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कारक किसे कहते हैं, जानें कारक की परिभाषा, शुद्ध प्रयोग, चिन्ह, भेद, उदाहरण, प्रकार की सम्पूर्ण जानकारी। (karak kise kahate hain aur uske bhed)

कारक किसे कहते हैं: कारक, क्रिया से जुड़ा हुआ है। दूसरे शब्दों में हम वाक्य में काम करने वाले या क्रिया को करने वाले कारक कह सकते हैं। यह किसी वाक्य में संज्ञा एवं सर्वनाम शब्दों को जोड़ने का भी कार्य करता है। आइए जानते है कि कारक किसे कहते हैं, कारक चिन्ह क्या -क्या है , कारक के कितने भेद हैं, आदि की सम्पूर्ण जानकारी।

Table of Contents

कारक किसे कहते हैं ? (karak kise kahate hain)

किसी वाक्य में प्रयुक्त ऐसे शब्द जिसका क्रिया के साथ संबंध स्थापित होता है, दूसरे शब्दों में कारक की परिभाषा के अंतर्गत ऐसे संज्ञा एवं सर्वनाम शब्दों को लिया जाता है जिसका क्रिया से संबंध स्थापित हो। जैसे मोहन ने सोहन से 10 रुपए के लिए मारपीट की। इस वाक्य में ने, से, के लिए कारक परसर्ग से मारपीट का संबंध स्थापित हो रहा है।

कारक का शाब्दिक अर्थ क्या है? (karak ki paribhasha)

कारक का शब्दिक अर्थ है – किसी वाक्य में ‘क्रिया को करने वाला या किसी शब्द का क्रिया से संबंध स्थापित करने वाला। जैसे महाकाली ने रण में राक्षसों का वध किया। यहाँ क्रिया (वध) को करने वाला है – महाकाली जिसे ने कारक द्वारा क्रिया से संबंध स्थापित किया गया है।

कारक के 10 उदाहरण

  1. हनुमान ने सीता को बचाया।
  2. सीता ने एक पत्र लिखी।
  3. राम को बाज़ार से आम लाने को कहा।
  4. मै बस से जा रहा हूँ।
  5. मेज़ पर किताब रखी हुई है।
  6. मैंने धोबी से कपड़ा धुलवाया।
  7. नौकर के हाथों खाना भेजवाया गया।
  8. मै तालाब के पास खड़ा हूँ।
  9. यह गाड़ी राम की है।
  10. वह पेड़ से गिर पड़ा।

कारक चिह्न/विभक्तियाँ/परसर्ग किसे कहते है? (karak chinh)

कई लोग कारक चिह्न को विभक्ति या परसर्ग भी कहते हैं। कारक चिह्न वाक्य में शब्दों को अर्थात् संज्ञा एवं सर्वनाम शब्दों को क्रिया से जोड़ने का कार्य करता है। जैसे राम ने रावण को तीर से मारा। यहाँ संज्ञा एवं सर्वनाम शब्द राम, रावण, तीर को क्रिया मारने का संबंध कारक चिह्न ने, को, से के द्वारा हो रहा है। कारक चिह्न इस प्रकार हैं- ने, को, से, द्वारा, को, के लिए, का-के-की, रा-रे-री, में, पर, हे, अरे, हाय आदि।

कारक कारक चिह्न/विभक्तियाँ/परसर्ग
कर्ता ने
कर्म को
करण से, द्वारा
सम्प्रदान को, के लिए
अपादान से
सम्बन्ध का-के-की, रा-रे-री
अधिकरण में, पर
सम्बोधन हे, अरे, हाय,

कारक के भेद एवं उदाहरण (karak ke bhed)

हिंदी भाषा में कारकों की कुल संख्या 8 मानी गयी है, कारक के भेद एवं उदाहरण पर संक्षिप्त परिचय टेबल में प्रस्तुत किया गया है, जो इस प्रकार है: –

  1. कर्ता कारक
  2. कर्म कारक
  3. करण कारक
  4. सम्प्रदान कारक
  5. अपादान कारक
  6. सम्बंध कारक
  7. अधिकरण कारक
  8. संबोधन कारक
कारक परिभाषा कारक चिह्न/विभक्तियाँ/परसर्ग
कर्ता कारकक्रिया को करने वाला कर्ता ने, या ने के बिना
कर्म कारकजिस पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है को या बिना को के
करण कारकक्रिया के साधन से, के द्वारा, साथ
सम्प्रदान कारकजिसके लिए कार्य किया गया हो के लिए,
संबोधन कारककिसी को बुलाना या संबोधित करना हे, अरे, हाय,
अपादान कारकअलगाव या पृथक होने का बोध हो से
सम्बंध कारकक्रिया के संबंध का बोध हो का-के-की, रा-रे-री
अधिकरण कारककार्य का स्थान या आधार में, पर,

कर्ता कारक: कर्ता कारक किसे कहते है?

