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    जानें छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन परिचय, जयंती एवं प्रशासनिक प्रणाली के बारे में।(Shivaji Maharaj)

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    शिवाजी महाराज का जीवन परिचय (Biography of Shivaji Maharaj)– मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान योद्धा और दूरदर्शी व्यक्ति थे। छत्रपति शिवाजी को भारतीय इतिहास में सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित योद्धाओं में से एक माना जाता है।

    वे अपनी बहादुरी, सैन्य रणनीति और प्रशासनिक कौशल, गुरिल्ला रणनीति से दुशमनों से लोहा लेने के लिए प्रसिद्ध है। उनका लक्ष्य स्वराज और स्वतंत्रता के सिद्धांतों पर आधारित था। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से शिवाजी महाराज की जीवनी (जयंती)-Biography (Jayanti) of Shivaji Maharaj के बारे में जानते है –

    शिवाजी महाराज का जीवन परिचय (Biography of Shivaji Maharaj)

    नाम

    शिवाजी भोंसले

    जन्म तिथि

    19 फरवरी, 1630 

    जन्म स्थान

    शिवनेरी किलापुणे जिलामहाराष्ट्र

    माता का नाम

    जीजाबाई

    पिता का नाम

    शाहजी भोंसले

    शासन की अवधि  

    1674-1680

    पत्नी का नाम

    साईबाई निमबालकर। 1640 में विवाह

    मराठा साम्राज्य का केंद्र एवं राजधानी

    रायगढ़ किलामहाराष्ट्र

    शिवाजी का परिवार  

    संभाजीशिवाजी के सबसे बड़े पुत्र और उत्तराधिकारीजो शिवाजी की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति बने।

    राजारामशिवाजी के छोटे बेटेजिन्होंने संभाजी को मराठा साम्राज्य के तीसरे छत्रपति के रूप में उत्तराधिकारी बनाया।

    ताराबाईशिवाजी की बहूजिन्होंने अपने पति राजाराम की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    बालाजी विश्वनाथशिवाजी के पोतेजो छत्रपति राजाराम की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य के पहले पेशवा बने।

    बाजी राव प्रथमबालाजी विश्वनाथ के पुत्रजो मराठा साम्राज्य के दूसरे पेशवा बने और मराठा साम्राज्य के सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली नेताओं में से एक थे।

    धर्म

    हिंदू धर्म

    मृत्यु

    3  अप्रैल, 1680

    उत्तराधिकारी

    संभाजी भोंसले

    छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती

    यह हर साल 19 फरवरी को मनाया जाता है।

     

    शिवाजी महाराज के गुरु

    गुरु कोंडदेव

    आध्यात्मिक गुरु महाराष्ट्र के अंतिम संत कवि रामदास थे. 

     

    छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती :Shivaji Maharaj Jayanti 

    शिवाजी का पूरा नाम शिवाजी भोंसले था, जिन्हें आज हम छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से जानते है। महान छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान में मनाया जाने वाला शिवाजी जयंती एक वार्षिक उत्सव है।

    छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती हर साल 19 फरवरी को मनाया जाता है। 

    शिवाजी महाराज की जन्मतिथि  एवं जन्मस्थान

    शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 में हुआ था। इनका जन्म पुणे, महाराष्ट्र के पास शिवनेरी किले में हुआ था।

    शिवाजी महाराज के मातापिता

    शाहजी भोंसले शिवाजी महाराज के  पिताशाहजी भोंसले थे जो  बीजापुर के आदिल शाही वंश के सेनापति थे। 

    जीजाबाई : शिवाजी की माँ का नाम  जीजाबाई था। जीजाबाई एक धर्मनिष्ठ हिंदू थीं, जिन्होंने बचपन से ही शिवाजी में साहस, बहादुरी और अपने देश प्रेम की भावना को पल्लवित किया  

    शिवाजी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

    शिवाजी में साहस, बहादुरी, देशप्रेम तथा आत्म-सम्मान की भावना बचपन से ही था। पश्चिमी घाट के ऊबड़- खाबड़ इलाके में पले- बढ़े शिवाजी ने प्रकृति के बीच साहसिक कार्य और युद्ध कला में महारत हासिल किया उन्होंने संस्कृत, इतिहास और राजनीति में पारंपरिक शिक्षा प्राप्त की। शिवाजी को बचपन से ही घुड़सवारी, तलवार बाजी और तीरंदाजी का शौक था।

