IPS Officer kaise bane- आईपीएस अधिकारी कैसे बनें? के माध्यम से निम्नलिखित बिन्दुओं पर प्रकाश डाला गया है : -भारतीय पुलिस सेवा क्या है, भारतीय पुलिस सेवा का इतिहास, अखिल भारतीय सेवा, सिविल सर्विसेज की परीक्षा, भारतीय पुलिस सेवा में जाने के लिए शैक्षणिक योग्यता, भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की सैलरी, UPSC साक्षात्कार (इटरव्यू), IPS अधिकारियों का प्रशिक्षण एवं तैनाती, IPS अधिकारियों की भूमिकाएं आदि।
Indian Police Service (IPS) भारतीय पुलिस सेवा-IPS Officer kaise bane:
भारतीय पुलिस सेवा एक प्रतिष्ठित सेवा है। भारतीय पुलिस सेवा का गठन अखिल भारतीय सेवा के तहत किया गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 312 के अनुसार भारतीय पुलिस सेवा तीन अखिल भारतीय सेवाओं (All India Services) में से एक है जो इस प्रकार है:
ये हैं –
- भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)
- भारतीय पुलिस सेवा (IPS)
- भारतीय वन सेवा (IFS)
जब हम अखिल भारतीय सेवाओं के बारे में बात करते है, तो हमारा दायरा सिर्फ राज्य या जिले के विकास तक ही समिति नहीं होता है बल्कि पूरे देश के बारे में सोचना पड़ता हैं।
Duties and Powers of Indian Police Service Officers:
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की भूमिकाएँ, कर्तव्य एवं शक्तियाँ
इस सेवा में आने वाले अधिकारियों को मुखयतः देश में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने की ज़िम्मेदारी होती है। राज्य पुलिस बलों और केंद्रीय एजेंसियों में शीर्ष पद पर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी ही विराजमान रहते हैं एवं सारे कार्य इन आईपीएस अधिकारियों की देखरेख में ही होते हैं।
आईपीएस को भारत की कानून व्यवस्था, शांति, देश की संप्रभुता और अखंडता की भी ज़िम्मेदारी होती है। इनके कार्य में संदिग्ध अभियुक्तों की गिरफ्तारी, तलाशी, रिमांड, विभिन्न प्रकार के छापे, नारकोटिक्स को रोकना, अपराधियों/आतंकवादियों की धड़-पकड़ आदि शामिल है।

26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। भारतीय संविधान में भारत को राज्यों का संघ कहा गया है जिसमें 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। भारत अनुच्छेद 246 के अनुसार ‘पुलिस’ संबंधी मामले पर राज्य को अधिकारी दिया गया है।
सभी राज्य को जिलों और प्रशासनिक प्रभागों में विभाजित किया गया है। देश भर में कुल 766 जिले है। इन जिलों में कानून-व्यवस्था को संभालने की ज़िम्मेदारी इन अधिकारियों की ही होती है।
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी को सभी राज्यों, जिले एवं प्रशासनिक प्रभागों में शीर्ष पद पर विराजमान होते हैं। इसके अलावा, निम्नलिखित केंद्रीय एजेंसियों के कुशलतापूर्वक संचालन, मार्गदर्शन एवं दायित्व भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी ही करते हैं:
- रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) -विदेशी मामलों पर खुफिया विभाग
- केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI)
- इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) – देश के मामलों पर खुफिया विभाग
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB),
- राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)
- आतंकवाद गतिविधियों से निपटने के लिए केंद्रीय एजेंसी,
- सीमा सुरक्षा बल (BSF)
- केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF)
- केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)
