HomeImportant Festivalsअक्षय तृतीया का अर्थ, इतिहास, तिथि, एवं महत्व (Akshaya Tritiya) (2024)

अक्षय तृतीया का अर्थ, इतिहास, तिथि, एवं महत्व (Akshaya Tritiya) (2024)

अक्षय तृतीया का त्योहार शुभता का प्रतीक है। इसे विशेषकर भारत में हिन्दू एवं जैन धर्म के लोग मनाते हैं।  अक्षय तृतीया का त्योहार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है तथा इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था तथा अक्षय तृतीया के दिन ही त्रेता और सतयुग का आरम्भ हुआ था तथा इस दौरान अक्षय तृतीया के दिन को बेहद ही शुभ माना जाता है, और मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन सोने की ख़रीद, गंगा स्नान, दान, होम, गृह प्रवेश तथा अन्य शुभ कार्य करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

2024 में अक्षय तृतीया कब है?

2024 में अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई को पूरे भारत में मनाया जायेगा, जो शुक्रवार का दिन है, तथा अक्षय तृतीया के दिन को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है, तथा अक्षय तृतीया के दिन मंगल तथा शुभ कार्य करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

सालअक्षय तृतीया का दिन
2022 3 मई, मंगलवार
202322 अप्रैल, शनिवार
202410 मई, शुक्रवार
202530 अप्रैल, बुधवार
202619 अप्रैल, रविवार

अक्षय तृतीया का त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है तथा यह त्योहार धन, समृद्धि और खुशियों का प्रतीक माना जाता है तथा अक्षय तृतीया को आखा तीज के रूप में भी जाना जाता है, तथा इस दिन कई लोग इस त्योहार को अक्षय तीज के रूप में भी मनाते है।

अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त:

हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया पर्व का विशेष महत्व होता है, तथा अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त 10 मई यानि शुक्रवार को सुबह 4 बजकर 20 मिनट से शुरू होने वाली है और इनका समापन 11 मई को रात 02 बजकर 45 मिनट तक ही रहेगी,

अक्षय तृतीया कब है?10 मई, 2024 दिन शुक्रवार
अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त शुक्रवार को सुबह 4 बजकर 20 मिनट से शुरू होगी और
शनिवार को रात 02 बजकर 45 मिनट पर ख़त्म होगी
अक्षय तृतीया के दिन ख़रीदारी सोने-चाँदी का आभूषण, बर्तन या फिर कोई भी धातु का सामान खरीदना शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया के दिनमहर्षि वेद व्यास जी ने भगवान गणपति के साथ महाभारत लिखना शुरू किया था, इस दिन चार धाम की यात्रा शुरू होती है और बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलते है और इसी दिन वृंदावन में बांके बिहारी के चरणों का दर्शन किया जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन किये गये शुभ कार्य से हमें धन-वैभव तथा सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अक्षय तृतीया का अर्थ (Meaning of Akshaya Tritiya)

अक्षय का अर्थ है- कभी नष्ट या क्षय नहीं होना, ये कभी भी क्षय नहीं होता है। जबकि तृतीया वैशाख के तीसरे चंद्र दिवस को कहा जाता है। अक्षय तृतीया पर सोना, सोने के गहने, सिक्के खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।

अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है? (History of Akshaya Tritiya )

अक्षय तृतीया को नई शुरुआत, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। अक्षय तृतीया से जुड़ी कई कहानियाँ लोगों में प्रचलित हैं, जो लोक कथाओं का हिस्सा भी है :

अक्षय तृतीया
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1- अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु ने नारायण का अवतार लिये थे, और इसी दिन ही त्रेता और सत युग का आरम्भ हुआ था जो सभी युग में सबसे अच्छा युग माना जाता है, जिसके कारण इस दिन को युगादि तिथि भी कहा जाता है, तथा इस युग के दौरान पाप तथा छल न के बराबर हुआ करता था, जिस कारण इस युग में रहने वाले लोगों की आयु तथा कद बहुत ही लम्बी हुआ करती थी, और इस युग की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था।

2- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। यह वह दिन है जब उन्होंने कठोर तपस्या करने के बाद भगवान शिव से अपना दिव्य फरसा, परशु प्राप्त किया था। अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था, तथा मान्यता है कि भगवान परशुराम अमर है और वह आज भी धरती पर जीवित है, तथा परशुराम को आठ चिरंजीवियों में से एक माना जाता है।

3- एक अन्य किंवदंती है कि इस दिन, गंगा नदी, स्वर्ग से धरती पर उतरी थी। अक्षय तृतीया पर गंगा में स्नान करना अत्यधिक शुभ और पवित्र माना जाता है। इसीलिए लोग इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करते हैं।

4-ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया की सबसे प्रचलित कहानी कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की कहानी है। सुदामा, भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त थे एवं वे बचपन में एक दूसरे के संग खेला करते थे। बाद में कृष्ण बड़े होकर द्वारिका के राजा बन गया पर सुदामा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी।

एक दिन, सुदामा की पत्नी ने सुझाव दिया कि वह कृष्ण से आर्थिक मदद लें। सुदामा को यह मंज़ूर नहीं था कि धन के लिए कृष्ण की मदद ली जाए। लेकिन अंततः कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका जाने के लिए सहमत हो गए। जब सुदामा द्वारिका पहुंचे, तो वे कृष्ण के भव्य महल को देखकर दंग रह गए। फिर भी, उन्होंने कृष्ण से प्रेमपूर्वक मुलाकात किया एवं उपहार के रूप में उसे चावल की पोटली दे दिया।

