हमीदा बानो को भारत की पहली महिला पहलवान रेसलर कहा जाता है, उसने 320 से भी अधिक कुश्ती प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की एवं यूरोप के अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ली। कहा जाता है कि हमीदा बानो एक ऐसी रेसलर थी जिसके सामने महिला ही नहीं बल्कि कोई पुरुष भी नहीं टिक पायें, 1937 के दशक मे कई पुरुष पहलवानों को धूल चटाई थी। इसीलिए हमीदा बानो को ‘अमेजन ऑफ़ अलीगढ़’ अर्थात् अलीगढ़ की वीरांगना भी कहा जाता था। हमीदा बानो , गूगल ने अपने डूडल के जरिये 4 मई, 2024 को हमीदा बानो को याद किया।
हमीदा बानो का जीवन परिचय?
हमीदा बानो का जन्म 1920 के दशक मे उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। उसे बचपन से ही कुश्ती का शौक था अतः 10 वर्ष की उम्र में ही उन्हें पहलवानी के लिए प्रशिक्षित किया जाने लगा।
Hamida Banu एक दृष्टि में
नाम | हमीदा बानो |
जन्म | 19२0 |
जन्म स्थान | अलीगढ़, उत्तर प्रदेश |
खान -पान | 6 लिटर दूध, आधा लिटर घी, 1 केजी मटन, 1 देशी मुर्ग़ा |
बाबा पहलवान को हराने की तिथि | 4 मई, 1954 में 1 मिनट 34 सेकेंड |
रेसलिंग | 300 से भी अधिक प्रतियोगिताएं जीती |
देहांत | 1986 में |
नारा | ‘मुझे अखाड़े में हराओ और मैं तुमसे शादी कर लूँगी’ |
कुश्ती के लिए हमीदा बानो अपने को फिट कैसे रखती थी?
हमीदा बानो की हाइट 5 फीट 3 इंच था तथा वजन 108 किलोग्राम था तथा हमीदा बानो दिन में आठ घंटे सोती थी और बाकी समय वह अपनी कुश्ती का ट्रेनिग किया करती थी। हमीदा बानो को आहार स्वरूप लगभग 6 लिटर दूध, आधा लिटर घी, 1 केजी मटन दिया जाता था। इनकी शारीरिक एवं इच्छा शक्ति बेमीशाल थी।
हमीदा बानो कुश्ती कहाँ सीखी थी?
हमीदा बानो को बचपन से ही कुश्ती में दिलचस्पी थी, तथा जब वह अपने परिवार वालों से कही कि मुझे अखाड़े में कुश्ती करना है तो परिवार वालो ने साफ मना कर दिया, तो इस दौरान हमीदा बानो घर छोड़ अलीगढ़ चली गई तथा कुछ दिन अलीगढ़ मे रहने के बाद हमीदा बानो ने सलाम पहलवान को अपना गुरु मानते हुए, उनसे कुश्ती सीखी।
गूगल डूडल ने Hamida Banu को याद क्यों किया?
1930 के दशक मे महिलाओं को कुश्ती करने की इजाजत नहीं थी यहाँ तक कि उसे अखाड़े मे भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं था, हमीदा बानो जिस युग में रह रही थी वहाँ महिला को यह इजाज्त नहीं दिया जाता था कि वह कुश्ती करे, कुश्ती केवल पुरुषों को करने की आजादी थी। 4 मई का तारीख हमीदा बानो के लिए बेहद खाश इसलिए है कि 4 मई , 1954 को हमीदा बानो ने अखाड़े में प्रसिद्ध रेसलर बाबा पहलवान को सिर्फ़ 1 मिनट 34 सेकेंड में धूल चटाई थी तथा इस दौरान हमीदा बानो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली, तथा इस हार के बाद बाबा पहलवान पहलवानी छोड़ कर सन्यास ले लिया।
चूँकि 4 मई का दिन Hamida Banu के लिए खास था, इस रेसलिंग में उसे बहुत प्रसिद्धि मिली थी, इसीलिए गूगल ने डूडल बनाकर Hamida Banu को याद किया।
जानें हमीदा बानो कुश्ती करियर की शुरुआत कैसे हुई?