जिस संज्ञा या के जिस रूप से क्रिया को संपत्र करने वाला बोध हो, उसे कर्ता कारक कहते है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि क्या कोई कार्य बिना कर्ता के हो सकता है। किसी भी वाक्य में कर्ता एवं क्रिया के संबंध को नकारा नहीं जा सकता है। कर्ता कारक का मुख्य कारक चिह्न ‘ने’ है। वाक्य में कभी ‘ने’ का प्रयोग होता है तो कभी नहीं। ‘ने’ का प्रयोग क्रिया पर आधारित होता है।

कर्ता कारक के 10 उदाहरण

  1. मोहन ने पत्र लिखा।
  2. रमेश ने किताब पढ़ी।
  3. सुनील किताब पढ़ता है।
  4. सोहन ने किताब लाया।
  5. शिक्षक ने पढ़ाया।
  6. कृष्ण ने राधा की मदद की।
  7. राम ने घर बनवाया।
  8. सोहन ने पुस्तक ख़रीदी।
  9. पुलिस ने चोर को पकड़ा।
  10. श्याम ने कृष्णा को क्यों मारा?

वाक्य में कर्ता कारक अर्थात् ‘ने’ का शुद्ध प्रयोग

यह एक सर्वमान्य सिद्धांत है कि वाक्य में ‘ने’ का प्रयोग क्रिया के आधार पर होता है कर्ता के आधार पर नहीं। वाक्य में कर्ता कारक अर्थात् ‘ने’ के प्रयोग का संक्षिप्त परिचय नीचे दिया गया है।

1- प्रेरणार्थक क्रियाएँ (जहां कार्य कोई दूसरा करता हो) कर्म के साथ आती है, अतः जहाँ भी प्रेरणार्थक क्रियाएँ हों वहाँ ‘ने’ या करता कारक का प्रयोग होना चाहिए। जैसे –

  • राम ने मोहन से घर बनवाया।
  • मैंने उसे पढ़ना -लिखना सिखाया।
  • सीता ने अपने बच्चे को सिलाई मशीन सिखाई।

2- क्रिया भूतकाल अर्थात् अपूर्ण भूत (Past Continuous) रहने पर ‘ ने ‘ का प्रयोग नहीं होगा। जैसे

राम खाना खा रहा था।-सही

राम ने खाना खा रहा था – गलत

सीता सो रही थी -सही

सीता ने सो रही थी।

3- ऐसी सभी क्रियाएँ जो कर्म के साथ आती है अर्थात् सकर्मक होती है जैसे –

  • पुष्पा ने पुस्तक पढ़ी।
  • उसने अपनी मेहनत से परीक्षा पास की।
  • राम ने फिल्म देखी।
  • लड़के ने लड़की को देखा।

कर्म कारक (karm karak) : कर्म कारक किसे कहते है?

वाक्य में क्रिया का फल अर्थात् कर्म पर पड़ता है। दूसरे शब्दों में क्रिया का फल जिस शब्द पर पड़े उसे कर्म कारक कहते हैं। इसकी विभक्ति ‘को’ है। जैसे – मोहन ने राम को पढ़ाया। पढ़ाने का प्रभाव राम पर पड़ रहा है।

कर्म कारक के 10 उदाहरण:

  1. राम ने रावण को मारा।
  2. कृष्ण को बुलाओ
  3. राधा ने बड़े को सम्मान दी।
  4. पूलीस ने चोर को पकड़ा।
  5. गोपाल को आयोध्या घूमना है।
  6. सोहन को काम पर जाना है।
  7. राम को स्कूल जाना है।
  8. उसको घर जाना है।
  9. राम को सिनेमा देखने जाना है।
  10. रहीम को अपने नानी घर जाना है।

वाक्य में कर्म कारक अर्थात् ‘को ‘ का शुद्ध प्रयोग

1-वाक्य में कर्म कारक अर्थात् ‘को ‘ का प्रयोग हमेशा जीवित (living things) कर्म के साथ होता है, जैसे-

