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    भारत की शास्त्रीय भाषाएं (Classical Language) कौन -कौन सी है एवं किस आधार पर मिलता है – शास्त्रीय भाषा का दर्जा (2024)

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    भारत की शास्त्रीय भाषाएं (Classical Language) भारत की हाजरों वर्षों की समृद्ध संस्कृति, एवं प्राचीन सभ्यता का प्रतीक है।  अभी हाल ही में केंद्र सरकार ने पाँच नई शास्त्रीय भाषाओं बंगाली, मराठी, असमिया, पाली एवं  प्राकृत जैसी प्राचीनतम भाषाओं को भारत की शास्त्रीय भाषा (Classical Language) का दर्जा दिया है जिससे शास्त्रीय भाषाओं की कुल संख्या अब 11 हो गयी है। यहाँ इन शास्त्रीय भाषाओं  का संक्षिप्त परिचय दिया गया है:

    भारत की शास्त्रीय भाषाएं (Classical Language) क्या है?

    Classical Language का अर्थ एसी भाषाओं से लिया जाता है जिसमें श्रेष्ठ साहित्य का सृजन हुआ हो, जिसका इतिहास एवं युग अत्यंत ही उत्कर्ष से भरा हो। जैसे विदेशों में ग्रीक एवं लैटिन भाषाएं में श्रेष्ठ साहित्य की रचनाएँ हुई एवं भारत में संस्कृत, तमिल, तेलगु आदि भाषाओं का इतिहास एवं साहित्य।

    शास्त्रीय भाषाएं (Classical Language) से अभिप्राय हमारे देश की उन प्राचीनतम भाषाओं से है, जिनकी अपनी एक ऐतिहासिक विरासत, समृद्ध, संस्कृति एवं प्राचीनतम लिखित साहित्य उपलब्ध हो जैसे तमिल एवं संस्कृत भाषा का इतिहास एवं साहित्य जिनकी जड़ें हजारों वर्ष पुरानी है।

    जानें किस आधार पर मिलता है – शास्त्रीय भाषा का दर्जा (Classical Language-भारत की शास्त्रीय भाषाएं )

    भारत की प्राचीन भाषाओं को शास्त्रीय भाषाओं (Classical Language) के रूप में मान्यता देने का इतिहास वर्ष 2004 से प्रारंभ होता है। जब भारत सरकार ने भारत की प्राचीनतम भाषाओं को एक नई श्रेणी बनाई जिसे आज हम शास्त्रीय भाषा के नाम से जानते हैं। सर्वप्रथम तमिल भाषा की प्राचीन इतिहास, समृद्ध साहित्य एवं संस्कृत को देखते हुए तमिल को वर्ष 2004 में शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।

    चूंकि भाषा का संबंध संस्कृति से है इसीलिए किसी भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने का कार्य संस्कृति मंत्रालय को दिया गया। सरकार द्वारा जारी वर्ष 2004 में किसी भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए निम्नलिखित नियम एवं मानदंड अपनाए गए :

    प्राचीन भाषा अवधि एवं इतिहासशास्त्रीय भाषा एक हजार वर्ष से अधिक का इतिहास एवं हजारों वर्षों का प्राचीन भाषाई ग्रंथ होने चाहिए
    प्राचीन साहित्यशास्त्रीय भाषा में प्राचीन साहित्य संग्रह होना चाहिए जिसे बोलने वाले लोग अपनी समृद्ध विरासत माने
    मौलिक साहित्य सृजनउस भाषा में मौलिक साहित्य सृजन हुआ हो, किसी अन्य भाषा की प्रतिलिपि न हो।
    सूचना स्रोत -PIB

    इसी प्रकार वर्ष 2005 में संस्कृत मंत्रालय ने भारत सरकार द्वारा संस्कृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया। इस समय कुछ नियम में बदलाव करते हुए निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए गए थे : –

    प्राचीन भाषा अवधि एवं इतिहासशास्त्रीय भाषा के पास 1500-2000 वर्षों का एतिहासिक अभिलेख एवं हजारों वर्षों का प्राचीन भाषाई ग्रंथ होने चाहिए
    प्राचीन साहित्यशास्त्रीय भाषा में प्राचीन साहित्य संग्रह होना चाहिए जिसे बोलने वाले लोग अपनी समृद्ध विरासत माने
    मूल साहित्यिक परंपराउस भाषा में मौलिक साहित्य सृजन हुआ हो, किसी अन्य भाषा की प्रतिलिपि न हो।
    आधुनिक रूप से पृथकशास्त्रीय भाषा एवं साहित्य आधुनिक रूप से पृथक हो, उसके बाद के रूपों या उसकी बोलियों के बीच भिन्नता
    सूचना स्रोत -PIB