    शिवाजी महाराज के गुरु का नाम- Guru of Shivaji Maharaj

    शिवाजी महाराज का प्रारम्भिक प्रशिक्षण गुरु कोंडदेव के सानिध्य में हुआ था। जबकि शिवाजी का आध्यात्मिक   गुरु   महाराष्ट्र के अंतिम संत कवि रामदास थेइनकी रचना दशबोध में इनके उपदेशों का संकलन है।

     शिवाजी महाराज का परिवार

    मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराजभोंसले वंश के एक कुलीन परिवार से थेजो मराठा अभिजात    का हिस्सा था। शिवाजी का प्रारंभिक जीवन काफी उथलपुथल तथा राजनीति से प्रभावित था शिवाजी, जीजाबाई की आठ संतानों में सबसे बड़े थे। शिवाजी का विवाह साईबाई निमबालकर से 1640      में हुआ था। यह भी कहा जाता है कि शिवाजी की कई पत्नियाँ थी। 

     शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित मराठा साम्राज्य एवं सैन्य अभियान  –Maratha Empire founded by Shivaji Maharaj and military campaigns and battles

    मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज ने अपने राज्य की स्थापना और विस्तार के लिए अपने जीवनकाल में कई लड़ाइयाँ लड़ीं। अपने शत्रुओं के लिए उन्होने गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई। इसके तहत अचानक हमला कर शत्रु को आश्चर्य में डालना एवं अधिकतर हमले रात को किए जाते थे।  

       शिवाजी द्वारा लड़ी गई कुछ प्रमुख लड़ाइयाँ इस प्रकार हैं :

    प्रमुख लड़ाइयाँ

    कब हुई 

    लड़ाइयाँ किनके बीच हुई

    परिणाम

    बीजापुर का युद्ध

    1645

    बीजापुर सल्तनत और शिवाजी

    शिवाजी ने बीजापुर सल्तनत को हराया एवं बीजापुर  

    तोरन नामक पहाड़ी किले पर कब्जा किया, फिर राजगढ़पुरंदर 

    और सिंहगढ़ सहित क्षेत्र के कई अन्य किलों पर कब्जा 

    कर लिया।

     

    प्रतापगढ़ की लड़ाई

    1659

    आदिलशाही जनरल अफ़ज़ल खान और शिवाजी

    शिवाजी ने आदिलशाही जनरल अफ़ज़ल खान की सेना

     को हराया।

     

    कोल्हापुर की लड़ाई:

     

    1659

    आदिल शाही वंश और शिवाजी

    शिवाजी ने आदिल शाही वंश की सेना को हराया

    पवनखिंड की लड़ाई:

     

     

    1660

    मराठा सरदार बाजी प्रभु देशपांडे और आदिलशाह के सिद्दी मसूद के बीच भारत के महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर के पास विशालगढ़ किले के पास एक पहाड़ी दर्रे पर लड़ाई हुई।

     

    इसमें मराठों की विजय हुई ।

    उंबरखिंड की लड़ाई

     

    1661

    छत्रपति शिवाजी के अधीन मराठों और मुगलों के कर्तलब खान के बीच

    इसमें मराठों की विजय हुई ।

    सूरत युद्ध

     

    1664

    शिवाजी एवं  मुगल बादशाह औरंगजेब

    शिवाजी ने,  मुगल बादशाह औरंगजेब

    को हराया एवं वह शहर को लूटने और बड़ी मात्रा में धन 

    पर कब्जा 

    करने में कामयाब रहाजिसका उपयोग उन्होंने अपनी 

    सेना को वित्तपोषित करने और अपने किले बनाने के 

    लिए किया। इस छापे ने उन्हें पूरे भारत में प्रसिद्ध कर 

    दिया और उन्हें “पहाड़ों के राजा” की उपाधि भी दी गई।

     

    सिंहगढ़ की लड़ाई

     

