पोइला बोइशाख 2025: नए साल की नई शुरुआत ‘बंगाल की मिठास के साथ’।

पोइला बोइशाख 2025: पश्चिम बंगाल में पोइला बोइशाख को नोबोबोरशो के नाम से जाना जाता है। बंगाली समुदाय के लोग इस दिन को नए साल के रूप में मनाते है। पोइला बोइशाख ख़ासकर पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम जैसे राज्यों में बंगाली समुदाय द्वारा मनाया जाता है। पोइला बोइशाख बंगाली कैलेंडर का पहला दिन होता है अर्थात् इस दिन से नए साल की शुरुआत होती है।

पोइला बोइशाख की तिथि:

साल 2025 में पोइला बोइशाख 15 अप्रैल दिन-मंगलवार को मनाया जाएगा। पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में पोइला बोइशाख की धूम सबसे अधिक देखने को मिलती है।

पोइला बोइशाख का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

प्राचीन काल में बंगाली युग की शुरुआत शोशांगको द्वारा की गई थी तथा इस युग की शुरुआत आज से लगभग कई साल पहले 594 ईसवी में हुई थी। तब इस दिन को ‘बंगाब्दा’ के नाम से जाना जाता था। इस तरह बंगाली कैलेंडर की शुरुआत बैशाख के महीने से मानी जाती है अर्थात् इस मौसम में फसल की कटाई की जाती है तथा बैसाख में फसलों की कटाई होने की वजह से इस दिन को ‘पोइला बोइशाख’ के रूप में मनाया जाने लगा।

पोइला बोइशाख 2025
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पोइला बोइशाख कैसे मनाया जाता है?

  • पोइला बोइशाख की धूम कोलकाता में सबसे अधिक देखने को मिलती है। पोइला बोइशाख के दिन सुबह जल्दी उठ कर गंगा स्नान करते है उसके बाद लोग अपने घरों में पूजा-पाठ करते है तथा इस दौरान लोग नए कपड़े पहनते है।
  • पोइला बोइशाख के दिन बंगाली लोग अपने घरों में तरह-तरह का पकवान बनाते है। ख़ासकर पोइला बोइशाख के दिन हर बंगाली के घर पंता भात तथा हिल्सा माछ जरुर बनाई जाती है।
  • पोइला बोइशाख के दिन गौ माता की पूजा का विशेष महत्व है। ख़ासकर कोलकाता में इस दिन गाय की पूजा की जाती है तथा इस दौरान गाय माता को तिलक लगाया जाता है और उन्हें भोग भी खिलाया जाता है। साथ ही साथ पोइला बोइशाख के दिन मंदिरों को फूलों तथा लाइटों से सजाया जाता है।
  • पोइला बोइशाख के दिन हर एक बिजनेसमैन अपने पुराने खाते को बंद कर नए खाते खोलते है। जो नए साल की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
  • पोइला बोइशाख के दिन लोग अपने रिश्तेदारों तथा दोस्तों के पास जाना पसंद करते है तथा इस दौरान वे अपने साथ मिष्टि दोई, रोसोगुल्ला तथा सोंदेश उपहार में ले जाते है।

पोइला बोइशाख के दिन मनाए जाने वाले अन्य पर्व:

पोइला बोइशाख का त्योहार पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा तथा असम में धूम-धाम से मनाया जाता है। वहीं पंजाब में इस दिन को ‘बैसाखी’ के रूप में मनाया जाता है तथा पंजाब में इस त्योहार को फसल उत्सव के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। पोइला बोइशाख के दिन असम में ‘बिहू’ त्योहार की धूम देखने को मिलती है तथा तमिलनाडु में इस दिन को ‘पुथांडु’ के रूप में मनाया जाता है।

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