- आईटीबीपी
गृह मंत्रालय की भूमिका : IPS कैडर कंट्रोलिंग प्राधिकरण
सभी केंद्रीय पुलिस एजेंसियां गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करती हैं। IPS कैडर को नियंत्रित करने के अलावा, सभी केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस, सुरक्षा से संबंधित कई एजेंसियों और संगठनों को गृह मंत्रालय के अधीन रखा गया है।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के लिए बनाए गए नियमों और विनियमों में IPS अधिकारी शासित होते हैं।
भारतीय पुलिस सेवा का इतिहास :
भारतीय सिविल सेवा का इतिहास भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के स्थापना के साथ शुरू होता है। उस समय सिविल सेवकों का कंपनी डायरेक्टर द्वारा नामित किया जाता था। नामित अधिकारी को लंदन में प्रशिक्षण हेतु भेजा जाता था एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उनकी तैनाती भारत में की जाती थी।
बाद में ब्रिटिश सरकार ने आधुनिक सिविल सेवा की शुरुआत की एवं सिविल सेवकों के चयन के लिए मेरीट आधारित प्राणाली तथा लंदन में एक सिविल सेवा आयोग की स्थापना की गई। प्रारंभ में, भारतीय सिविल सेवा की परीक्षाएँ केवल लंदन में आयोजित की जाती थीं तथा साल 1922 से भारतीय सिविल सेवकों की परीक्षाएं भारत में होने लगी।
आधुनिक भारतीय पुलिस सेवा की शुरुआत भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान इंपीरियल पुलिस से होती है। उस दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का चयन प्रतियोगी परीक्षा द्वारा किया जाता था जिसे इंपीरियल पुलिस सेवा के नाम से जाना जाता था एवं सफल उम्मीदवारों को Assistant Superintendent of Police के रूप में नियुक्त किया जाता था।
शुरुआत में इंपीरियल पुलिस में ब्रिटिश को ही भर्ती किया जाता था। बाद में इंपीरियल पुलिस की परीक्षा में भारतीय नागरिकों को भी प्रवेश दिया गया। आगे जाकर भारत में भी परीक्षाएँ आयोजित की जाने लगी। देश को ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिलने के बाद भारतीय (इंपीरियल) पुलिस को भारतीय पुलिस सेवा के रूप में स्थापित किया गया।
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विस परीक्षा :
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 के अनुसार केंद्र सरकार के लिए संघ लोक सेवा आयोग और भारत के राज्यों के लिए अलग -अलग लोक सेवा आयोग (PSC) के गठन का प्रावधान है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को भारतीय संविधान में संवैधानिक दर्जा दिया गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 से 323 तक आयोग के संबंध में व्यवस्था दी गई है।
केंद्र सरकार के भर्ती संबंधी मामलों में यह केंद्रीकृत एजेंसी है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) आईपीएस में नियुक्ति के लिए सिविल सर्विस की परीक्षा प्रतिवर्ष आयोजित करता है।
इसके अलावा अन्य ग्रुप ए सेवाओं की भर्ती के लिए भी समय-समय पर विज्ञापन जारी करता है। आयोग मुख्यतः अधिकारी पद की ही भर्ती करता है। Indian Police Service के अलावा इस परीक्षा के माध्यम से अन्य केंद्र सेवाओं में भी उम्मदीवार अपना करियर बना सकते हैं।
आईपीस ऑफिसर बनने के लिए शैक्षणिक योगयता:
आईपीएस ऑफिसर बनने के लिए उम्मीदवार के पास किसी भी स्ट्रीम से स्नातक (Graduate) की डिग्री होना आवश्यक है।
आईपीएस ऑफिसर बनने के लिए उम्र सीमा : 21 से 32 वर्ष तक, ओबीसी के लिए 3 वर्ष तक की छूट, एससी/एसटी उम्मीदवार के उम्र सीमा में 5 वर्ष की छूट।
NO. Of Attempts प्रयासों की संख्या:
