छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है?(2024)

छोटी दिवाली का त्योहार बुड़ाई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है तथा इस दिन माता काली, हनुमान और यमराज की पूजा का विशेष महत्व है। दिवाली का यह त्योहार भगवान राम के 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद आयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है तथा साल 2024 में छोटी दिवाली 30 अक्टूबर दिन-बुधवार को मनाया जाएगा।

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है तथा यह त्योहार दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता है। छोटी दिवाली का त्योहार धनतेरस से शुरू होता है तथा इस दौरान बाज़ारों में काफी भिड़ उमड़ती है और लोग ख़रीदारी में जुट जाते है और लोग बाज़ारों में सोने-चाँदी से बने आभूषण और पीतल के बर्तन ख़रीदते है तथा इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का संहार किया था। इस तरह छोटी दिवाली को नरक चौदस, रूप चौदस तथा रूप चतुर्दर्शी के नाम से भी जाना जाता है।

छोटी दिवाली:

छोटी दिवाली के दिन शाम के समय मृत्यु के देवता यमराज के लिए दीपक जलाया जाता है तथा इसे जम का दिया भी कहा जाता है तथा इस दिन आटे से बने चौमुखा दीपक को जला कर घर के बाहर चौखट पर रखा जाता है और यह भी मान्यता है कि इस दीपक को जलाने से घर की दरिद्रता दूर होती है।

छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है?

छोटी दिवाली मनाने के पीछे एक बड़ी ही दिलचस्प कहानी है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में रति देव नाम का एक राजा था और रति देव राजा बहुत ही दयालु तथा सच्चे मन का था और इन्होंने अपने जीवन में कभी कोई गलत काम नहीं किए थे। लेकिन एक दिन अचानक इनके सामने मृत्यु के देवता यमदूत आ कर खड़ा हो गए और यमदूत को देख राजा रति आश्चर्यचकित रह गए।

तो राजा रति ने यमदूत से यह कहने लगे कि मैंने कभी कोई गलत काम नहीं किया और न ही कोई पाप किया है तो फिर भी मुझे तुम्हारे साथ जाना होगा। यह सुनकर यमदूत, राजा रति से कहते है कि एक दिन एक ब्रह्मण आपके द्वार से भूखा लौट गया था। उसी की पाप के लिए मैं आपको ले जाने आया हूँ।

राजा रति जब यमदूत से अपने ग़लतियों के बारे में जानता है तो वह अपनी गलती को सुधारना चाहता है और अपनी गलती को प्रायश्चित करने के लिए राजा रति ने यमदूत से एक वर्ष का समय माँगा। इस तरह यमदूत राजा रति को समय दे देते है और वहाँ से लौट जाते है।

उसके बाद राजा ऋषियों के पास गए और अपनी गलती के बारे में बताते हुए, इस दुविधा से मुक्ति का उपाय पूँछे, तब ऋषि ने राजा रति को यह बताया कि तुम कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दर्शी तिथि का व्रत करो और ब्रह्मण को भोजन करवाओ। ऋषि द्वारा बताए गए उपाय को राजा रति पूरी श्रद्धा के साथ करते है और पाप से मुक्त हो जाते है।

तभी से ही लोग अपने पाप तथा नर्क़ से मुक्ति पाने के लिए कार्तिक चतुर्दर्शी के दिन व्रत रखते है और अपने चौखट के बाहर दीपक जलाते है और यह दीप मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होता है।

छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है

छोटी दिवाली के दिन यम का दीपक क्यों जलाया जाता है?

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार छोटी दिवाली का विशेष महत्व है, तथा यह पर्व हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। लोग छोटी दिवाली के दिन अपने घर को लाइट्स तथा दियों से सजाते है तथा इस दिन प्रत्येक घर में मृत्यु के देवता यमराज के लिए दीपक जलाए जाते है और यह माना जाता है कि छोटी दिवाली पर दीपक जलाने से हमारे अंदर का भय समाप्त हो जाता है और हमारे परिवार में किसी की भी अकाल मृत्यु नहीं होती है।

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