  • मैने राम को साइकल चलाना सिखाया
  • सीता राम को पसंद करती है, पर कह नहीं पाती
  • पुलिस ने चोर को पकड़ा।

2- वाक्य में कर्म कारक अर्थात् ‘को ‘ का प्रयोग निर्जीव (non-living things) कर्म के साथ नहीं होता है, जैसे-

  • राम ने आम को खाया।-गलत
  • राम ने आम खाया-सही

3-जहाँ कर्ता को अनिवार्य कार्य करने हो अर्थात् वाक्य से किसी बाध्यकारी वाक्य को बोध हो जैसे –

  • राम को कल परीक्षा देना ही है।
  • सोहन को कल कार्यालय जाना है।
  • मुझे (मुझको) घर जाना है।

करण कारक किसे कहते है?

क्रिया के जिस साधन से कार्य पूरा होता है। उसे करण कारक कहते हैं। इसकी विभक्ति ‘से ‘ एवं ‘द्वारा’ है। जैसे – राम कलम से लिख रहा है। सभी लोग ट्रेन से शिमला जा रहें हैं।

कारण कारक के 10 उदाहरण

  1. राम से कहो खाना खा ले
  2. पुलिस द्वारा चोर को मारा जाता है।
  3. कृष्ण गेंद से खेल रहा है।
  4. सुमन के द्वारा खाना बनाया गया।
  5. पेड़ से पते गिर रहें हैं।
  6. राम कलम से लिख रहा है।
  7. सभी लोग ट्रेन से शिमला जा रहें हैं।
  8. यह पत्र डाक से आया है।
  9. पानी से बर्फ़ बन सकता है।
  10. बच्चे खिलौने से खेल रहें हैं।

वाक्य में करण कारक अर्थात् ‘से ‘ एवं ‘द्वारा’ का शुद्ध प्रयोग

1-‘से’ का प्रयोग साधन के लिए होता है एवं सभी प्रकार के वस्तुओं अर्थात् सजीव तथा निर्जीव दोनों में इसका प्रयोग होता है।

  • राम ट्रेन से आ रहा है।
  • वह कलम से लिख रहा है।
  • उसे चोरी करते हुए मोहन ने अपनी आँखों से देखा।

2-‘से’ का प्रयोग कारण, पृथक होने का बोध एवं स्थान में परिवर्तन दर्शाने के लिए भी किया जाता है-

  • राम का पड़ोसी कैंसर से मर गया। -कारण
  • राम मुंबई से घर आ रहा है। -स्थान परिवर्तन
  • भूख से वह तड़प रहा है।-कारण
  • वह छत से कूद पड़ा। -स्थान परिवर्तन

3-‘के द्वारा’ का प्रयोग तब किया जाता है, जब किसी के माध्यम से या किसी व्यक्ति के कारण कोई कार्य सम्पन्न हुआ है –

डाकिया द्वारा पत्र प्राप्त हुआ। राम द्वारा पत्र लिखा गया।

4-असमर्थता या लाचारी का भाव होने पर ‘से’ का प्रयोग किया जाता है-

  • उससे लिखा नहीं जाएगा।
  • राम से पढ़ा भी नहीं जाता।
  • इस बीमारी में सीता से उठा नहीं जा सकता।

5- तुलना के लिए –

  • राम, श्याम से अधिक बलवान है।
  • वह रोहन से पढ़ने में अच्छा है।
  • वह सोहन से लम्बा है।

6-किसी लम्बे समय का बोध कराने लिए –

  • वह कई महीनों से स्कूल नहीं आया।
  • वह मंगलवार से आ सकता है।

7-किसी भी प्रकार के डर या ख़तरे की आशंका से

  • बढ़ती तकनीक से खतरा हो सकता है।
  • उसे ऊँचाई से डर लगता है।
  • राम को भूत से डर लगता है।

संप्रदान कारक की परिभाषा

जिसके लिए कोई कार्य किया जाता है या जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्य किया जाता हो, उसे संप्रदान कारक कहते हैं। इसकी विभक्ति ‘के लिए’, ‘को’, ‘हेतु’ है। कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं-