    1670 

    आदिल शाही वंश और शिवाजी

    शिवाजी ने

    आदिल शाही वंश की सेना से सिंहगढ़ के किले पर 

    कब्जा कर लिया था।

     

    पुरंदर की लड़ाई

     

    1665

    शिवाजी एवं मुगल साम्राज्य के सेनापति मिर्जा राजा जय सिंह

    यह शिवाजी और मुगलों के बीच एक शांति संधि से समाप्त हुई।

     

     1674 मेंशिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी घोषित किया एवं  खुद को मराठा साम्राज्य का राजा घोषित 

    किया। इस प्रकार मराठा साम्राज्यशिवाजी के नेतृत्व मेंएक प्रमुख राजनीतिक एवं सैन्य शक्ति बनाकर उभरा

    शिवाजी महाराज की प्रशासनिक प्रणाली- Administrative system of Shivaji Maharaj

    अपने सैन्य कौशल के अलावाशिवाजी एक महान प्रशासक भी थे। उन्होंने उस समय के शक्तिशाली योद्धा परिवारों जिसे देशमुख कहा जाता था, के समर्थन से मराठों के लिए एक सुदृढ़ शासन की स्थापना की।  छत्रपति शिवाजी ने प्र्शासनिक मामलों के देखरेख एवं सलाह देने के लिए 8 मंत्रियों का परिषद गठन किया था जिसे अष्ट प्रधान कहा जाता था। पेशवा मंत्रियों में प्रथम थे। पेशवाओं के अधीनमराठों ने अपने साम्राज्य का अत्यधिक विस्तार किया। 

    अष्ट प्रधान आठ मंत्रियों की मंत्रिपरिषद 

    Ashta Pradhan – council of ministers of eight ministers

    अष्ट प्रधान आठ मंत्रियों की मंत्रिपरिषद 

                पेशवा या प्रधान मंत्री

    देश के प्रशासन का कार्यभार

     

                अमात्य या मजूमदार (वित्त                                    मंत्री)

    देश के राजस्व का कार्यभार

     

                सचिव

    पत्राचार एवं संवाद

     

                गृह मन्त्री या वक़-ए-नवीस

    घरेलू मामलों, राजा की सुरक्षाखुफिया विभाग का कार्यभार

     

                न्यायाधीश

    न्याय व्यवस्था का कार्यभार

     

                पंडितराव

    धार्मिक मामलों का कार्यभार

     

                सर-ए-नौबत या सेनापति

     

    सैन्य व्यवस्था का कार्यभार

                दबीर या सुमंत

     

    विदेश विभाग का कार्यभर

     

    कर व्यवस्था -: चौथ और सरदेशमुखी-Tax System -: Chauth and Sardeshmukhi

    शिवाजी ने कराधान की एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रणाली लागू की जिसे आर्थिक विकास और विकास को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया था। उसने पिछले शासकों द्वारा लगाए गए अन्यायपूर्ण करो को समाप्त कर दिया, राजस्व उगाही सीधे किसानों से एकत्र करने के लिए शिवाजी ने जागीरदारी प्रणाली को समाप्त किया एवं रैयतवारी की शुरुआत की।
     
    चौथ और सरदेशमुखी जैसे नए करो की शुरुआत की, जो पड़ोसी राज्यों और क्षेत्रों पर लगाए गए थे।

    चौथ- कुल भू राजस्व का 1/4, अर्थात् 25 प्रतिशत, एक वार्षिक कर था।

    सरदेशमुखी को मराठा साम्राज्य के अधीन मुगल क्षेत्रों से इकट्ठा किया जाता था । सरदेशमुखी 9 से 10% वसूला जाता था।

    न्याय व्यवस्था Judicial system :

    शिवाजी न्याय के लिए प्रतिबद्ध थे और विवादों को निष्पक्ष रूप से हल करने के लिए अदालतों और न्यायाधीशों की एक प्रणाली स्थापित की।

    उन्होंने जानकार और अनुभवी न्यायाधीशों को नियुक्त किया जिन्हें उनकी योग्यताकौशल और ईमानदारी के आधार पर चुना जाता था।

     सैन्य व्यवस्था-military system:

    शिवाजी की सेना उनके साम्राज्य की रीढ़ थी, सेना अच्छी तरह से प्रशिक्षितअनुशासित और कुशल हो। उन्होंने भर्ती की एक योग्यता आधारित प्रणाली की स्थापना की।

     स्थानीय प्रशासन-Local Administration:

    शिवाजी ने शासन की विकेंद्रीकृत प्रणाली की स्थापना की जो स्थानीय प्रशासन पर आधारित थी। उसने अपने साम्राज्य को छोटे– छोटे जिलों में विभाजित कियाजिनमें से प्रत्येक का नेतृत्व एक स्थानीय प्रशासक द्वारा किया जाता था जिसे देशमुख के नाम से जाना जाता था।  

    देशमुख कानून और व्यवस्था बनाए रखनेकर एकत्र करने और लोगों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए जि म्मेदार थे। 

    शिवाजी जयंती कैसे मनाई जाती है ? How is Shivaji Jayanti celebrated? 

    शिवाजी जयंती हर वर्ष मनाया जाने वाला  एक वार्षिक पर्व  है जो हर साल 19 फरवरी को भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाई जाती है, खासकर महाराष्ट्र राज्य में, जहां इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है।           

    शिवाजी जयंती का उत्सव मराठा ध्वज फहराने के साथ शुरू होता है, जिसके बाद एक प्रार्थना समारोह होता है। ध्वजारोहण उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है।

    समारोह में विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम भी शामिल होते हैं, जो राज्य के विभिन्न हिस्सों में आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में पारंपरिक नृत्य, संगीत प्रदर्शन, नाटक और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल हैं, इसमें महाराष्ट्र की समृद्ध संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करती हैं।

    शिवाजी महाराज के सम्मान में लोग जुलूस और परेड का आयोजन करते हैं। जुलूस आमतौर पर संगीत, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ होते हैं। 

    शिवाजी महाराज का जीवन परिचय (Biography of Shivaji Maharaj)
    image credit Pexels- शिवाजी के नाम पर रखा गया है – मुंबई स्थित क्षत्रपति शिवाजी टर्मिनल

    शिवाजी की मृत्यु-  3 अप्रैल 1680 को,  मात्र 50 वर्ष की आयु में हुई।

    निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि शिवाजी एक महान नेता और योद्धा थे जिन्होंने एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए शासन की एक ऐसी प्रणाली स्थापित की जो स्वशासन के सिद्धांतों पर आधारित थी। भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन को शिवाजी के स्व-शासन और संप्रभुता के विचारों से प्रेरणा मिली।

    उनकी सैन्य रणनीति, किलेबंदी की रणनीति और नेतृत्व कौशल की अभी भी प्रशंसा की जाती है। शिवाजी आज भी उन सभी के लिए प्रेरणा बने हुए हैं जो स्वतंत्रता, न्याय और साहस को महत्व देते है। शिवाजी जयंती केवल उत्सव का दिन नहीं है बल्कि शिवाजी महाराज की स्मृति को जीवित रखने और भविष्य की पीढ़ियों को एक बेहतर और समृद्ध निर्माण करने की प्रेरणा है।
     

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    छत्रपति शिवाजी महाराज के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न/Frequently Asked Questions 

    Q- महाराष्ट्र का सबसे महान राजा कौन है?

    A- छत्रपति शिवाजी महाराज

    Q- शिवाजी के किले का नाम क्या है?

    A- रायगढ़ किला।

    Q- शिवाजी की अंतिम युद्ध कौन सा था?

    A- संगमनेर की लड़ाई, 1679

    Q- शिवाजी ने पहला किला कब जीता था?

    A- शिवाजी ने 16 वर्ष की आयु में अपना पहला किला तोरण किला जीता।

    Q- शिवाजी को मुगलों ने कब हराया? क्या मुगलों ने शिवाजी को हराया था? क्या नसीरी खान ने शिवाजी को हराया था?

    A- 1657 में अहमदनगर की लड़ाई में नसीरी खान ने शिवाजी को हराया।

    Q- शिवाजी महाराज का सबसे बड़ा किला कौन सा है?

    A- रायगढ़ किला

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