मुहर्रम मुसलमानों का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व वाला अत्यंत पवित्र त्योहार है। इस्लाम धर्म में वार्षिक कैलेंडर के पहले महीने को मुहर्रम कहा जाता है। चलिए जानते है कि मुहर्रम का इतिहास, तिथि, अर्थ एवं महत्व (Muharram) के बारे में-
मुहर्रम 2024 में कब है?
2024 में मुहर्रम का त्योहार 17 जुलाई(बुधवार) को मनाया जाएगा।
What is Muharram? मुहर्रम (Muharram) का अर्थ – Muharram meaning
“मुहर्रम” शब्द अरबी के “हरम” से निकला है, जिसका अर्थ है “निषिद्ध” या “पवित्र”। इसे अल्लाह का माह कहा जाता है, इसी से मुहर्रम के त्योहार की पवित्रता का पता चलता है।
इसके अलावा इस्लाम धर्म में चाँद को देखे जाने के आधार पर वार्षिक कैलेंडर की गणना की जाती है, जिसके पहले महीने को मुहर्रम का महीना कहा जाता है। देखा जाए तो इस माह से इस्लामी नव वर्ष की शुरुआत होती है।
मुहर्रम क्यों मनाया जाता है? (Why Muharram is celebrated?)
इस्लाम धर्म की रक्षा करते हुए इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ शहीद हो गए। मुहर्रम का त्योहार (Muharram Festivals) में इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए शोक एवं मातम मनाया जाता है।
“मुहर्रम” को जानने से पहले हिजरी कैलेंडर, मुहर्रम एवं आशूरा को भी जानना आवश्यक है-
हिजरी कैलेंडर एवं मुहर्रम (Hijri calendar and Muharram)
हिजरी कैलेंडर का महत्व (Importance of Hijri calendar)
हिजरी कैलेंडर का उपयोग धार्मिक त्योहारों की तारीखें निर्धारित करने के लिए किया जाता है, जैसे रमज़ान (उपवास का महीना), ईद-उल-फ़ितर (रमज़ान), और ईद अल-अधा (त्याग एवं बलिदान)।
हिजरी कैलेंडर पूरी तरह से चंद्र कैलेंडर है, यह ग्रेगोरियन कैलेंडर की तरह सौर वर्ष के साथ तय नहीं होता है, बल्कि चाँद दिखाई देने के आधार होती है। इसीलिए इस्लामी छुट्टियों एवं त्योहारों की तिथियाँ हर साल लगभग 11-12 दिन पीछे चली जाती हैं।
इसमें अलग-अलग अवधि के 12 महीने होते हैं, जो एक वर्ष में लगभग 354 या 355 दिन होते हैं।
हिजरी कैलेंडर के 12 माह
- Muharram-मुहर्रम
- Safar-सफ़र
- Rabi’ al-Awwal-रबी अल-अव्वल
- Rabi’ al-Thani-रबी अल-थानी
- Jumada al-Ula-जुमादा अल-उला
- Jumada al-Thani-जुमादा अल-थानी
- Rajab-रज्जब
- Sha’ban-शबान
- Ramadan-रमजान
- Shawwal-शावाल
- Dhu al-Qidah-धू अल-क़िदाह
- Dhu al-Hijjah-धू अल-हिज्जाह
आशूरा क्या है? मुहर्रम एवं आशूरा में क्या अंतर है? (What is Ashura? What is the difference between Muharram and Ashura?)
