गणतंत्र दिवस पर निबंध (2000 शब्द)
‘गणतन्त्र’ का तात्पर्य ऐसे राष्ट्र से होता है जिसमें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के पास शासन की सर्वोच्च शक्ति निहित होती है। गणतन्त्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष एक निर्वाचित प्रमुख होता है। ‘गणतंत्र’ में, जनता देश की शासन व्यवस्था में अपने प्रतिनिधित्व के लिए राजनेताओं का चुनाव करती है।
गणतन्त्र दिवस को समझने से पहले हमें संविधान को समझना आवश्यक है क्योंकि इसका सीधा संबंध संविधान एवं इसके लागू होने की तिथि 26 जनवरी, 1950 से है। गणतन्त्र दिवस-Republic Day, 26 जनवरी को है। गणतन्त्र दिवस की तिथि में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
संविधान क्या है? What is Constitution?
साधारण शब्दों में संविधान एक लिखित दस्तावेज़ होता है जिसमें नियमों, सिद्धांतों, क़ानूनों एवं सरकार के कार्य प्रणाली एवं नागरिक के अधिकार एवं कर्तब्यो का उल्लेख रहता है। आज विश्व के लगभग सभी लोकतांत्रिक देशों का एक अपना लिखित संविधान है। भारत का संविधान ही भारत का सर्वोच्च कानून है। संविधान के अनुसार भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य है।
संविधान दिवस क्या है ? -Constitution Day
भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया था। इसीलिए देश में प्रतिवर्ष 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
नोट करे कि 26 नवंबर 1949 को संविधान पूरे देश में लागू नहीं हुआ था, संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार (adopt)/स्वीकार किया गया था। हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को पूरे देश में लागू हुआ।
भारतीय नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस दिन सरकारी कार्यलयों में संविधान की प्रस्तवाना भी पढ़ी जाती है।
गणतन्त्र दिवस का इतिहास (History of Republic Day)
अब हम भारत के गणतन्त्र दिवस के इतिहास पर संक्षिप्त पर चर्चा करेंगे :
भारत के गणतांत्रिक संविधान के निर्माण की प्रक्रिया की शुरुआत भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के साथ ही शुरू हो जाता है। ब्रिटिश सरकार ने भारत में अपने व्यापारिक हितों को साधने एवं शासन करने के लिए कई नियम, अधिनियम आदेश और अध्यादेश बनाए जो कालांतर में भारतीय संविधान के आधार बनते गए। इस क्रम में 1757 में प्लासी की लड़ाई और 1764 में बक्सर की लड़ाई अंग्रेजों के लिए निर्णायक सिद्ध हुई जिसके परिणामस्वरूप भारत में ब्रिटिश शासन की जड़े मजबूत हुई।
इसके लिए, ब्रिटिश सरकार ने भारत में शासन करने के उद्देश्य से कई चार्टर और अधिनियम पारित किए। इसमें शामिल है – वर्ष 1773 का रेग्युलेटिंग एक्ट, 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट, 1793 का चार्टर एक्ट आदि चार्टर एवं अधिनियम आदि जिसे आम तौर पर ईस्ट इंडिया कंपनी अधिनियम के रूप में भी जाना जाता था। इसके बाद भारत शासन अधिनियम के तौर पर विभिन्न वर्षों में 1858, 1919, 1935 में भारत शासन अधिनियम पारित किए गए।
देश की आवश्यकता के अनुसार धीरे-धीरे ये चार्टर एवं अधिनियम संविधान के अंग बनते गए। अन्ततः कैबिनेट मिशन योजना, 1946 ने भारत का संविधान तैयार करने के लिए एक संविधान सभा के गठन की सिफ़ारिश की।
कैबिनेट मिशन योजना, 1946 Cabinet Mission Plan, 1946
1946 के कैबिनेट मिशन योजना के तहत भारत का संविधान तैयार करने के लिए एक संविधान सभा का गठन किया गया। जिसकी पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई एवं संविधान सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को अनंतिम अध्यक्ष के रूप में चुना। 11 दिसंबर, 1946 को, संविधान सभा ने डॉ राजेंद्र प्रसाद को अपना स्थायी अध्यक्ष चुना। संविधान सभा ने संविधान बनाने के लिए कई समितियों की नियुक्ति की।
इस बीच जुलाई 1947 में, ब्रिटिश संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 पारित किया, जिसके तहत 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश सरकार से भारतीय को सत्ता हस्तांतरण के लिए प्रावधान किया। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम द्वारा दो राष्ट्र की स्थापना की भारत और पाकिस्तान।
डॉ बी आर अम्बेडकर एवं प्रारूप समिति Dr. BR Ambedkar and Drafting Committee
