वर्ष 2024 में दीपों का पर्व दिवाली (Diwali kab hai) का त्योहार 31 अक्टूबर (गुरुवार), 2024 को पूरे देश में मनाया जाएगा। हिन्दू रीति-रिवाज के तहत यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन लोग धन की देवी माता लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की पूजा करते है। आइए जानते हैं कि वर्ष 2024 में दिवाली कब है, दिवाली का महत्व, पूजन विधि, शुभ मुहूर्त, धनतेरस, गोवर्धन पूजा तथा रंगोली आदि के बारे में।
वर्ष 2024 में दिवाली (Diwali kab hai) कब है?
Diwali या दीपावली का त्योहार 31 अक्टूबर (गुरुवार) , 2024 को पूरे देश में मनाया जा रहा है। यह त्योहार कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा एवं तीसरे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है।
Diwali 2024- शुभ मुहूर्त का विवरण
दिवाली धनतेरस | 29 अक्टूबर (मंगलवार), 2024 को |
छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) | 30 अक्टूबर |
शुभ दीपावली एवं लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त | 31 अक्टूबर 2024 को शाम 04:00 बजे से लेकर अगले दिन यानि 1 नवंबर को संध्या 06:15 बजे तक |
अमावस्या तिथि की शुरुआत | अमावस्या तिथि की शुरुआत – 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे से शुरू होगी। |
अमावस्या तिथि की समाप्ति | अमावस्या तिथि की समाप्ति – 1 नवंबर 2024 को संध्या-काल 06:16 बजे समाप्त होगी। |
गोवर्धन पूजा | 2 नवंबर, 2024(शनिवार) |
भाई दूज | 3 नवंबर, 2024 (रविवार) |
Diwali का अर्थ – जानें दिवाले के सही मायने
दीपावली का शाब्दिक अर्थ होता है दीपो की पंक्ति या कतार। दीपावली को प्रकाश का त्योहार भी कहा जाता है इसीलिए लोग इस दिन अपने घरों तथा आंगनों को दिए तथा लाइट से सजाते है। दीपावली के दिन घरों की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखा जाता है। दीपावली को अंधकार पर प्रकाश के विजय अर्थात् असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहार है।
दिवाली के त्योहार के संबंध में जानने योग्य बातें:
त्योहार का अन्य नाम | दिवाली, दीपावली |
धार्मिक अनुयायी | हिन्दू, सीख, बौद्ध |
मनाने की विधि | घर की साफ-सफाई, दीप जलाना, पूरे घर को प्रकाश से जगमग करना, लक्ष्मी पूजन, गणेश पूजन |
दिवाली के आस -पास अन्य त्योहार | भाई-दूज, गोवर्धन पूजा |
दिवाली मनाने का मुख्य कारण | भगवान राम के आयोध्या वापसी की खुशी में, समुद्रमंथन के दौरान दिवाली के दिन ही माता लक्ष्मी की उत्पति, माता पार्वती का काली रूप में रक्षासों एवं बुरी ताकतों का वध करना |
धनतेरस | दीपावली के एक या दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार होता है, इस दिन ख़रीदारी करना शुभ माना जाता है। |
छोटी दिवाली | दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। |
दिवाली (Diwali) क्यों मनाया जाता है ?
भारतीय जनमानस में दिवाली के मनाए जाने के कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित है – इनमें से प्रमुख मान्यता यह है कि यह त्योहार भगवान राम के आयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है इसीलिए इसे खुशियों का त्योहार भी कहा जाता है।
राम के अयोध्या लौटने की कथा
माना जाता है कि यह त्यौहार भगवान राम के आयोध्या लौटने की जशन में मनाया जाता है तथा यह वही दिन है जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे तथा भगवान राम के आगमन के खुशी में अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजा दिया था और भगवान राम के स्वागत के लिए फूलों की रंगोली बनाया गया तब से लेकर हर वर्ष कार्तिक मास के अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाने लगा।
माता लक्ष्मी की पूजा की कथा
दूसरी मान्यता यह है कि देव एवं असुर द्वारा किए गए समुद्रमंथन दिवाली के दिन ही माता लक्ष्मी प्रकट हुई थी। इस दिन संध्या के समय धन, समृद्धि एवं वैभव की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है तथा माता लक्ष्मी कमल के फूल पर विराज-मान होती है।
महाकाली की कथा (Kali Puja)
तीसरी मान्यता यह है कि दिवाली के दिन ही माता पार्वती ने महाकाली का रूप लेकर राक्षसों का वध किया था एवं संसार को दानवों के आतंक से मुक्त किया था। जब माता पार्वती का महाकाली रूप शांत नहीं हो रहा, तब भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए। महाकाली का पैर महाकाल पर पड़ते ही इनका क्रोध शांत हो गया।
पश्चिम बंगाल में दिवाली के दिन ही माँ काली यानि महाकाली की पूजा की जाती है तथा इस दौरान बड़े-बड़े एवं भव्य पंडाल बनाए जाते है तथा इस पंडाल के भीतर माँ काली की प्रतिमा स्थापित की जाती है। काली पूजा करने का तात्पर्य, माँ काली हमारे दु:ख दूर करती है तथा दिवाली के अमावस्या के रात माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिससे हमारे घरों में धन-धान्य तथा सुख-समर्दी का वाश हो सके।
दिवाली धनतेरस क्यों मनाया जाता है?
