Three Stage of Nuclear Power Program: जानें भारत का त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम क्या है?

Three Stage of Nuclear Power Program : भारत में परमाणु ऊर्जा की संकल्पना प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. होमी भाभा ने की थी, उन्हें भारत की त्रिस्तरीय ऊर्जा कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। हमारे देश में भविषय की ऊर्जा संभावना एवं परमाणु ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की संकल्पना डॉ. होमी भाभा ने ही की थी ताकि हमारा देश ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके। आइए जानते हैं, कि भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम क्या है? इसे त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम क्यों कहते हैं?

भारत का त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का इतिहास (History of Three Stage of Nuclear Power Program)

भारत को स्वतंत्रता 15 अगस्त, 1947 को मिली। आज हम आजादी के 75वर्ष को आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे है। गौरतलब है कि भारत में परमाणु ऊर्जा का इतिहास आजादी मिलने के एक वर्ष के भीतर ही प्रारम्भ हो गया था. वर्ष 1948 में परमाणु ऊर्जा के विकास और इसके नियंत्रण  के लिए एक अधिनियम पारित किया गया।

भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग:

उपरोक्त अधिनियम के प्रावधानों के तहत, भारत सरकार ने 10 अगस्त, 1948 को निम्नलिखित सदस्यों को शामिल करते हुए परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) का गठन किया: –

  • डॉ. होमी जहांगीर भाभा – अध्यक्ष
  • डॉ. के.एस.कृष्णन – सदस्य
  • डॉ. एस.एस. भटनागर – सदस्य

इस प्रकार भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग पहली बार अगस्त 1948 को अस्तित्व में आया। परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) की स्थापना 3 अगस्त, 1954 को राष्ट्रपति के आदेश के तहत किया गया था एवं इसकी कमान सीधे प्रधान मंत्री के हाथों में सौंपी गयी। परमाणु ऊर्जा विभाग में परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) की स्थापना की गई।

परमाणु ऊर्जा विभाग में भारत सरकार के सचिव परमाणु ऊर्जा  आयोग के पदेन अध्यक्ष हैं। एईसी के अन्य सदस्यों को प्रत्येक कैलेंडर वर्ष के लिए अध्यक्ष, एईसी की सिफारिश पर और प्रधान मंत्री द्वारा अनुमोदन के बाद नियुक्त किया जाता है। बाद में सरकार द्वारा परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 लाया गया जिसका लक्ष्य था – देश की सुरक्षा एवं ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना। परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के बारे में जानने से पहले परमाणु ऊर्जा के बारे में जानना अवशयक है।

परमाणु ऊर्जा:

परमाणु ऊर्जा वह ऊर्जा है जो परमाणु रिएक्टर में परमाणु प्रतिक्रिया या रेडियोधर्मी क्षय प्रक्रिया के माध्यम से निकलती है। यह आमतौर पर विकिरण के रूप में ऊर्जा पैदा करती है। 

Three Stage of Nuclear Power Program : जानें भारत का त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम क्या है?

परमाणु ऊर्जा का ईंधन-यूरेनियम और थोरियम का प्रयोग:

परमाणु ऊर्जा से परमाणु रिएक्टर बनाए जाते हैं। इन रिएक्टरों को चलाने के लिए परमाणु ईंधन की जरूरत होती है जिसके लिए यूरेनियम और थोरियम का प्रयोग किया जाता है। हमारे देश में यूरेनियम बहुत कम पाया जाता है पर थोरियम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इसीलिए परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पादन के लिए थोरियम का महत्व ज्यादा होता है, पर थोरियम का उपयोग सीधे तौर पर नहीं किया जा सकता है बलकी इसे जटिल वैज्ञानिक पद्धति द्वारा उपयोग-लायक बनाया जाता है।

पूरे विश्व में सबसे ज्यादा थोरियम भारत में ही पाया जाता है। जबकि भारत में यूरेनियम नहीं के बराबर पाया जाता है। यूरेनियम का आधा से अधिक भंडार तीन प्रमुख देशों कजाकिस्तान, कनाडा एवं आस्ट्रेलिया में पाया जाता है।

Three Stage of Nuclear Power Program : जानें भारत का त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम क्या है?