29 अगस्त 1947 को संविधान सभा ने एक प्रस्ताव के माध्यम से डॉ बी.आर. अम्बेडकर की अध्यक्षता में सात सदस्यीय प्रारूप समिति नियुक्त किया। भारतीय संविधान का अंतिम प्रारूप 4 नवंबर 1948 को समिति के अध्यक्ष डॉ. बी आर अम्बेडकर ने औपचारिक रूप से संविधान सभा में प्रस्तुत किया
26 जनवरी, 1950
संविधान के निर्माण एवं इसके प्रारूप को बनाने के लिए बी आर अम्बेडकर को भारतीय संविधान के जनक के रूप में जाना जाता है जिसे विचार -विमर्श के पश्चात संविधान सभा ने 26 नवंबर, 1949 को संविधान के मसौदा को अंगीकार किया एवं 26 जनवरी, 1950 को इसे भारत में लागू कर दिया गया एवं भारत सही अर्थों में गणतन्त्र हुआ।
1950 के बाद से ही आम जनता को चुनाव करने का अधिकार प्राप्त हुआ एवं अपने प्रतिनिधि को चुनाव करने का अधिकार मिला। भारतीय संविधान के प्रावधानों के तहत भारत में वर्ष 1951 को आम चुनाव हुए जो कि आजादी के बाद देश का पहला चुनाव थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस चुनाव में शानदार जीत हासिल की एवं जवाहरलाल नेहरू गणतन्त्र भारत के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने।
राष्ट्रपति महोदय द्वारा राष्ट्रीय संबोधन-National Address by the President
भारत के राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस के पूर्व संध्या को अर्थात प्रायः 25 जनवरी को प्रत्येक वर्ष राष्ट्र को संबोधित करते हैं । राष्ट्रपति अपने संबोधन में भारत की उपलब्धियों और चुनौतियों पर प्रकाश डालते हैं। राष्ट्रपति के संबोधन को मीडिया पर लाइव टेलिकास्ट किया जाता है।
राष्ट्रपति के भाषण में मुख्यतः देश की वर्तमान स्थिति, आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, सरकारी योजनाओं की प्रगति, देश एवं विदेश सहित कई विषयों को शामिल किया जाता है। इस अवसर पर उन महान स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद किया जाता जिन्होंने अपने अतुलनीय साहस से स्वतंत्र देश के सपने को साकार किया ।
पद्म पुरस्कार Padma Awards
26 जनवरी के दिन भारत सरकार द्वारा पद्म पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। पद्म पुरस्कार देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक है जो कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल, सिविल सेवा आदि उत्कृष्ट सेवा के लिए दिया जाता है।
पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियां है : पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री।
- ‘पद्म विभूषण’ -असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए
- ‘पद्म भूषण’ – उच्च क्रम की विशिष्ट सेवा के लिए
- ‘पद्म श्री’ – किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए
पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।
सेना के शौर्य एवं साहस के लिए वीरता पुरस्कार Gallantry Awards
भारत के सैन्य कर्मियों को उनकी वीरता के लिए परम वीर चक्र, अशोक चक्र, महा वीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र अन्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। पुलिस अधिकारियों को प्रेसिडेंट पुलिस मेडल से सम्मानित किया जाता है। वीरता पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जाता है। बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जाता है।
राष्ट्र प्रमुखों को आमंत्रण
गणतंत्र दिवस समारोह एवं गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर विदेशी राष्ट्र प्रमुखों को आमंत्रित करने का भारत में लंबा इतिहास रहा है। प्रतिवर्ष इस समारोह में किसी न किसी विदेशी प्रमुखों को आमंत्रित किया जाता रहा है।
भारत ने 2023 गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में मिस्र के राष्ट्रपति फतह अल-सिसी को आमंत्रित किया है। इस वर्ष 26 जनवरी 2023 को भारत अपना 74वां गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित कर रहा है।
गणतंत्र दिवस परेड Republic Day Parade
गणतंत्र दिवस परेड प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को राजधानी नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है जो कि एक भव्य राष्ट्रीय कार्यक्रम है। इसमें भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ-साथ देश के सभी हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
