Bhai Dooj Ka Mahatva: भाई दूज हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है तथा भारत में इस त्योहार को बहुत ही धूम-धाम और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। रक्षा बंधन की तरह भाई दूज का यह त्योहार भाई-बहन के रिश्तों के प्रेम का प्रतीक है तथा भाई दूज का त्योहार दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है।
भाई दूज को भैयादूज तथा यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है तथा इस दिन सभी भाई अपने बहन से मिलने के लिए उनके घर जाते है तथा इस दौरान बहन अपने भाई को तिलक लगा कर उनकी आरती करती है और उन्हें मिठाई खिलाती है। भाई दूज के इस पावन पर्व पर सभी बहन अपने भाई की लम्बी उम्र के लिए कामना करती है तथा यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक है।
भाई दूज कब है?(Bhai Dooj 2024 Date)
भाई दूज का यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। साल 2024 में भाई दूज का यह त्योहार 03 नवंबर, दिन-रविवार को मनाया जाएगा।
2024 में भाई दूज का शुभ मुहूर्त:
साल 2024 में भाई दूज का शुभ मुहूर्त 02 नवंबर को रात 08:21 बजे से शुरू होगा और इसका समापन 03 नवंबर को देर रात 10 बजकर 05 मिनट पर होगा। इसलिए इस साल भाई दूज का यह त्योहार 03 नवम्बर को मनाया जाएगा।
तिलक करने का शुभ समय:
भाई दूज में अपने भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त 03 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से लेकर 03 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।
वर्ष | तारीख़ |
2022 | 26 अक्टूबर, दिन-बुधवार |
2023 | 15 नवंबर, दिन-बुधवार |
2024 | 03 नवम्बर, दिन-रविवार |
2025 | 23 अक्टूबर, दिन- गुरुवार |
2026 | 11 नवंबर, दिन- बुधवार |
भाई दूज में उपयोग किए जाने वाले आवश्यक सामाग्री:
भाई दूज के त्योहार में हमें विभिन्न आवश्यक सामग्री की आवश्यकता पड़ती है। जिनमें से लोरी, अक्षत, पान का पत्ता, फूल, फल, माला, मिठाई, दूब घास तथा नारियल आदि।
भाई दूज पर तिलक कैसे करे?
- भाई दूज के इस शुभ अवसर पर आप सुबह उठकर स्नान कर ले और स्नान के बाद साफ तथा स्वच्छ कपड़े धारण करे, उसके बाद तिलक की थाली तैयार करे।
- थाली में रोली, चंदन, अक्षत, फूल, कुमकुम तथा मिठाई जरुर रखे।
- उसके बाद शुभ मुहूर्त पर बहने अपने भाई को अनामिका उँगली से भाई के माथे पर तिलक लगाए, अब तिलक के ऊपर अक्षत लगाए।
- अब अपने भाई को मिठाई खिलाए और अंत में अपने भाई को कपूर से आरती करे।
- उसके बाद भाई अपने बहनों को गिफ़्ट तथा उपहार दे और अपनी बहन से आशीर्वाद ले।
भाई दूज का महत्व: (Bhai Dooj Ka Mahatva)
- भारत में भाई दूज के पर्व का विशेष महत्व है तथा प्रत्येक वर्ष भाई दूज का यह पर्व दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है।
- भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है तथा यह कहा जाता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए धरती पर आते है।
- भाई दूज के दिन बहने, भाई को अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करती है और कहा जाता है कि जो भी भाई अपने बहन के घर जाकर भोजन करेगा तो उनके ऊपर से मृत्यु का संकट टल जाता है और मान्यता यह भी है कि भाई दूज के दिन जो भी व्यक्ति यमुना नदी में स्नान कर यम की पूजा करेगा, तो उन्हें मृत्यु के पश्चात यमलोक में जाना नहीं पड़ेगा और उन्हें नरक से मुक्ति मिलती है।
- पश्चिम बंगाल तथा असम राज्य में भाई दूज को भाई फोटा के नाम से भी जाना जाता है।
भाई दूज से जुड़ी कथा:
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा की दो संतान थी, जिनमें से इनके बेटे का नाम यमराज और बेटी का नाम यमुना था, इस तरह यमराज और यमुना दोनो भाई बहन थे। यमराज पापियों को दंड देता था जिसके कारण यह मृत्यु के देवता कहलाए और अपनी खुद की नगरी यमपुरी बसाए।
यमुना निर्मल और कोमल स्वभाव की थी और अपने भाई को यह सब करते देख काफी दुखी होती थी जिसके कारण यमुना गोलोक में रहने लगी इस तरह यमुना अपने भाई यमराज से मिलने के लिए बहुत व्याकुल रहती थी, लेकिन यमराज अपने कामों में व्यस्त होने के कारण वह अपनी बहन से नहीं मिल पाता था।
कई साल बीतने के पश्चात यमुना अपने भाई यमराज को भोजन के लिए आमंत्रित करती है, तो यमराज यह सोचते है कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूँ मुझे कोई अपने घर नहीं बुलाता लेकिन मेरी बहन यमुना मुझे जिस आदर-सम्मान से बुला रही है तो मुझे उनकी सम्मान का पालन करना चाहिए। इस तरह यमराज अपने बहन के घर भोजन पर निकलने से पहले नरक में रह रहे निवासियों को आज़ाद कर देता है।
यमुना अपने भाई यमराज से माँगी वरदान:
यमराज के गोलोक पहुँचते ही उनकी बहन यमुना ने अपने भाई को काफी आदर-सत्कार करते हुए उन्हें तिलक लगाई और उनकी आरती की तथा कुछ समय पश्चात यमुना अपने भाई को स्वादिष्ट भोजन करवाई, तो इस दौरान यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्रसन्न हुआ। इस तरह यमराज अपनी बहन यमुना को अपनी मनोवांछित वर माँगने को कहा।
तब यमुना यह कहती है कि भैया आप मुझे यह वरदान दीजिए, कि आप प्रत्येक वर्ष आज के दिन मेरे घर आएँगे और मेरी तरह जो भी अपने भाई का आदर-सत्कार करेगा, तो उन्हें आपका(यमराज) भय नहीं रहेगा। यमराज अपनी बहन को तथाःस्तु कहते है और अपनी बहन यमुना से यह वादा करता है कि वह हर साल यहाँ आएगा, उसके बाद यमराज यमलोक की ओर प्रस्थान कर लेते है। यमराज अपनी बहन यमुना का यह भेंट स्वीकार करता है और तभी से यह पर्व भाई दूज के नाम से मनाया जाने लगा।
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