One Nation One Election : जानें ‘One Nation One Election’ क्या है एवं इसकी चर्चा क्यों हो रही है?

One Nation One Election: ‘One Nation One Election’ की अवधारणा इस बात पर ज़ोर देती है कि लोकसभा चुनाव,  राज्य विधानसभाओं के चुनाव, स्थानीय चुनाव जैसे नगरपालिका एवं पंचायती चुनाव एक साथ करवाए जाए जिससे कि अलग-अलग चुनाव में होने वाले खर्चों में कमी आएगी। इसके साथ ही ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’, लागू होने से प्रशासनिक एवं सुरक्षा बलों के कार्मिकों पर बार-बार चुनाव करवाने के दवाब नहीं होगा, उन्हें विकास कार्य में लागया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त मतदाताओं को सही उम्मीदवार को चुनने में मदद मिलेगी, उसके सामने राजनीतिक दलों द्वारा किए गए कार्यों की स्पष्ट छवि रहेगी।

One Nation One Election पर गठित समिति पर एक संक्षिप्त दृष्टि

One Nation One Election पर उच्च स्तरीय सरकारी समिति का नामHigh Level Committee (HLC)
One Nation One Election पर उच्च स्तरीय सरकारी समिति का गठनसितंबर 2023 में
समिति के अध्यक्षभारत के माननीय राष्ट्रपति
One Nation One Election की वेबसाइटhttps://onoe.gov.in/
One Nation One Election का लक्ष्यलोकसभा एवं विधान सभाओं के चुनाव एक साथ करवाने से सरकारी पैसे, समय एवं संशधनों की बचत होगी

भारत की चुनाव प्रणाली – राजनीतिक व्यवस्था

जैसा कि हम जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत ने  संसदीय व्यवस्था को अपनाया है। भारत का राष्ट्रपति देश का राष्ट्राध्यक्ष तथा प्रथम नागरिक एवं भारत में सभी रक्षा बलों का सर्वोच्च कमांडर-इन-चीफ होता है। जबकि प्रधानमंत्री  लोकसभा के चुनाव में बहुमत वाली पार्टी का प्रमुख नेता एवं केंद्रीय मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है। 

संविधान में कहा गया है कि भारत राज्यों का संघ है एवं संसदीय व्यवस्था में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच संवैधानिक रूप से शक्तियों का बंटवारा किया गया है। राज्य प्रमुख को राज्यपाल कहा जाता है जबकि राज्य के बहुमत वाली पार्टी का प्रमुख नेता एवं राज्य मंत्रिपरिषद के प्रमुख को मुख्यमंत्री कहा जाता है जिनके पास राज्य की सारी  कार्यकारी शक्तियाँ रहती है। 

वहीं एक ओर राज्य में ही विकसित क्षेत्रों का प्रशासन नगरपालिका के  हाथों होती है तो अविकसित क्षेत्रों का प्रशसन स्थानीय स्व-शासन अर्थात पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद के हाथों होती है। इन सभी स्तरों पर नेतृत्व के चयन के लिए चुनाव आयोग द्वारा विभिन्न चुनाव आयोजित किए जाते हैं: 

लोकसभा का चुनाव या आम चुनावहर पाँच साल में होने वाले ये चुनाव संसद के निचले सदन, लोकसभा के लिए होता है। संसद में संसदीय सदस्यों, जिसे Memeber of Parliament अर्थात MP कहा जाता है,  के चुनाव के लिए आम चुनाव प्रति 5 वर्ष में 1 बार आयोजित किया जाता है।  भारत के लोक सभा (निचले सदन) के लिए 543 सदस्यों को चुनने के लिए 5 वर्षों में एक बार चुनाव होते हैं। 
राज्य विधान सभा चुनावराज्य विधान सभा का चुनाव भी प्रति 5 वर्ष  में 1 बार आयोजित किया जाता है। इसके सदस्यों को MLA (Member of Legislative Assembly) कहा जाता है। हर एक राज्य में विधान सभा की सीटें अलग -अलग होती है, जैसे उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सीटें 404 है तो सिक्किम में मात्र 32 हैं।
स्थानीय निकायों के चुनाव (पंचायत एवं नगरपालिका)नगर निगम, नगर पालिकाएँ और ग्राम पंचायतें, पंचायत समिति, जिला परिषद आदि के चुनाव नागरिक सुविधाएं, स्वच्छता और सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है।
उपचुनावअगर विधान सभा या लोकसभा के किसी सदस्य के इस्तीफों, मौतों या अयोग्यताओं के कारण सीटें खाली हो जाती हैं तो उपचुनाव, कराया जाता है।
राष्ट्रपति चुनावराष्ट्रपति के लिए चुनावी प्रक्रिया में संसद के दोनों सदनों और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसे अप्रत्यक्ष चुनाव कहते हैं।
राज्यसभा चुनावलोकसभा के विपरीत, राज्यसभा के सदस्य सीधे लोगों द्वारा नहीं चुने जाते हैं, बल्कि राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।

One Nation One Election क्या है?