दिवाली के एक दिन पूर्व नर्क चतुरदर्शी कहलाता है तथा शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर पर विजय प्राप्त की थी तथा नर्क चतुर्दर्शी के पूर्व का दिन धनतेरस कहलाता है तथा धनतेरस के दिन ख़रीदारी करना अति शुभ माना जाता है। धनतेरस के दौरान तथा दिवाली के एक या दो दिन पहले से ही लोग खरीदारी में जुट जाते है। इस समय बाज़ारों एवं दुकानों की रौनक देखते ही बनता है और बाजारों में चल-पहल तथा काफी भीड़ लग्ना शुरू हो जाती हैं.
दिवाली के एक या दो दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है तथा इस दिन ही भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था ओर समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर प्रकट हुई थी तब से यह दिन खरीदारी के लिए काफी शुभ माना जाता है तथा लोग इस शुभ दिन पर सोना-चांदी तथा बर्तन खरीदते है ताकि उनके घरों में माता धन्वंतरि के रूप में धन ओर संपत्ति का आगमन हो सके. धनतेरस के दिन कई लोग मोटरसाइकल, स्कूटी, कार, बर्तन एवं सोने-चाँदी के गहने आदि खरीदते हैं।
दिवाली रंगोली कैसे बनाई जाती है?
- दिवाली की एक खास विशेषता यह है कि इस दिन शाम के समय सुंदर और जीवंत रंगोली बनाई जाती है जिसमें जमीन, घर के आँगन या अन्य सपाट सतहों पर रंगीन पैटर्न बनाए जाते हैं।
- रंगोली इसीलिए बनाई जाती है ताकि घरों में देवताओं का वास हो, इसके साथ ही रंगोली आतिथ्य और सौभाग्य का भी प्रतीक है। माता लक्ष्मी को घर में प्रवेश के लिए मुख्य द्वार तथा आँगन में रंगोली बनाना अति शुभ माना जाता है।
- रंगोली बनाने के लिए आम तौर पर चावल का आटा, रंगीन रेत, फूलों की पंखुड़ियाँ और विभिन्न अन्य सामग्रियों का उपयोग किया जाता है।
- कलाकार तथा अक्सर महिलाएं रंगोली के डिज़ाइन को अपने हाथों से कुशलतापूर्वक तैयार करती हैं तथा रंगोली देखने में काफी मनमोहक और सुंदर होता हैं और प्रतीकात्मकता से भी भरपूर होता है। अधिकतर घरों में लोग स्वस्तिक और ओम प्रतीक: जैसे रंगोली बनाते है।
Diwali – दिवाली का महत्व
- बच्चो के लिए यह त्योहार बहुत ही विशेष होता है तथा इस खुशी के मौके पर लोग अपने घरों पर मिठाइयां तथा जलेबी बनाते है और इसके साथ-साथ लोग अपने घरों पर रंगोली बनाते है तथा शाम के वक़्त पटाखे और फुलझड़ियाँ फोड़े जाते है।
- दिवाली के दिन शाम को भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है ताकि उनके घरों में धन-संपत्ति की कमी न हो ओर उनके घर पर माता लक्ष्मी का आशीर्वाद हमेशा बना रहे.
- दिवाली अंधकार पर प्रकाश की विजय का त्योहार है। दिवाली के दिन विभिन्न तरह के लाइटों से सजी पूरी दुनिया जगमगाने लगती है। मानो ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे पूर्णिमा की रात्रि हो। दिवाली का यह त्योहार अज्ञान के अंधकार को मिटाने तथा ज्ञान का दीप जलाने का संदेश देता है।
- दिवाली के कुछ समय पहले वर्षा ऋतु का मौसम होता है तथा इस दौरान पूरा पर्यावरण कीट-पतंगों से भर जाता है तथा चारो तरफ पानी की जमाव से गंदगी फैल जाती है ओर साथ ही साथ वातावरण भी दुषित हो जाता है इस दौरान दिवाली का त्योहार मनाने से पहले साफ-सफाई का विशेष महत्व होता है. घरों की रंगाई तथा पुताई की जाती है तथा इस दिन दीपक जलाने से कीड़े-मकोड़े नष्ट हो जाते है। इस तरह दिवाली के बाद पूरा प्रयावरण साफ़ तथा स्वच्छ हो जाता है।
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Q- दिवाली क्यों मनाई जाती है?
A- दिवाली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
Q- दिवाली मनाने का मुख्य कारण क्या है?
A- इस दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर आयोध्या वापस आयें थे, जिसकी ख़ुशी में पूरा नगरवासी दीप जलाकर तथा फूलो की रंगोली बना कर भगवान राम का स्वागत किये।
Q- दिवाली के दिन किसकी पूजा की जाती है?
A- भारत में दिवाली का त्योहार बहुत ही उत्साह तथा धूम-धाम से मनाया जाता है तथा दिवाली के दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी की पूजा करते है जिससे उनके घरों में सुख-समृदी तथा धन की प्राप्ति होती है।
Q- धनतेरस कब मनाया जाता है?
A- दिवाली के एक दिन पहले धनतेरस तथा दिवाली के अगले दिन- छोटी दिवाली तथा इसके एक दिन बाद गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है।