संप्रदान कारक के 10 उदाहरण

  1. माँ अपने बच्चों के लिए खाना पकाती है।
  2. पिता अपने बच्चों के लिए खिलौना ख़रीदता है।
  3. सोहन पढ़ने के लिए स्कूल जा रहा है।
  4. रोहन मेरे लिए गिफ़्ट लाये।
  5. मैं बच्चों के लिए खाना बना रही हूँ।
  6. पापा अपने बच्चों के लिए आम लाए।
  7. सुमन ने रोहन के लिए गाड़ी खरीदी।
  8. उसने राम के लिए पुस्तक ख़रीदी।
  9. मैं उसके लिए खिलौने ख़रीद दूँगा।
  10. वह खेलने के लिए इंदौर गया है।

वाक्य में संप्रदान कारक अर्थात् ‘के लिए ‘ का शुद्ध प्रयोग

1- प्रयोजन या जिसके लिए कार्य किया गया हो, वहाँ ‘के लिए ‘ का प्रयोग किया जाता है-जैसे-

  • उसने बच्चों के लिए गाय का दूध लाया।
  • उसने राम के लिए घर ख़रीदा।

2- क्रियार्थक संज्ञा में – प्रयोजन का बोध करवाने के लिए –

  • वह पढ़ने के लिए इंग्लैंड गया।
  • गाने के लिए उसने अभ्यास किया।
  • घर जाने के लिए वह जल्दी कार्यालय से निकल गया।

अपादान कारक किसे कहते हैं?

अपादान का अर्थ होता है -अलग, पृथक आदि। जिस शब्द या संज्ञा से अलग होने का बोध हो उसे अपादान कारक कहते हैं। इसकी विभक्ति ‘से’ है। जैसे वह छत से कूद पड़ा।

अपादान कारक के 10 उदाहरण:

  1. पेड़ से पत्ते गिरते है।
  2. गंगा घर से बाहर जा रही है
  3. छत से नीचे आओ
  4. बच्चे रास्ते में गिर पड़े
  5. नल से पानी गिर रहा है।
  6. गंगा हिमालय से निकलती है।
  7. पेड़ से फल गिर गया।
  8. राम मुंबई से दिल्ली आया।
  9. उसका घर यहाँ से काफी दूर है।
  10. राम के घर से साँप निकला।

संबंध कारक किसे कहते हैं?

जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द से किसी वाक्य के अन्य शब्दों के साथ संबंध स्थापित होता है, उसे संबंध कारक कहते हैं। इसकी विभक्ति चिह्न ‘का, के, की, रा, रे, री, ना, ने, नी’ आदि है-जैसे यह राम का घर है। यह सीता की कार है।

संबंध कारक के दस उदाहरण:

  1. रोहन का घर पास में है।
  2. तुम रानी की अच्छी दोस्त हो।
  3. सीता राम की पत्नी है।
  4. मैं अपनी पापा की बेटी हूँ
  5. रोहन का भाई पुलिस है
  6. मुझे मामा का घर जाना है
  7. यह राम का घर है।
  8. यह सीता की कार है।
  9. यह पुस्तक मेरी है।
  10. राम का भाई स्कूल जा रहा है।

संबंध कारक ‘का, के, की, रा, रे, री, ना, ने, नी’ का शुद्ध प्रयोग

1-संबंध कारक का प्रयोग संबंध, गुण, एवं अधिकार के लिए होता है-

  • उसकी एक बहन आईआईटी में पढ़ती है।
  • मनुष्य के पास बुद्धि होती है।
  • राधा के दो पुत्र हैं।
  • गाय के चार पैर होते हैं।
  • रामू की लड़की की कल सगाई हुई।

2-किसी धातु या द्रव्य से बनी चीजों के लिए संबंध बताने के लिए-

  • मेरी अंगूठी सोने की है।
  • यह टेबल लोहे की है।
  • यह चाँदी का हार है।
  • यह बर्फ़ की पहाड़ है।

3- उद्देश्य या प्रयोजन बताने के लिए -जैसे –

  • अभी स्कूल जाने का समय है।
  • यह खाने बनाने का समान है।

4-मूल्य बताने के लिए –

  • यह 10 रुपए की कलम है।
  • इस घर की कीमत 10 लाख रुपए है।

5-स्थान एवं समय बताने के लिए

  • रात के भोजन का निमंत्रण है।
  • अमेरिका के लोग, भारत के लोग,
  • दोपहर का भोजन अच्छा था।

6-किसी घटना की अतिशयोक्ति बताने के लिए

  • देश का देश तबाह हो गया।
  • शहर का शहर बाढ़ में बह गया।
  • गाँव का गाँव बह गया।