  • परमाणु ऊर्जा आयोग ने परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के माध्यम से बिजली उत्पादन पर काम किया था एवं इस संबंध में एक रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी एवं उसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने देश में परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों की एक श्रृंखला स्थापित करने का निर्णय लिया।
  • एईसी ने तीन चरण की परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम रणनीति तैयार की थी जिसमें पहला चरण प्राकृतिक यूरेनियम ईंधन, Pressurized Heavy Water Reactor तथा दूसरे चरण में फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (एफबीआर) होंगे।
  • तीसरे चरण में थोरियम आधारित  रिएक्टरों का विकास शामिल था। देश में बड़ी मात्रा में उपलब्ध थोरियम का उपयोग फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों में ब्लांकेट के रूप में किया जाएगा। पुन: संसाधित होने पर विकिरणित थोरियम से यूरेनियम-233 प्राप्त होगा, जिसका उपयोग तीसरे चरण में बिजली रिएक्टर के संचालन के लिए ईंधन के रूप में किया जाएगा।
  • तीन चरण के इस परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का उद्देश्य Pressurized Heavy Water Reactor में प्राकृतिक यूरेनियम के उपयोग के माध्यम से घरेलू रूप से उपलब्ध विखंडनीय संसाधन को बढ़ाना है, इसके बाद प्लूटोनियम का उपयोग करना है।
Three Stage of Nuclear Power Program : जानें भारत का त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम क्या है?

परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का पहला चरण (First Stage of Nuclear Power Program)

पहले चरण में बिजली उत्पन्न करने के लिए दाबित भारी पानी रिएक्टरों (PHWR) को ईंधन देने के लिए प्राकृतिक यूरेनियम का उपयोग किया जाता है, उसके बाद प्लूटोनियम-239 का उत्पादन किया जाता है।

  1. रियक्टर-पीएचडब्ल्यूआर, 22 ऑपरेटिंग प्लांट,
  2. ईंधन – प्राकृतिक यूरेनियम, भारी पानी को
  3. शीतलक /मॉडरेटर के रूप में किया जाएगा।
  4. उप-उत्पाद के रूप में, प्लूटोनियम-239

परमाणु ऊर्जा विभाग की निम्नलिखित इकाइयां परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के पहले चरण में कार्य कर रही है: AMD, UCIL, ECIL, NFC, HWB, NPCIL, BARC। इसके तहत पहले दो रिएक्टर कनाडा के सहयोग से राजस्थान के रावतभाटा में बनाए गए थे।

परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का द्वितीय चरण (Second Stage of Nuclear Power Program)

 इस संकल्पना का मुख्य उद्देश्य था बिजली उत्पादन में फास्ट ब्रीडर और थोरियम रिएक्टरों के विकास के माध्यम से परमाणु ऊर्जा के हिस्से को बढ़ाना। परमाणु ऊर्जा विभाग की निम्नलिखित इकाइयां परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के इस चरण में कार्य कर रही है: भाविनी, आईजीसीएआर, बीएआरसी।

प्रथम चरण से प्राप्त प्लूटोनियम-239 (Pu-239) को FBR रिएक्टरों को मुख्य ईंधन के रूप में उपयोग एवं  ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ यूरेनियम-238  को Pu-239 और थोरियम-232 (Th-232) को U-233 में परिवर्तित किया जाएगा।

  1. रियक्टर-फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों का उपयोग
  2. ईंधन – प्लूटोनियम-239
  3. U-233 की प्राप्ति

परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का तीसरा चरण (Third of Nuclear Power Program)

