Geeta Jayanti 2025: हिंदू धर्म में गीता जयंती त्योहार का विशेष महत्व है तथा मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीता जयंती त्योहार मनाया जाता है तथा इस दिन कई धार्मिक स्थलों पर गीता जैसे पवित्र ग्रंथ का प्रवचन दिए जाते है। गीता जयंती के रूप में इस दिन मोक्षदा एकादशी त्योहार मनाई जाती है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार जिस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था, तो उस दिन शुक्ल पक्ष की एकादशी थी और तभी से इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाने लगा। गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है।
2025 में गीता जयंती कब है?
महाभारत के दौरान भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश को गीता कहा जाता है तथा साल 2025 में गीता जयंती का त्योहार 1 दिसंबर, दिन-सोमवार को मनाया जाएगा। गीता जयंती का त्योहार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है।
गीता जयंती का शुभ मुहूर्त कब है?
2025 में गीता जयंती का शुभ मुहूर्त 30 नवम्बर 2025 को रात्रि 09 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन इसके अगले दिन यानि 01 दिसंबर 2025 को शाम 7:00 बजे होगी, इस तरह गीता जयंती का त्योहार 1 दिसंबर को पूरे भारत में मनाया जाएगा।
गीता जयंती त्योहार का संक्षिप्त परिचय:
2023 में गीता जयंती | 22 दिसंबर, दिन- शुक्रवार |
2024 में गीता जयंती | 11 दिसंबर, दिन- बुधवार |
2025 में गीता जयंती | 01 दिसंबर, दिन- सोमवार |
2026 में गीता जयंती | 20 दिसम्बर, दिन- रविवार |
2027 में गीता जयंती | 09 दिसंबर, दिन- गुरुवार |
कुरुक्षेत्र की लड़ाई के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दार्शनिक शिक्षाएँ दी थी और तभी से इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाने लगा। मनुष्यों की आधायत्मिक उन्नति के लिए गीता से अच्छा कोई पाठ नहीं है। गीता वह काव्य है जिसमें मनुष्य के जीवन से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताया गया है। गीता को श्रीभग्वद गीता तथा गीतोपनिषद के नाम से जाना जाता है।

गीता जयंती: Geeta Jayanti 2025
- गीता जयंती मुख्य रूप से हरियाणा क्षेत्र में धूम-धाम से मनाया जाता है। खास कर हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गीता जयंती त्योहार की धूम सबसे अधिक देखने को मिलती है। मान्यता है कि गीता जयंती का उपवास करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और हमें पापों से छुटकारा मिलता है।
- गीता, ज्ञान का भंडार है तथा भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश दिया था और तब जाकर अर्जुन कुरुक्षेत्र के युद्ध में जीत हासिल किए थे।
- गीता जयंती व्रत के रूप में भगवान श्री कृष्ण की उपासना की जाती है।
- गीता जयंती का उपवास करने से हमें मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा इस दौरान हमें पापों से छुटकारा मिलता है।
- इस दिन पूजा करने के बाद दान पुण्य करने से इंसानों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
- गीता जयंती की पूजा पूरी हो जाने के बाद सभी स्त्रियाँ आपस में मिलकर गीता का उपदेश सुनती है।
- गीता जयंती के दिन गीता का पाठ करने से व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों से छुटकारा मिलता है।
गीता जयंती पूजा का विधि-विधान:
- गीता जयंती के दिन सुबह जल्दी उठ कर नहा धो कर साफ तथा स्वच्छ कपड़े धारण करे।
- उसके बाद व्रत का संकल्प लेते हुए पूजा आरम्भ करे।
- सबसे पहले पूजा स्थल पर गंगा जल का छिड़काव कर स्थान को पवित्र कर ले।
- उसके बाद एक लकड़ी का चौकी ले और अब इस चौकी के ऊपर लाल या फिर पीले रंग का कपड़ा बिछाए।
- अब इस चौकी के ऊपर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति तथा प्रतिमा स्थापित करे। उसके बाद भगवान श्री कृष्ण को हल्दी, चंदन, अक्षत, पुष्प, माला तथा फल अर्पित करे।
- उसके बाद भगवान श्री कृष्ण के समक्ष धूप तथा अगरबत्ती दिखाते हुए घी का दीपक जलाए।
- अंत में भगवान कृष्ण के सामने हाथ जोड़ कर गीता का पाठ करे।

गीता जयंती महोत्सव:
हरियाणा के कुरु क्षेत्र में गीता जयंती त्योहार का आयोजन किया जाता है। दो सप्ताह तक मनाए जाने वाले इस त्योहार में विदेशी पर्यटक भी यहाँ घूमने के लिए आते है। इस दौरान कुरुक्षेत्र में काफी भिड़ उमड़ती है।
गीता जयंती त्योहार के रूप में हरियाणा में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है तथा इस मेले में बच्चों के लिए झूला, खिलौने तथा मिठाइयों का स्टॉल लगाया जाता है तथा प्रत्येक दिन शाम के समय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और इस कार्यक्रम के दौरान गीता का उपदेश भी दिए जाते है।
गीता जयंती का महत्व:
भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश को गीता कहा जाता है तथा गीता में लिखे गए हर एक श्लोक मानव कल्याण के लिए लाभकारी है। गीता में कुल 700 श्लोक है जो मनुष्य को अपने जीवन में हर एक कठिनाई से उभरने में रूबरू कराता है।
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