अधिकरण कारक की परिभाषा :

जिस स्थान या समय पर क्रिया की जाती है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इसकी विभक्ति ‘में’, ‘पर’, है। जैसे गंगा नदी में पानी ही पानी है। वह कोलकाता में है। राम मुंबई में है। अन्य उदाहरण नीचे दिया गया है-

अधिकरण कारक के दस उदाहरण:

  1. सड़क पर गाड़ी चल रही है।
  2. भाई घर पर है
  3. पिंजड़े में तोता है।
  4. मुझे तुम पर भरोसा है।
  5. बैग में टिफ़िन है।
  6. मेज़ पर किताब है
  7. तालाब में मछली है
  8. रास्ते में पुलिस है।
  9. टेबल पर खाना रखा हुआ है
  10. तुम बिस्तर पर सो जाओ

अधिकरण कारक ‘में’ शुद्ध प्रयोग

1-स्थान एवं समय का बोधा कराने के लिए –

वह घर में काम कर रहा है।

वह कोलकाता में रह रहा है।

2- परिवर्तन का बोध कराने के लिए

अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद करो।

3-मनुष्य के भावों को व्यक्त करने के लिए –

  • राम और श्याम में गहरी दोस्ती है।
  • पति एवं पत्नी में प्यार है।
  • उन दोनों में शत्रुता है।

अधिकरण कारक ‘पर’ शुद्ध प्रयोग

1-ऊँचाई, स्थान, भीतर आदि का बोध कराने के लिए –

पेड़ पर पक्षी बैठे हैं।

वह बंदर चैट पर बैठा है।

2- अधिकता बताने के लिए

दिन पर दिन गर्मी बढ़ती ही जा रही है।

3- शर्त एवं समय, स्थान बताने के लिए –

  • उसके यह करने पर ही मैं आऊँगा।
  • वह मौक़े पर आ गया।
  • वह आजकल छुट्टी पर ही रहता है।

सम्बोधन कारक की परिभाषा :

संज्ञा के जिस शब्द से किसी को बुलाने, पुकारने, धमकाने, सुनाने, आवाज़ देने का बोध हो उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। इसकी विभक्ति हे, अरे, देवियों और सज्जनों!, आदि है। कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं-

सम्बोधन कारक के दस उदाहरण:

  1. देवियों और सज्जनों! आप सभी का स्वागत है।
  2. है भगवान! ये कैसे हो गया।
  3. हे लड़के! तुम यंहा क्या कर रहे हो
  4. बच्चों! तार को मत छुओं।
  5. अजी! कहाँ गए आप।
  6. लड़कियों, आप सब इधर आओ।
  7. मेरे देशवासियों!
  8. बच्चों! शोर मत करो।
  9. ए राजू, उधर मत जा, वहाँ खतरा है।
  10. अरे, आप लोग आ गए।

करण और अपादान कारक में अंतर:

करण और अपादान कारक में दोनों में ‘से ‘ का प्रयोग होता है, पर कारण कारक में से का प्रयोग साधन के अर्थ में होता है जैसे राम ने रावण को तीर से मारा। मारने का काम तीर हो रहा है, इसीलिए यहाँ ‘से’ का प्रयोग साधन के अर्थ में हुआ है। वहीं अपादान कारक में ‘से’ का प्रयोग अलगाव दिखाने के लिए होता है। जैसे पेड़ से पत्ते गिर रहे हैं। पेड़ से पते का अलग होने के लिए ‘से’ का प्रयोग किया गया है। -कुछ उदाहरण

  1. बच्चे रास्ते में गिर पड़े-अपादान कारक
  2. नल से पानी गिर रहा है।-अपादान कारक
  3. गंगा हिमालय से निकलती है।-अपादान कारक
  4. सुमन के द्वारा खाना बनाया गया।-कारण कारक
  5. पेड़ से पते गिर रहें हैं।-कारण कारक
  6. राम कलम से लिख रहा है।-कारण कारक
  7. सभी लोग ट्रेन से शिमला जा रहें हैं।-कारण कारक

कारक किसे कहते हैं, कारक चिन्ह, कारक के भेद उदाहरण सहित कारक की परिभाषा एवं प्रकार की सम्पूर्ण जानकारी। (karak kise kahate hain aur uske bhed)

इसे भी जानें :

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