परेड की शुरुआत में राजकीय सम्मान के साथ राष्ट्रपति का आगमन होता है एव राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री मंच की ओर प्रस्थान करते है। राष्ट्रपति द्वारा तिरंगा झंडा फहराया जाता है एवं भारत के राष्ट्रपति, भारतीय सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ होने के नाते राष्ट्रीय सलामी लेते हैं। बैंड द्वारा राष्ट्रीय गान की प्रस्तुति की जाती है एवं राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इस तरह पैरेड की औपचारिक शुरुआत की जाती है।
इसके बाद थल सेना, नौ सेना एवं वायु सेना की टुकड़ियों की झलकियाँ प्रस्तुत की जाती है। सेना के विभिन्न टैंकों, मिसाइलों और अन्य उपकरणों तथा हथियारों का प्रदर्शन किया जाता है। इसके बाद सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, दिल्ली पुलिस एवं राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) की विभिन्न रेजीमेंटों का मार्च-पास्ट होता है। वायु सेना के विमानों द्वारा विभिन्न आकृतियों में सलामी भी दी जाती है।
हमारी प्राचीन सभ्यता, सांस्कृतिक की झलक विविधता और प्रगति भारत के प्रतीक हैं। इस पैरेड में सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक पहलू को रेखांकित करते हुए विभिन्न राज्यों सांस्कृतिक की झलकियाँ प्रस्तुत की जाती हैं।
बीटिंग द रिट्रीट beating the retreat
बीटिंग रिट्रीट का अर्थ सेना की वापसी से है। 26 से 29 जनवरी तक चलने वाला चार दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोह के समाप्ति पर सेना अपने बैरक में वापस चली जाती है। यह सेरेमनी गणतन्त्र दिवस के समाप्ती का सूचक है। यह प्रति वर्ष 29 जनवरी को विजय चौक पर आयोजित किया जाता है।
समारोह के मुख्य अतिथि भारत के राष्ट्रपति होते हैं। राष्ट्रपति के आगमन पर सेना द्वारा राष्ट्रीय सलामी दी जाती है। इस कार्यक्रम में तीनों सेना के बैंड अपने-अपने पारंपरिक धुन के साथ मार्च कराते हैं। राष्ट्रपति के अनुमति के साथ ही इस कार्यक्रम की समाप्ती होती है।
गणतन्त्र दिवस का महत्व Importance of Republic Day
जब देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ उस समय स्वतंत्र भारत का अपना कोई संविधान नहीं था। उस समय भारत की शासन व्यवस्था अँग्रेजी हुकूमत की भारत शासन अधिनियम के तहत शासित हो रही थी। चूंकि देश का अपना संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ एवं भारत सही अर्थों में गणतन्त्र हुआ इसीलिए प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को ही गणतन्त्र दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई।
अतः यह कहा जा सकता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र का सबसे बड़े राष्ट्रीय पर्व के रूप में गणतन्त्र दिवस समारोह की अपनी एक गरिमा है। 26 जनवरी, 1950 को भारत विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित हुआ जिसकी विविधता और जीवंतता की दुनिया भर में सराहना की जाती है। संविधान निर्माताओं ने कुशाग्र बुद्धि
आज भारतीय संविधान में जिसमें 25 भाग और 12 अनुसूचियों में 448 अनुच्छेद शामिल हैं। प्रस्तावना संविधान का आधार -स्तम्भ है, जिस पर हमारा गणतंत्र खड़ा है जो लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का संदेश देती है।
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गणतंत्र दिवस से संबंधित अक्सर पुछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी क्या है?
बीटिंग रिट्रीट का अर्थ सेना की वापसी से है। 26 से 29 जनवरी तक चलने वाला चार दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोह के समाप्ती पर सेना अपने बैरक में वापस चली जाती है। यह सेरेमनी गणतन्त्र दिवस के समाप्ती का सूचक है।
गणतंत्र दिवस परेड कहाँ आयोजित की जाती है?
गणतंत्र दिवस परेड दिल्ली में राजपथ पर होती है। राजपथ से होते हुए इंडिया गेट से लाल किले तक जाती है।
गणतंत्र दिवस परेड कब आयोजित की जाती है?
गणतंत्र दिवस परेड हर साल 26 जनवरी को आयोजित की जाती है।
भारत कब गणतंत्र बना था?
26 जनवरी, 1950 को
गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है?
चूंकि हमारा संविधान को 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ। इसीलिए प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस मनाया जाता।
गणतंत्र दिवस क्या है?
गणतंत्र दिवस भारत एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है।