी होगी

(3) तीसरी भाषा- हिंदी भाषी राज्य- तीसरी भाषा अंग्रेजी या  कोई आधुनिक भारतीय भाषा  (जो दूसरी भाषा के रुप  में न लिया गया हो)

गैर-हिंदी भाषी राज्य- तीसरी भाषा अंग्रेजी या  कोई आधुनिक भारतीय भाषा (जो दूसरी भाषा के रुप में न लिया गया हो)

चूंकि त्रिभाषा सूत्र का संबंध कोठारी आयोग की सिफारिस से जुड़ा हुआ है अतः इस संबंध में  कोठारी आयोग की संक्षिप्त जानकारी आवश्यक है-
 

कोठारी आयोग एवं त्रिभाषा सूत्र (1964-1966):

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग को ही कोठारी आयोग के नाम से जाना जाता है। इसकी अध्यक्षता दौलत सिंह कोठारी ने की थी, जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के भी अध्यक्ष थे, इसीलिए इसे कोठारी आयोग के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत सरकार द्वारा भारत में शैक्षिक क्षेत्र के सभी पहलुओं की जांच करने एवं सलाह देने के लिए एक सर्वोच्च आयोग था।

कोठारी आयोग ने ही सिफ़ारिश की थी कि हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी तथा अंग्रेजी के अतिरिक्त एक आधुनिक भारतीय भाषा अथवा दक्षिण भारत की भाषाओं में से किसी एक के अध्ययन की व्यवस्था एवं अहिंदी भाषी राज्यों में राज्य भाषाओं एवं अंग्रेजी के साथ साथ हिंदी के अध्ययन की व्यवस्था की जाए। इसी व्यवस्था को त्रिभाषा सूत्र के नाम से जाना जाता है। 

राजभाषा संकल्प 1968 एवं त्रिभाषा सूत्र

कोठारी आयोग की सिफ़ारिशों को कार्यान्वित करने के लिए संसद द्वारा एक संकल्प पारित किया गया जिसे राजभाषा संकल्प 1968 के नाम से जाना जाता है। 
 
संकल्प का सार यह है कि देश एकता एवं अखंडता की भावना को बनाए रखने एवं देश के विभिन्न भागों में जनता में संपर्क सुविधा के लिए यह आवश्यक है कि भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों के परामर्श से तैयार किए गए त्रि-भाषा सूत्र को सभी राज्यों में पूर्णत कार्यान्वित किया जाएगा।
 
अतः संकल्प पारित किया गया कि हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी तथा अंग्रेजी के अतिरिक्त एक आधुनिक भारतीय भाषा अथवा दक्षिण भारत की भाषाओं में से किसी एक के अध्ययन की व्यवस्था एवं अहिंदी भाषी राज्यों में राज्य भाषाओं एवं अंग्रेजी के साथ साथ हिंदी के अध्ययन की व्यवस्था हो।

नई शिक्षा नीति, 2020 एवं  त्रिभाषा सूत्र

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लिए डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में सरकार द्वारा एक समिति का गठन किया गया था। चूंकि त्रिभाषा सूत्र को पूरी तरह व्यावहारिक तौर पर लागू नहीं किया जा सका। नई शिक्षा नीति में भी इस बात का उल्लेख किया गया कि उपर्युक्त त्रिभाषा सूत्र को लागू किया जाएगा। इस पर कई राज्यों ने आपत्ति भी जताई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार,-

1- मातृभाषा या स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा-इसमें कहा गया है कि ग्रेड 5 तक शिक्षा का माध्यम घर या स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा या कम से कम मातृभाषा होगी जिससे 8 वीं कक्षा या उससे आगे तक बढ़या जा सकता है।

2- भारत के 2 भाषाओं का अध्ययन -छात्र को तीन भाषाओं में से 2 भारतीय भाषाओं का अध्ययन करना होगा।

3- त्रिभाषा सूत्र को लागू करते समय राज्य, आम जनता, लोगों की आकांक्षाओं को ध्यान रखा जाएगा। किसी भी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी।

