मकर संक्रांति: मकर संक्रांति का त्यौहार भारत में बड़े ही उत्साह तथा धूम-धाम के साथ मनाया जाता है और नए वर्ष के शुरुआत में ही मकर संक्रांति का पर्व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है तथा इस दिन लोग गंगा स्नान करने के बाद भगवान सूर्य देव को जल चढ़ाते है
हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है तथा इस दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ता है इसलिए मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहा जाता है. मकर संक्रांति से एक दिन पहले पंजाब में लोहरी का त्योहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है तथा पंजाब में लोहरी का त्योहार फसलों की अच्छी पैदावार होने से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के दिन से ही माघ मास का आरम्भ हो जाता है इसलिए इस त्योहार को माघी संगरांद भी कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का विशेष महत्व है तथा इस दिन गुजरात में इंटरनेशनल काइट फ़ेस्टिवल का आयोजन किया जाता है।
मकर संक्रांति कब मनाया जाता है?
हमारा भारत त्यौहारो का देश है तथा यह त्यौहार ही हमारे राष्ट्रीय संस्कृति की पहचान है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मकर संक्रांति का त्योहार हर साल पौष मास में तथा अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार जनवरी महीना में 14 तथा 15 तारीख़ को मनाया जाता है. मकर संक्रांति का त्योहार भारत के साथ-साथ नेपाल में भी इनकी धूम अधिक देखने को मिलती है.
मकर संक्रांति: Makar Sankranti In Hindi
मकर संक्रांति कब मनाया जाता है? | हिंदू कैलेंडर- पौष मास में अंग्रेज़ी कैलेंडर – जनवरी महीना |
2025 में मकर संक्रांति कब है? | 14 जनवरी 2025, दिन- मंगलवार |
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त | मंगलवार को सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर शुरू है। |
मकर संक्रांति का अन्य नाम? | खिचड़ी, पोंगल, बिहू |
मकर संक्रांति के दिन किस मेले का आयोजन किया जाता है? | गंगा सागर मेला। |
मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?
- मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य देव्(भास्कर) का अपने पुत्र शनिदेव से मिलन होता है तथा भगवान सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए उनके घर जाते है तथा शनि देव् मकर राशि के स्वामी है इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है.
2. पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही गंगा नदी, भागीरथी के पीछे चलकर सागर से मिली थी. तब जाकर भागीरथी ने दान-पुण्य कर इस दिन को ओर भी विशेष बनाया और इस दिन से ही मकर संक्रांति पर गंगा-स्नान कर दान-दक्षिणा का विशेष महत्व है.
3. महाभारत में पितामह भीष्म ने मकर संक्रांति के दिन ही अपना देह त्यागा था अर्थात मकर संक्रांति के दिन ही उनकी(पितामह) मृत्यु हुई थी तथा मान्यता है कि जो भी व्यक्ति मकर संक्रांति के शुक्ल पक्ष के दिन अपने देह को त्यागता है तो उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
4. पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने असुरो का सर काट कर मंदरा पर्वत पर दफनाया था जिससे सूर्य देव मंदरा पर्वत पर प्रकट हुए थे तथा सूर्य देव के उपस्थिती से ही वातावरण प्रकाशित हो गया और तभी से ही इस दिन सूर्य देव की आराधना की जाने लगी इसलिए मकर संक्रांति को हरियाली का उत्सव भी कहा जाता है.
मकर संक्रांति के दिन सूर्य का महत्व :-
मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि की ओर प्रवेश करने लगता है तथा एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करने की इस प्रक्रिया को संक्रांति कहा जाता है, लेकिन सूर्य मकर राशि की ओर विस्थापन करता है इसलिए इस त्योहार को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है तथा मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पुजा का विशेष महत्व है, इसके अलावा मकर संक्रांति को माघे संक्रांति तथा सूर्योत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य का आराधना किया जाता है तथा इस दिन लोग पवित्र नदी में जाकर स्नान कर डुबकी लगाते हुए सूर्य देव को अर्ध्य देते है, उसके बाद गरीबों और जरूरत मंदों को दान-दक्षिणा दिया जाता है। मकर संक्रांति के दिन सभी पुण्य कार्य सूर्य उदय के समय ही की जाती है इस तरह मकर संक्रांति का यह त्यौहार वर्षो से चली आ रही परंपरा तथा शांति के साथ मनाया जाता है.