  • लोकसभा एवं विधान सभाओं के चुनाव एक साथ करवाने की अवधारणा पर आधारित है-One Nation One Election
  • लोकसभा एवं विधान सभाओं के चुनाव एक साथ करवाने से सरकारी पैसे, समय एवं संशधनों की बचत होगी
  • मतदाता सराकरी नीतियों एवं कार्यक्रमों के बारे में निर्णय ले सकेंगे कि राजनीतिक दलों ने किस प्रकार के लोककल्याण संबंधी कार्य किए।

One Nation One Election क्यों जरूरी है? 

  1. बार-बार होने वाले विभिन्न चुनावों से सरकारी पैसों एवं संसधनों पर बोझ एवं दवाब पड़ता है। अगर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाए तो सरकारी पैसों एवं संसधनों की बचत हो सकती है।
  2. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों के चुनाव के लिए मतदाताओं को बार-बार वोट देने की जरूरत नहीं होगी। मतदाता एक ही दिन, एक ही समय पर अपना वोट दे सकेंगे।
  3. चुनावों एक साथ होने से सुरक्षा बलों एवं सरकारी कर्मियों को एक ही बार काम पर लगाया जा सकेगा। उन्हें अन्य विकास संबंधी कार्य में लगाया जा सकेगा। सरकारी नीतियों का समय पर क्रियान्वयन किया ज सकेगा।
  4. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंने पर चुनाव खर्च, पार्टी खर्च आदि पर नज़र रखने में मदद मिल सकती है।
  5. चुनाव आयोग द्वारा हर चुनाव के समय देश में आचार संहिता लागू करने से विकास की आर्थिक गतिविधियाँ ठहर जाती है। बार -बार चुनाव नहीं होने से इस स्थिति से निपटा जा सकेगा।
  6. बार बार चुनाव होने से राजनीतिक पार्टियाँ हमेशा चुनाव के मूड में ही रहती है। एक बार चुनाव होने से वे देश के विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।।

One Nation One Election लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन

  • One Nation One Election लागू करने के लिए कुछ संवैधानिक संशोधन करने की आवश्यकता होगी, जो कि नाम मात्र का होगा। उच्च स्तरीय समिति ने अनुच्छेद 83 एवं 172 को संशोधित किए जाने की सिफ़ारिश की है।
  • सांसद के कार्यकाल की अवधि-अनुच्छेद 83: इस अनुच्छेद के अनुसार लोकसभा का कार्यकाल अपनी पहली बैठक की तारीख से पाँच वर्ष का होगा।
  • विधानसभा के कार्यकाल की अवधि-अनुच्छेद 172: इस अनुच्छेद के अनुसार विधानसभा का कार्यकाल अपनी पहली बैठक की तारीख से पाँच वर्ष का होगा।

One Nation One Election की संकल्पना दुनियाँ के किन – किन देशों में लागू है?

दुनियाँ के ऐसे कई देश हैं जहां राष्ट्रीय चुनाव के साथ राज्य एवं स्थानीय चुनाव एक साथ कराए जातें है। जिसमें दक्षिण अफ़्रीका एवं स्वीडेन प्रमुख है। इसके अलावा बोलिविया, ब्राजील, फिलीपींस, गुयाना आदि देश भी हैं, जहां इस तरह के चुनाव कराए जाते हैं।

लोकसभा एवं विधान सभाओं के चुनाव एक साथ कब करवाए गए थे?

देश जब पहली बार 1951-52 में इसी संकल्पना के साथ से लोकसभा एवं विधान सभाओं के चुनाव एक साथ करवाए गए थे तो बाद में आंशिक रूप से 1967 तक चलता रहा। इसके बाद चुनाव आयोग द्वारा पहली बार यह प्रस्ताव 1983 में आया था कि लोकसभा एवं विधान सभाओं के चुनाव एक साथ करवाए जाए।

निष्कर्ष:

भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में, एक राष्ट्र एक चुनाव (ONOE) की अवधारणा विवाद का विषय रहा है। कहा जा रहा है कि सभी चुनावों – स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय – को एक साथ करने से लोकतांत्रिक प्रक्रिया सुव्यवस्थित होगी, प्रशासनिक बोझ कम होगा और राजनीतिक खर्चों पर अंकुश लगेगा।

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