परीक्षा में बैठने वाले विभिन्न श्रेणियों के उम्मीदवारों के लिए प्रयासों की संख्या सीमित है। प्रयासों की संख्या का तात्पर्य परीक्षा में उपस्थित होने की संख्या इस प्रकार है: –
सामान्य श्रेणी : 6 प्रयास, ईडब्ल्यूएस/ओबीसी -9 प्रयास, एससी/एसटी- असीमित
आईपीएस परीक्षा का सेलेबस (पाठ्यक्रम)
आईपीएस की परीक्षा तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है: –
UPSC प्रारंभिक परीक्षा
(1) प्रारंभिक परीक्षा: परीक्षा में 200 अंकों के दो अनिवार्य पेपर (सामान्य अध्ययन I एवं सामान्य अध्ययन II ) वस्तुनिष्ठ प्रकार (बहुविकल्पीय प्रश्न) के होते हैं। इसमें सामान्य अध्ययन का द्वितीय प्रश्नपत्र में सिर्फ क्वालिफ़ाइंग रहता है जिसमें न्यूनतम 33% अंक प्राप्त करने पर सफल घोषित किया जाता है।
UPSC मुख्य परीक्षा
(1) मुख्य परीक्षा: लिखित परीक्षा के कुल अंक 1750 होता है।
(2) UPSC साक्षात्कार (इटरव्यू) कुल अंक: 275 अंक
मुख्य परीक्षा में सफल होने वाले उम्मीदवार का UPSC बोर्ड द्वारा साक्षात्कार लिया जाता है। साक्षात्कार का उद्देश्य यह होता है कि उम्मीदवार की लोकसेवा में करियर के लिए व्यक्तिगत उपयुक्तता की जांच हो सके. इसके अलावा वर्तमान घटनाक्रम में उम्मीदवार की रुचि, नेतृत्व की क्षमता, नैतिकता, मानसिक क्षमता आदि की जांच की जाती है।
IPS मेरिट लिस्ट
मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार (इटरव्यू) में सफल उम्मीदवारों का UPSC मेरिट लिस्ट प्रकाशित करता है। पदों की रिक्तियों के अनुसार सफल उम्मीदवारों को IPS का पद प्राप्त होता है जबकि अन्य सफल उम्मीदवारों को अन्य केंद्रीय सेवाओं में चयन किया जाता है।
IPS Hierarchy
IPS पदस्थापना राज्य एवं केंद्र सरकार में अलग -अलग होती है।
आईपीएस में एएसपी, एसपी, एसएसपी, डीआईजी, आईजीपी, एडीजीपी, डीजीपी, डीआईबी आदि का पद होता है।
IPS Salary
अधिकारियों की सेलरी 7वें वेतन आयोग के अनुसार Level -10 में निर्धारित की है जो पदोन्नत होने पर बढ़ती जाती है एवं लेवल 18 तक जाती है। लेवल 10 में बेसिक सैलरी रू 56100 है, जबकि लेवल 18 में बेसिक सैलरी रू 250000 है। ये सिर्फ बेसिक सेलरी है। इसके अलावा डीए, एचआरए, ट्रांसपोर्ट अलाउंस एवं अन्य भत्ते भी निर्धारित प्रतिशत में बेसिक सैलरी के साथ दिए जाते है। इसके अलावा अन्य सुविधाएं भी दिए जाते हैं।
सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण:
यूपीएससी के सिविल सर्विस परीक्षा के माध्यम से चयनित भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों को सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एसवीपीएनपीए), हैदराबाद में प्रशिक्षित किया जाता है। यह प्रशिक्षण लगभग 2 साल तक रहता है।
फाउंडेशन कोर्स के तहत सर्वप्रथम सिविल सेवाओं के लिए एक शीर्षस्थ प्रशिक्षण संस्थान लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में 15 सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता है जिसमें भारत दर्शन भी शामिल है।
उसके बाद तकरीबन एक वर्ष का प्रशिक्षण सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एसवीपीएनपीए), हैदराबाद में दिया जाता है। इसके अलावा तैनाती के दौरान प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दिया जाता है.
कृपया नोट करें कि उपर्युक्त आलेख पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें। नवीनतम जानकारी के लिए संघ लोक सेवा आयोग द्वारा प्रतिवर्ष जारी होने वाली सिविल सर्विस परीक्षा संबंधी विज्ञापन अवश्य देखे।
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