मकर संक्रांति के दिन से वर्ष के शुरूआत में लगे खरमास का अंत होता है तथा इस दिन से सूर्य उतरायण यात्रा शुरू करता है अर्थात् उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है और इस दिन से दिन की लम्बाई बढ़नी लगती है और रात छोटे होने लगते है। जिससे इस पर्व को उत्तरायण भी कहा जाता है तथा इसके अगले दिन से माघ मास का महिना शुरू हो जाता है. मकर संक्रांति के दिन से ही मौसम परिवर्तन होने लगता है।
मकर संक्रांति का महत्व:
गंगा स्नान का विशेष महत्व–
हिन्दू शास्त्रों में भगवान संक्रांति को देवता माना जाता है तथा इस दिन संकरासुर राक्षस का वध हुआ था जिससे इस दिन गंगा स्नान कर भगवान सूर्य को जल अर्पित किया जाता है. गंगा स्नान कर दान-दक्षिणा देना आदि सभी पुण्य कार्य मकर संक्रांति के दिन किए जाते है।
दिन-रात का होना:–
मकर संक्रांति के पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध मे स्थित होता है इसलिए रात बड़ी और दिन छोटे होते है लेकिन मकर संक्रांति के बाद सूर्य उतरी गोलार्ध की ओर जाने लगता है जिससे भारत में दिन बड़े और रात छोटे होने लगती है और वसंत ऋतु का आगमन शुरू होने लगता है.
मकर संक्रांति को किन-किन नामों से जाना जाता है?
मकर संक्रांति त्योहार को भारत के कई राज्यों मे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. मकर संक्रांति को मगही, माघे संक्रांति, बिहू, पोंगल, खिचड़ी तथा उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है.
असम में मकर संक्रांति –
असम में मकर संक्रांति त्योहार को बिहु तथा भोगाली बिहू के नाम से जाना जाता है तथा यह एक राष्ट्रीय त्योहार है। मकर सक्रांति के दिन लोग अपनी पारंपरिक भोजन- तिल तथा मुरमुरा के लड्डू , सफेद चावल का पीठा, घेवर तथा पोहा आदि का पकवान बनाते है और इस त्योहार को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते है।
बिहार में मकर संक्रांति-
बिहार तथा पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में मकर संक्रांति को खिचड़ी कहा जाता है तथा इस दिन यहाँ के लोग चावल और दाल से बने खिचड़ी जैसे सात्विक भोजन का सेवन करते है इसके अलावा मकर सक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का विशेष महत्व होता है तथा मकर संक्रांति के दिन तिल का दान किया जाता है तथा मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन दान-द्क्षिना करने से हमें पुण्य की प्राप्ति होती है।
तमिलनाडू में मकर संक्रांति–
तमिलनाडु में मकर सक्रांति को पोंगल कहा जाता है तथा तमिलनाडु में यह त्योहार भगवान इंद्र को समर्पित है। मान्यता है कि मकर सक्रांति के दिन भगवान इन्द्र की पूजा करने से इंद्र देवता प्रसन्न होते है और धरती पर वर्षा करते है और इससे फसल की पैदावार भी अच्छी होती है तथा इस उत्सव में भगवान सूर्य, माँ प्रकृति और जानवरों को धन्यवाद किया जाता है इसलिए मकर सक्रांति को हरियाली का प्रतीक भी कहा जाता है.
गुजरात में मकर संक्रांति –
गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण कहा जाता है तथा यहाँ पर मकर सक्रांति को पतंग उत्सव के नाम से भी जाना जाता है तथा इस दिन गुजरात राज्य मे INTERNATIONAL KITE FESTIVAL का आयोजन किया जाता है और इस उत्सव में दुनिया के कई देश हिस्से लेते है. इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन लोग गुङ और तिल का लड्डू, नारियल की बर्फी तथा बादाम की चिक्की आदि का सेवन करते है.
नेपाल में मकर संक्रांति –
नेपाल में मकर संक्रांति का त्योहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है तथा इस दिन यहाँ पर सरकार द्वारा सार्वजनिक छुट्टी दी जाती है और यहाँ पर मकर संक्रांति का त्योहार फ़सलो की अच्छी पैदावार होने की खुशी के रूप में मनाया जाता है तथा इस दौरान रबी की फसलें खेतों में लहलाती है और सरसों की अच्छी पैदावार होने से उनके फूल पूरे वातावरण को मनमोहक बना देती है, जिससे पूरे वातावरण में खुशी का माहौल छा जाता है।
मकर संक्रांति में गंगा सागर मेला का आयोजन :-
पश्चिम बंगाल मे मकर संक्रांति का त्योहार बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है तथा यहाँ पर मकर संक्रांति के कुछ दिन पहले से ही गंगा सागर मेला का आयोजन शुरू हो जाता है. गंगा सागर मेला, कुम्भ के मेले के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला है तथा गंगा सागर मेला कोलकाता के दक्षिण में स्थित बंगाल की खाङी में आयोजन किया जाता है तथा इस मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते है. गंगासागर मेला के बारे में एक कहावत काफी प्रसिद्ध है- सब तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार.
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