इस संकल्पना का मुख्य उद्देश्य था थोरियम अर्थात् आधारित रिएक्टरों का विकास । दूसरे चरण से प्राप्त U-233 इसमें मुख्य ईंधन होगा। इसके अलावा, इस रिएक्टर में Th-232 का एक बंडल होगा, जिसे परमाणु प्रतिक्रिया द्वारा U-233 में बदल दिया जाएगा, जिसे फिर से ईंधन के रूप में उपयोग किया जाएगा। परमाणु ऊर्जा विभाग की निम्नलिखित इकाइयां परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के इस चरण में कार्य कर रही है- BARC, IGCAR, IREL।

वियना स्थित अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, ” ये रिएक्टर पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक ऊर्जा निकालने में मदद कर सकते हैं। वे पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में अधिक सुरक्षित भी हैं।”

तीसरा चरण थोरियम यूरेनियम 233 आधारित रिएक्टरों को ईंधन देने के लिए यूरेनियम -233 का उपयोग करने की संकल्पना पर आधारित  है जो देश को कई शताब्दियों तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता  प्रदान कर सकता है। 

परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने के लिए देश भर में स्थापित परमाणु ऊर्जा प्लांट

परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने के लिए देश भर में स्थापित कुल 23 परमाणु ऊर्जा प्लांट हैं, जिसकी कुल स्थापित क्षमता 7480 मेगावाट है, इसके अलावा कई प्लांट निर्माणाधीन परियोजनाओं के अंतर्गत है एवं वर्ष 2031 तक 22480 मेगावाट होने की संभावना है।

राज्यपरमाणु प्लांट एवं क्षमता
महाराष्ट्र, तारापुरTAPS-1& 160 MW
TAPS-2& 160 MW
TAPS-3 540 MW
TAPS-4 540 MW
राजस्थान, रावतभाटाRAPS-1@ 100 MW
RAPS-2 200 MW
RAPS-3& 220 MW
RAPS-4 220 MW
RAPS-5 220 MW
RAPS-6 220 MW
तमिलनाडु, कलपक्कमMAPS-1& 220 MW
MAPS-2 220 MW
कुडनकुलमKKNPP-1 1000 MW
KKNPP-2 1000 MW
उत्तर प्रदेश, नरौराNAPS-1 220 MW
NAPS-2 220 MW
गुजरात, काकरापारKAPS-1 220 MW
KAPS-2 220 MW
KAPS-3 700 MW
कर्नाटक, कैगाKGS-1 220 MW
KGS-2 220 MW
KGS-3 220 MW
KGS-4 220 MW
कुल – क्षमता 7480 मेगावाट
सूचना स्रोत -सरकारी वेबसाइट -@ RAPS-1 is under extended shutdown for techno-economic assessment & TAPS-1&2, RAPS-3 & MAPS-1 are presently under project mode. 

 Conclusion

हम सब जानते हैं कि भारत की आबादी तेजी से बढ़ रही है एवं बढती आबादी की ऊर्जा संबंधित आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लोकतांत्रिक भारत को तेजी से विकास भी करना चाहिए। अब भी करोड़ो लोगों के पास ऊर्जा की पहुंच नहीं है।

परमाणु ऊर्जा के उपयोग के माध्यम से बिजली का उत्पादन भी किया जा रहा है। वर्तमान में स्थापित परमाणु ऊर्जा से 7480 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है और यह देश में कुल बिजली उत्पादन का लगभग 3% योगदान देता है। उपलब्ध सूचना के अनुसार, वर्तमान में 7480 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 23 रिएक्टर प्रचालन में हैं।

सरकार की योजना यह भी है कि भविष्य में और अधिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों लगाए जाए। सरकारी सूचना के अनुसार  सरकार ने फ्लीट मोड में स्थापित किए जाने वाले कुल 7000 मेगावाट के 10 और रिएक्टरों के निर्माण के लिए प्रशासनिक स्वीकृति और वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है। निर्माणाधीन और स्वीकृत परियोजनाओं के 2031 तक पूरा होने की उम्मीद है। आने वाले समय में देश को ऊर्जा की आवश्यकता एक अनिवार्य आवश्यकता बनकर उभरेगी। देश को कई शताब्दियों तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता  प्रदान करने के लिए परमाणु ऊर्जा ही एकमात्र विकल्प होगा।

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