डिजिटल अरेस्ट इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। आज भारत में कई हजार लोग इसके शिकार हो चुके है एवं इसमें फँसकर अपनी संपत्ति गंवा चुके है। इस लिए इस बार लोगों को जागरूक होना आवश्यक है एवं इनसे कैसे बचना है, यह जनाना भी आवश्यक है तो आइए जानते है डिजिटल अरेस्ट क्या है और इससे कैसे बचें ?
डिजिटल अरेस्ट क्या है? (what is Digital Arrest)
डिजिटल अरेस्ट का अर्थ किसी को गिरफ्तार करना या कोई गिरफ्तार हो गया, से नहीं लिया जाता है। यह वास्तव में साइबर क्राइम का ही रूप है। डिजिटल अरेस्ट का तात्पर्य ऐसी स्थिति से है, जहां अपराधी अपने शिकार को यह कहता है कि वे सीबीआई, सीआई डी, पुलिस, नारकोटिक्स, ईडी या किसी सरकारी एजेंसी या कोई ऐसा रूप, जिसे सुनकर लोगों में डर या आतंक का माहौल बन जाता हो, का सहारा लेकर आम नागरिकों से मोटी रकम वसूलते है।
उदाहरण के तौर पर वे सीबीआई या पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को यह विश्वास दिलाते हैं कि उनके आई कार्ड या मोबाइल सिम कार्ड का इस्तेमाल आपराधिक या आतंकी गतिविधियों के लिए हुआ है, अतः वे वीडियो कॉल में या अन्य किसी माध्यम से पूछताछ के लिए सामने आए नहीं तो उनकी गिरफ़्तारी हो जाएगी। ऐसे में वे उन्हें नकली अरेस्ट वारेंट भी दिखाते है।
मसलन ऐसे धोखेबाज आपको कोर्ट में हाजिर होने के लिए फर्जी कोर्ट समन अर्थात बुलावा पत्र, भी दिखा सकते हैं। आम नागरिक जानकारी के अभाव में ऐसे लोगों की बातों में आ जाते है एवं इन सबसे बचने के लिए मोटी धनराशि देने के लिए राजी हो जाते हैं। और इस प्रकार वे ठगी स्कैम का शिकार हो जाते है।
स्कैमर्स किसी प्रकार लोगों को अपना शिकार (डिजिटल अरेस्ट) बनाते हैं? (How do scammers prey on people?)
- ऐसे मामलों में साइबर अपराधियों को स्कैमर्स कहा जाता है। स्कैमर्स लोगों को मोबाइल पर कॉल या वीडियो कॉल करते हैं एवं प्रायः ऐसे लोग को तुरंत अपना शिकार बनाते हैं एवं उनके साथ स्कैम करते हैं। भोले भाले लोग जल्दी डर जाते हैं एवं बिना सोचे समझे स्कैमर्स की मांग के अनुसार मोटी रकम उनको ट्रांसफर कर देते है।
- वे लोगों फर्जी कॉल करके यह कहते है कि आप या आप का कोई पारिवारिक सदस्य गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त है एवं इसका प्रमाण उसके पास है। जब तक वे पीड़ित से मोटी धनराशि नहीं ले लेते तब तक उनका पिच्छा नहीं छोड़ते।
- लोगों को यह कहकर अपना शिकार बनाते हैं कि उनके पास गिरफ़्तारी का वारेंट है। सब कुछ इतना सच लगने लगता है कि इनसे बचना नामूमकिन हो जाता है। वीडियो कॉल में वे इस कदर लोगों को कंविन्स कर लेते हैं कि जैसे सरकारी मशनरी हरकत में आ गयी है एवं ऐसे परिवेश को दिखाया जाता है कि सब कुछ सही प्रतीत होता है।
- वे आपके बैंक खाते, आधार नंबर, मोबाइल नंबर की जानकारी भी रखते हैं एवं स्कैमर्स के पास सीबीआई या पुलिस होने का फर्जी आई कार्ड भी होता है। जिसे लोग सच मान लेते हैं।
‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे फ़्राड क्यों हो रहे है? (Why are frauds like ‘Digital Arrest’ happening?)