हालांकि, कृष्ण ने सुदामा का खुले हाथों से स्वागत किया, कृष्ण को मालूम था कि सुदामा मदद मांगने में संकोच करते हैं, शर्मिंदा महसूस करते हैं। एक साथ समय बिताने के बाद, सुदामा बिना कुछ मांगे घर लौट आए। जब ​​वे अपने गाँव पहुँचे, तो वे अपनी झोपड़ी को एक शानदार महल में तब्दील पाकर चकित रह गए। उनका परिवार अब शाही पोशाक पहन रहा था, और वे खुशहाल जीवन जी रहे थे।

सुदामा को एहसास हुआ कि यह कृष्ण का ही चमत्कार है। कृष्ण ने उन्हें बिना मांगे ही धन और समृद्धि का आशीर्वाद दिया था। अक्षय तृतीया शाश्वत समृद्धि और मित्रता का प्रतीक बन गई।

5- यह भी कहा जाता है कि इस दिन पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर को भगवान कृष्ण से एक अक्षय पात्र मिला था, इस अक्षय पात्र की यह विशेषता थी कि इसमें भोजन हमेशा भरा रहता था चाहे जितना भी भोजन उसमें से खा लो। यह कभी खाली नहीं होता। कृष्ण ने पांडवों को इसीलिए अक्षय पात्र का दान दिया था कि वे अपने वनवास के दौरान कभी भूखे न रहें।

6- ऐसा माना जाता है कि देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर ने अक्षय तृतीया पर देवी लक्ष्मी से प्रार्थना की और उन्हें धन और समृद्धि प्रदान की गई जिसमें उन्हें हिंदू देवताओं में सबसे धनी देवता बना दिया।

अक्षय तृतीया के दिन क्या करना चाहिए:

  • अक्षय तृतीया के दिन बिना पंचांग देखे शुभ कार्य किया जा सकता है, तथा
  • अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की उपासना की जाती है।
  • अक्षय तृतीया के दिन सोना-चाँदी तथा गहने ख़रीदना काफी शुभ माना जाता है तथा इस दिन गृह प्रवेश, पूजा-पाठ तथा होम करना और वाहन खरीदना भी काफी शुभ होता है।
  • अक्षय तृतीया के दिन दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है, तथा इस दिन जरुरतमंदो को भोजन तथा वस्त्र दान करना अति शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया
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अक्षय तृतीया पूजा विधि:

अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है तथा इस दिन सुबह उठकर प्रातः स्नान कर साफ कपड़े धारण करे उसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करे, तथा अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

इस दिन भगवान विष्णु को पीले फूल तथा माला अर्पित कर, उनका भोग लगायें तथा उसके बाद भगवान विष्णु को दीप तथा अगरबत्ती दिखायें, तथा विष्णु चालीसा का पाठ करे तथा अक्षय तृतीया के दिन यह कार्य करने से हमारे घरों में धन-दौलत तथा सुख समृद्धि बनी रहती है।

अक्षय तृतीया पर क्या खरीदना चाहिए:

अक्षय तृतीया के दिन ख़रीदारी करना काफी शुभ माना जाता है तथा इस दिन स्टील के बर्तन, मिट्टी का घड़ा तथा शंख खरीदना काफी शुभ होता है तथा रसोई में ख़रीदने के लिये पीली सरसों तथा गोटा धनिया खरीदना बेहद ही लाभकारी माना जाता है, तथा इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन सोने और चाँदी का आभूषण खरीदने से और इन्हें घर लाने से शुभ होता है तथा इस दिन काले रंग की बनी धातु और काले कपड़े ख़रीदने से हमें बचना चाहिये।

अक्षय तृतीया पर क्या दान करना चाहिए?

अक्षय तृतीया के दिन दान का विशेष महत्व होता है इस दिन ग़रीबों को भोजन तथा कपड़े दान करने से वर्ष भर सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। तथा इस दिन सत्तू, गेहूं तथा जौ दान करना बेहद ही लाभकारी होता है। अक्षय तृतीया के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनो उच्च राशि में स्थित होते है, जिससे इस दिन दान-दक्षिणा से वर्ष भर धन-दौलत की प्राप्ति होती है।

अक्षय तृतीया का महत्व:

अक्षय तृतीया का महत्व अनेक कारणों से है। अक्षय तृतीया को प्राचीन समय से ही धन और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। इस दिन विवाह, नए कारोबार की शुरुआत, धन की वृद्धि के लिए निवेश, और धार्मिक कार्यों को प्रारंभ करने का शुभ मुहूर्त माना जाता है।

इस दिन विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा और अर्चना की जाती है, जैसे लक्ष्मी माता की पूजा धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए की जाती है। अक्षय तृतीया जैसे शुभ दिन को लेकर यह मान्यता है कि इस शुभ दिन पर माँ गंगा का धरती पर आगमन हुआ था, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है, इस दिन गंगा स्नान करने से लोगों को पापों से मुक्ति मिलती है,

कहा जाता है कि

वैशाख के समान कोई मास नही, सत्ययुग के समान कोई युग नही, वेद के समान कोई शास्त्र नही, और गंगा जी के समान कोई तीर्थ नही है, उसी तरह अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नही है।

अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनाथ के कपाट खुलते है। हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा बेहद ही महत्वपूर्ण होता है, तथा अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनाथ के कपाट खुलने से सैलानी नवंबर माह तक भगवान भोले की यात्रा कर सकते है, तथा इस दौरान धाम को 20 क्विंटल फूलो से सजाया जाता है, तथा भोले नाथ के पहले दर्शन के दौरान काफी भीड़ उमड़ती है।

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