    बाद में इसी आधार पर वर्ष 2008 में तेलगु एवं कन्नड को एवं वर्ष 2013 में मलयालम एवं 2014 में ओडिया भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।

    वर्ष 2024 में मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिया गया, इस बार शास्त्रीय भाषा का मान्यता देने के लिए मानदंड कुछ संशोधन किए गए :

    प्राचीन भाषा अवधि एवं इतिहासशास्त्रीय भाषा के पास 1500-2000 वर्षों का एतिहासिक अभिलेख एवं हजारों वर्षों का प्राचीन भाषाई ग्रंथ होनी चाहिए
    प्राचीन साहित्यशास्त्रीय भाषा में प्राचीन साहित्य संग्रह होना चाहिए जिसे बोलने वाले लोग अपनी समृद्ध विरासत माने
    ज्ञान से संबंधित ग्रंथकविता, पुरालेखीय और शिलालेखीय साक्ष्य के अलावा गद्य ग्रंथ
    आधुनिक रूप से पृथक शास्त्रीय भाषाएं और साहित्य अपने वर्तमान स्वरूप से अलग हो सकते हैं या अपनी शाखाओं के बाद के रूपों से अलग हो सकते हैं
    सूचना स्रोत -PIB

    अब तक कितनी भाषाओं को शास्त्रीय घोषित किया गया है?

    अब तक कुल 11 भाषाओं को शास्त्रीय घोषित किया गया है, जिसका विवरण नीचे दिया गया है: –

    प्रमुख शास्त्रीय भाषाएँशास्त्रीय भाषा घोषित करने की तिथिमंत्रालय द्वारा
    तमिल12 अक्तूबर, 2024गृह मंत्रालय
    संस्कृत25 नवंबर, 2005गृह मंत्रालय
    कन्नड31 अक्तूबर, 2008संस्कृति मंत्रालय
    तेलगु31 अक्तूबर, 2008संस्कृति मंत्रालय
    मलयालम8 अगस्त, 2013संस्कृति मंत्रालय
    ओडिया1 मार्च 2014संस्कृति मंत्रालय
    मराठी3 अक्तूबर 2024संस्कृति मंत्रालय
    पाली3 अक्तूबर 2024संस्कृति मंत्रालय
    प्राकृत3 अक्तूबर 2024संस्कृति मंत्रालय
    असमी3 अक्तूबर 2024संस्कृति मंत्रालय
    बंगाली3 अक्तूबर 2024संस्कृति मंत्रालय
    सूचना स्रोत -PIB

    किसी भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित करने पर क्या सुविधा दी जाती है?

    भारत की शास्त्रीय भाषाओं को संरक्षित करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाएँ है, कुछ का विवरण इस प्रकार है –

    1. संस्कृत भाषा को संरक्षित करने एवं उसमें शोध आदि को बढ़ावा देने के लिए तीन केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापाना
    2. केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान की स्थापना-तमिल भाषा में अनुवाद, एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए
    3. शास्त्रीय भाषाओं के विद्वानों को प्रतिवर्ष दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार।
    4. मैसूर में केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान के सहयोग से कन्नड़, तेलुगु, मलयालम और ओडिया में अध्ययन के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित
    5. केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शास्त्रीय भारतीय भाषाओं के विद्वानों के लिए पीठ
    6. शैक्षणिक और शोध क्षेत्रों में नौकरी रोजगार के अवसर
    7. शास्त्रीय भाषाओं के अध्ययन एवं शोध कार्य में वृद्धि

    संक्षेप में कहा जा सकता है कि शास्त्रीय भाषा भारत की समृद्ध संस्कृति एवं सभ्यता की पहचान है। शास्त्रीय भाषाओं के शोध, अध्ययन और इसके संरक्षण को बढ़ावा देना समय की मांग थी। इससे न केवल रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे बल्कि इन भाषाओं को संरक्षण भी प्राप्त होगा एवं इसके लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार की भ्हि गोशना की गयी है।

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