4- राज्य, भारत का कोई भी क्षेत्र और यहाँ तक छात्र भी तीन भाषाओं को चुनने के लिए स्वतंत्र हैं।

5- ग्रेड 6 या 7 में पढ़ने वाले छात्र उन तीन भाषाओं में से किसी एक या अधिक को बदल सकते हैं। 

6- इससे बहुभाषावाद और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलेगा। 
 

7- ऐसी कोई विशिष्ट भाषा नहीं है जो किसी भी राज्य पर थोपी जाए। यह राज्य को तय करना है कि    उनकी पसंद की भाषा कौन सी है।

शिक्षा के संबंध में संविधान क्या कहता है : – 

अनुच्छेद 347 के अनुसार अगर राज्य की जनसंख्या का कोई भाग चाहता है कि तो राष्ट्रपति के आदेश द्वारा ऐसा किया जा सकता है। ऐसी भाषा को भी उस राज्य में सर्वत्र या उसके किसी भाग में  शासन की मान्यता दी जा सकती है। 

अनुच्छेद 350 के अनुसार  प्रत्येक व्यक्ति संघ या राज्य के किसी अधिकारी या प्राधिकारी कोयथास्थितिसंघ में या राज्य में प्रयोग होने वाली किसी भाषा में आवेदन दे सकता है।

अनुच्छेद 350 ए. के अनुसार भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था  करना राज्य सरकार का दायित्व होगा।  

भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए विशेष अधिकारी–

अनुच्छेद 350 बी के अनुसार भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक विशेष अधिकारी होगा।विशेष अधिकारी का यह कर्तव्य होगा कि वह इस संविधान के अधीन भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए  सभी  विषयों पर अनुसंधान करे एवं इस संबंध में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को दे।

कहा जा सकता है कि त्रिभाषा सूत्र पूरी तरह लागू होने पर हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं को बल मिलेगा एवं बहुभाषावाद एवं सांरदायिक सद्भाव, देश एकता एवं अखंडता सुनिश्चित होगी एवं देश के विभिन्न भागों में जनता में संपर्क भाषा के रूप में हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं का भी विकास होगा। 
 
इसमें हिन्दी भाषी एवं अहिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी भाषा के अध्ययन की भी व्यवस्था की गयी है। हम सभी जानते हैं कि आज उच्च शिक्षा में ज्ञान-विज्ञान की सभी शाखाओं में अंग्रेजी भाषा का ही प्रभुत्व है एवं हिन्दी सहित एवं अन्य भारतीय भाषाओं में अभी भी इसका अभाव है।

Frequently Asked Questions Regarding the Three Language Formula

Q-त्रिभाषा सूत्र कब लागू हुआ

    1968

Q-त्रिभाषा सूत्र किसकी देन है?

कोठारी आयोग -राष्ट्रीय शिक्षा आयोग को ही कोठारी आयोग के नाम से जाना जाता है। इसकी अध्यक्षता दौलत सिंह कोठारी ने की थी, त्रिभाषा सूत्र की सिफारिस कोठारी आयोग ने की थी। 

Q-त्रिभाषा सूत्र में पहला स्थान किसका है?

A-मातृभाषा। 

Q-त्रिभाषा सूत्र क्या है?

A- (1) पहली भाषा- अध्ययन की जाने वाली पहली भाषा मातृ भाषा या क्षेत्रीय भाषा।
(2)दूसरी भाषा – हिन्दी भाषी राज्य- कोई अन्य आधुनिक भारतीय भाषा या अंग्रेजी
          गैर-हिंदी भाषी राज्य- हिंदी या अंग्रेजी होगी
(3)तीसरी भाषा- हिंदी भाषी राज्य- तीसरी भाषा अंग्रेजी या  कोई आधुनिक भारतीय भाषा (जो दूसरी भाषा के रुप  में न लिया गया हो)
गैर-हिंदी भाषी राज्य- तीसरी भाषा अंग्रेजी या  कोई आधुनिक भारतीय (जो दूसरी भाषा के रुप में न लिया गया हो) 

Q-नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा सूत्र क्या है?

मातृभाषाया स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा 
 
भारत के 2 भाषाओं का अध्ययन 

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