शुरुआत में हमीदा बानो छोटे मुकाबला किया करती थी, साल 1937 में हमीदा बानो का मुक़ाबला लाहौर के पहलवान फिरोज खान के साथ हुआ, तथा हमीदा ने फिरोज खान को हराते हुये उन्हे भी धूल चटा दी, और पहली बार अखाड़े मे जीत हासिल की।
हमीदा बानो का पहला बड़ा मुकाबला पटियाला के पहलवान के साथ हुआ था तो हमीदा बानो ने उसे हरा दी तथा दूसरा मुकाबला कोलकाता के चैम्पियन पहलवान के साथ हुआ तो इस मुकाबले मे हमीदा बानो ने इसे भी धूल चटा दी, तथा इस जीत के बाद कई शहरो में हमीदा बानो की पोस्टर लगाये गए तथा इस दौरान हमीदा बानो करीब 300 मुकाबला जीत चुकी थी।
साल 1954 में हमीदा बानो कुश्ती करते समय यह ऐलान की थी, जो पहलवान मुझे अखाड़े में हरायेंगा मैं उसी से शादी करूँगी तथा इस दौरान कई पहलवान इस चैलेंज को स्वीकार किये, और अखाड़े में कुश्ती के लिए उतर गए, 3 मई 1954 को हमीदा बानो का मुकाबला बाबा पहलवान के साथ हुआ तथा यह मुकाबला 1 मिनट 35 सेकेंड तक चला. और हमीदा ने बाबा को बुरी तरह पराजित कर उसे हरा दी, तथा उसी दौरान यह ऐलान किया गया था कि ऐसा कोई पहलवान नही है जो हमीदा बानो को हरा पायेगा.
हमीदा बानो का खान पान चर्चा में क्यों था?
हमीदा बानो काफी तगड़ी पहलवान थी, तथा इसका वजन 108 किलो था और इनकी हाइट 5 फीट 3 इंच थी, तथा इनका खान पान भी काफी स्वादिष्ट था, तथा हमीदा बानो एक दिन में 5 लीटर दूध, आधा किलो घी, बादाम तथा फ्रूट जूस खाया करती थी, तथा इसके अलावा हमीदा बानो को नॉन वेज खाना काफी पसंद था तथा कभी-कभी वह एक बार में 1 किलो मटन खा लिया करती थी और 2 प्लेट बिरयानी भी इनके डिश मे शामिल था।
हमीदा बानो की मुकाबला रूस की ‘फीमेल बियर’ के साथ:
साल 1954 में हमीदा बानो की मुकाबला मुम्बई के अखाड़े में रूस पहलवान वेरा चिसिटलीन के साथ हुआ, तथा वेरा को फीमेल बियर के रूप मे जाना जाता था, तथा इस मुकाबले में भी हमीदा बानो ने एक मिनट के अंदर ही वेरा को धूल चटा दी.
इसके बाद हमीदा बानो का अगला मुकाबला सिंगापुर की चैंपियन महिला राजा लैला के साथ हुआ, तो हमीदा बानो ने इस लड़ाई मे भी जीत हासिल की, इसी दौरान हमीदा बानो ने यह ऐलान कि अब वह यूरोप जा कर पहलवानी करेगी.
हमीदा बानो के पति:
ऐसा कहा जाता है कि हमीदा बानो के पति का नाम सलाम पहलवान है जो हमीदा को कुश्ती सिखाया था, तथा दोनो ने शादी करने के बाद अपना खुद का dairy(डेरी) बिजनस खोला।
घरेलू हिंसा से जूझ रही थी – हमीदा बानो!
कहा जाता है कि रुस के पहलवानो को हराने के बाद हमीदा बानो यूरोप जा कर कुश्ती करना चाहती थी, लेकिन सलाम पहलवान को यह मंज़ूर नही था कि हमीदा यूरोप जाएगी। तथा हमीदा बानो ने यह ज़िद्द पकड़ ली थी कि उसे अब यूरोप जा कर ही कुश्ती करना है, जिसके कारण उसके पति ने हमीदा को लाठी से पिटते हुये हाथ पैर तोड़ दिये, और इस कारण हमीदा बानो को कई सालो तक लाठी के सहारे चलना पड़ा और वह कभी भी यूरोप जाकर कुश्ती नहीं लड़ पाई।
साल 1986 में हमीदा बानो की मौत हो गई, तथा मौत का कारण अभी तक किसी को पता नही चला।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि हमीदा बानो एक आत्मविश्वासी, सशक्त, एवं दृढ़ इरादों वाली महिला थी। वो एक ऐसी महिला थी जो अपने कर्म क्षेत्र कुश्ती का चुनाव करने के उपरांत पीछे नहीं हटी, बल्कि कुश्ती में भारत को प्रसिद्धि दिलाई और आज भी वे प्रेरणास्रोत हैं।
और पढ़ें –
1-रक्षाबंधन 2024 : जानें रक्षाबंधन की तिथि, इतिहास एवं महत्व (Raksha Bandhan)