जब स्कैमर्स के झांसे में आकार पीड़ित व्यक्ति असुरक्षित महसूस करने लगता है। उन्हें इस बात का डर होने लगता है कि स्कैमर्स की बात न मनाने पर उनकी गिरफ्तारी तय है। इस बारे में लोगों में उतनी जागरूकता भी नहीं होती जिसके कारण ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे फ़्राड हो रहे है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी-अप्रैल 2024 के दौरान “डिजिटल अरेस्ट” फ़्रौड के कारण देशवासियों को 120 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए हमें क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए? (What precautions should we take to avoid this?)
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अभी हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री जी मन की बात में अपने संबोधन में इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए देशवासियों को इस संबंध में जागरूक रहने को कहा है। अगर इस तरह की घटनाएँ होती है तो तीन स्टेप का पालन करें। पहला काम है रुकने का। घबराहट में कोई फैसला न लें दूसरा इस बारे में सोचे एवं तीसरा उसके बाद कोई निर्णय या एक्सन लें।
माननीय प्रधानमंत्री जी ने यह भी बताया कि कोई भी सरकारी एजेंसी डिजिटल अरेस्ट जैसी कार्रवाई नहीं करती, कोई भी सरकारी एजेंसी लोगों को फोन करके डराती या पैसे के लिए पूछताछ नहीं करती हैं यह पूरी तरह से धोखाधड़ी है।
अतः स्पष्ट है कि इस तरह के कॉल आने से हमें घबराहट नहीं होनी चाहिए।
इसके अलावा डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए हमें निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए-
- सबसे पहले इस बारे में लोगों को शांत, जागरूक एवं सतर्क रहना चाहिए, बिना जानकारी एवं सही सूचना के बिना कोई कार्य नहीं करना चाहिए।
- किसी भी स्कैमर्स या ऐसे लोग जिसकी पहचान संदिग्ध है, या किसी भी अपरिचित व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत जानकारी नहीं दें।
- सोशल मीडिया, ईमेल आदि में अपने आईडी कार्ड, बैंक डिटेल्स आदि की जानकारी साझा न करे।
- अपरिचितों के साथ किसी भी तरह से पैसे का लेनदेन न करें।
- सोशल मीडिया पर कोई भी अपरिचित व्यक्ति से फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें एवं अगर आप के साथ कोई ऐसी हरकत कर रहा है, जिससे आप को परेशानी हो रही है तो उसे तुरंत ब्लॉक करें।
- एटीएम नंबर या पिन, ओटीपी, आदि किसी से साझा न करें।
- किसी भी तरह के Apps को कहीं से भी इंस्टाल नहीं करें, इससे वित्तीय या अन्य कोई परेशानी में आप फंस सकते हैं। अगर आपके पास Android Phone है, तो Apps को गूगल द्वारा प्राधिकृत प्लेस्टोर से ही डाउन्लोड करें। आईफोन के मामले में APP Store का प्रयोग करें।
- भुगतान करने के लिए किसी भी तरह से Ilegal Payment gateway का प्रयोग न करें।
डिजिटल अरेस्ट संबंधी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार क्या प्रयास कर रही है? (What efforts is the government making to stop these incidents ?)
- ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कानूनी व्यवस्था की गयी है। इसके भारतीय दंड संहिता द्वारा शासित
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 पूरे देश में लागू है। इस अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया जा सकता है। - इस संबंध में प्रत्येक राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रही है। राज्यों में अपराधों को रोकने के लिए साइबर सेल की स्थापना कि गयी है। जबकि केंद्र सरकार इस संबंध में इंडिया साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर जिसे I4C के नाम से जाना जाता है।
- अभी हाल ही में I4C द्वारा भुगतान करने के लिए किसी भी तरह से Ilegal Payment Gateway के उपयोग न करने की सलाह दी गयी है एवं कंपनी के रजिस्ट्रेसन / आधार उधम रजिस्ट्रेसन / बैंक एकाउंट आदि को किसी को भी सेल या रेंट में नहीं देने की सलाह दी गयी। इनका उपयोग गैर कानूनी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है।
- इस तरह की घटनाओं की रिपोर्ट लोकल पुलिस या राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल www.cybercrime.gov.in पर कर सकते हैं। साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।
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