Sindoor Khela 2024: दुर्गा पूजा के दौरान सिंदूर खेला का विशेष महत्व होता है तथा बंगाली धर्म के लोग दुर्गा पूजा का अंतिम दिन यानि विजयदशमी पर सिंदूर खेला का आयोजन करती है। विवाहित महिलाओं के लिए सिंदूर सौभाग्य तथा समृद्धि का प्रतीक माना जाता है इसलिए ये सभी महिला माँ दुर्गा को सिंदूर अर्पित कर सदा सुहागन का आशीर्वाद प्राप्त करती है।
शारदीय नवरात्रि का आखिरी दिन यानि विजयादशमी के दौरान विवाहित महिला माँ दुर्गा को विदाई के समय सिंदूर लगाती है तथा इस दौरान सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है। सिंदूर खेला बंगाली धर्म के संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है तथा यह अनुष्ठान स्त्री शक्ति का प्रतीक माना जाता है। बंगाल में माँ दुर्गा की विदाई की खुशी पर सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है।
2024 में सिंदूर खेला कब है?
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के दशमी तिथि को दुर्गा विसर्जन के रूप में सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है तथा साल 2024 में सिंदूर खेला 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जो रविवार का दिन है।
सिंदूर खेला कैसे मनाया जाता है?
दुर्गा पूजा का आखिरी दिन यानि विजयादशमी के दिन सर्वप्रथम माँ दुर्गा की आरती की जाती है, उसके बाद सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है तथा इस दौरान विवाहित महिला लाल और सफेद रंग की साड़ी पहनती है और इस साड़ी में सभी महिला बेहद खूबसूरत दिखती है।
उसके बाद सभी विवाहित महिला माँ दुर्गा के पंडालों में एक-जुट इकट्ठे होकर यह खेल प्रारंभ करती है तथा इस दौरान सभी महिला एक साथ एकत्रित होकर माँ दुर्गा को सिंदूर लगाती है उसके बाद माँ दुर्गा का मुँह मीठा कर इनसे आशीर्वाद प्राप्त करती है और तब जाकर ये सभी महिला आपस में एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर विजयादशमी की शुभ कामनायें देती है तथा यह दृश्य बड़ा ही खूबसूरत होता है।
सिंदूर खेला का रस्म पूरी हो जाने के बाद माँ दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है और माँ की प्रतिमा को नदी में विसर्जित किया जाता है।
दुर्गा पूजा 2024:
शारदीय नवरात्री में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है तथा इसका अगला दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है साल 2024 में शारदीय नवरात्री की शुरुआत 3 अक्टूबर को हुआ था और इस दौरान दुर्गा पूजा का त्योहार मनाया जाता है।
बंगाल में दुर्गा पूजा का त्योहार बहुत ही धूम-धाम तथा हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। दुर्गा पूजा के इस महापर्व पर माँ दुर्गा के भव्य पंडाल लगाए जाते है और पंडालों में माँ दुर्गा की प्रतिमा को देखने के लिए काफी भीड़ उमड़ती है इतना ही नहीं देश विदेश से कई श्रद्धालु माँ दुर्गा की प्रतिमा को देखने के लिए आते है।
सिंदूर खेला का महत्व: Sindoor Khela 2024
- पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में सिंदूर खेला का विशेष महत्व है तथा दुर्गा पूजा का अंतिम दिन सिंदूर खेला का अनुष्ठान किया जाता है तथा यह रस्म माँ दुर्गा के विदाई के दौरान मनाया जाता है।
- सिंदूर खेला का यह पर्व बंगाल की सांस्कृतिक पहचान है।
- खास कर विवाहित महिलाओं के लिए सिंदूर सौभागय, सदा सुहागन तथा दाम्पत्य जीवन का प्रतीक माना जाता है इसलिए इस दिन विवाहित महिला द्वारा सिंदूर खेला का रस्म किया जाता है।
- माँ दुर्गा हर साल 10 दिनों के लिए धरती पर आती है तथा यह धरती ही उनका मायका है तथा इस दौरान माँ दुर्गा के साथ लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती तथा कार्तिकेय भी आते है और पूरे 10 दिनों के बाद यानि विजयादशमी के दिन माँ दुर्गा अपने पति के साथ कैलाश पर्वत लौटती है इस तरह माँ दुर्गा को विदाई देने के लिए सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है।
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