इस्लाम धर्म के संस्कृति और इतिहास में आशुरा और मुहर्रम दो महत्वपूर्ण सांस्कृतिक अवधारणाएँ हैं। आशूरा का तात्पर्य मुहर्रम माह के दसवें दिन से है जबकि मुहर्रम चंद्र कैलेंडर का पहला महीने को कहा जाता है।
मुहर्रम माह के 10वें दिन को आशूरा नाम से जाना जाता है। इस दिन ही कर्बला की लड़ाई में इमाम हुसैन और उनके साथियों ने धर्म की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। आशूरा के दिन इमाम हुसैन और उनके साथियों के बलिदान को याद करते हुए शोक एवं मातम मनाया जाता हैं। गरीबों को दान और सहायता दी जाती हैं।
मुहर्रम का इतिहास – हजरत इमाम हुसैन कौन थे ? हजरत इमाम हुसैन एवं मुहर्रम का पर्व
कर्बला का युद्ध (Battle of Karbala)
स्थिति को देखते हुए इमाम हुसैन अपने परिवार एवं कुल 72 साथियों के साथ मदीना से इराक के शहर कुफा की ओर प्रस्थान किया। जानकारों के अनुसार जब यजीद को इसकी सूचना मिली तो उसने अपने 8000 सैनिकों को लेकर कर्बला के रेगिस्तान में इमाम हुसैन एवं उनके साथियों का रास्ता रोक दिया। यजीद ने हुसैन को उसकी शर्त मानने को कहा कि उसे खलीफा की मान्यता दी जाए पर हुसैन ने साफ इंकार कर दिया।
क्रुद्ध होकर यजीद ने हुसैन एवं उनके साथियों का रास्ता कई दिनों तक रोककर रखा, रेगिस्तान में पानी का एकमात्र स्रोत एक नदी थी, नदी का पानी पीने से इमाम एवं उनके साथियों को रोक दिया गया। भूख-प्यास से सभी के हालत खराब हो रहे थे पर जिन्होंने धर्म एवं अल्लाह का मार्ग चुना था, उसके लिए भूख-प्यास कुछ नहीं था। जंग की शुरुआत हो चुकी थी।
एक तरफ हुसैन, उसका परिवार एवं कुल 72 साथियों तो दूसरी तरफ 8000 खूंखार एवं अस्त्रों से सुसज्जित सैनिक आमने सामने थे। हुसैन एवं उसके साथी बहादुरी से लड़ रहे थे, पर उनकी संख्या कम थी। युद्ध में हुसैन के साथी बहादुरी एवं वीरता से लड़ते हुए मारे जा रहे थे। हुसैन अंत तक अकेले ही लड़ रहे थे।
इमाम हुसैन एक दिन नमाज के वक्त खुदा का याद करते हुए नमाज पढ़ रहे थे जिसे एक सैनिक चुपके से देख रहा था। फिर उसने धोखे से हुसैन का कत्ल कर दिया। इस युद्ध में इमाम हुसैन के पुत्र एवं परिवार की भी ह्त्या कर दी गयी। यह दुखद घटना इस्लामी इतिहास में बलिदान, बहादुरी और अत्याचार के विरुद्ध प्रतिरोध का प्रतीक बन गई।
मुहर्रम से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण घटना यह कर्बला की लड़ाई है, जो मुहर्रम की 10 तारीख को वर्ष 61 हिजरी (680 ई.) में हुई थी। इस प्रकार इमाम हुसैन और उनके साथियों ने धर्म की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
मुहर्रम कैसे मनाया जाता है? (How is Muharram celebrated?)
ताजिया क्या है एवं ताजिया का महत्व? (What is Tajiya and the importance of Tajiya?)
‘या हुसैन’ के नारे
मुहर्रम के दिन जुलूसों और सभाओं का आयोजन
मुहर्रम का महत्व (Significance of Muharram)
कहा जा सकता है कि हिजरी कैलेंडर में मुहर्रम का महिना अत्यंत ही पवित्र एवं पाक है जिसका अत्यंत ही ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। इसीलिए इस माह को अल्लाह का माह भी कहा गया है। इस महीने में लोग 10 दिन तक रोजे रखते हैं।
यह त्योहार लोगों में एकता एवं सद्भाव की भावना को बढ़ावा देता है एवं भाईचारे को बढ़ावा देते हुए एक दूसरों के दुःख को कम करने का प्रयास करते हैं। गरीबो को दान एवं आर्थिक मदद भी की जाती है।
इस महीने के दौरान लोग इमाम हुसैन की शहादत पर सामूहिक शोक और मातम मनाने के लिए कई लोग एक साथ एकत्रित होते हैं। इस दिन लोग जुलूस, व्याख्यान और धार्मिक समारोहों का आयोजन कर ईमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं। लोग इस्लाम धर्म के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहीर करते हैं।
मुहर्रम पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ on Muharram)
Q-हिजरी कैलेंडर की शुरुआत कब हुई?
A- वर्ष 622 ई. में,
Q-शिया इस दिन मातम क्यों करते हैं?
A- शिया इस दिन को शहीदी दिवस के तौर पर मनाते हैं। उनकी याद में ताज़िया निकालते हैं.
Q-मोहर्रम में कितने रोज रखे जाते हैं?
A- 10 दिन
Q-इमाम हुसैन की कब्र कहां पर है?
A-ईराक के कर्बला शहर में ।
Q-कर्बला का मतलब क्या होता है?
A-जलहीन स्थान /ताजिये को दफन करने का स्थान