Sharad Purnima Ka Mahatva In Hindi: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है तथा साल की सभी 12 पूर्णिमा में से शरद पूर्णिमा का महत्व सबसे अधिक है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होती है और धरती पर अमृत की वर्षा करती है इसलिए इस दिन गाय के दूध से बने खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने की विशेष परंपरा है।
शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करती है, इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है, इसके अलावा शरद पूर्णिमा के इस पावन दिन पर अन्य शुभ कार्य की शुरुआत भी की जाती है।
शरद पूर्णिमा कब है?
साल 2024 में शरद पूर्णिमा का व्रत 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है तथा इस दिन कई महिलाएँ शरद पूर्णिमा का व्रत रखती है और संध्या के समय माता लक्ष्मी की पूजा करती है।
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त:
साल 2024 में शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 16 अक्टूबर को रात 8 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगा और चंद्रमा को अर्ध्य देने का समय रात को 08:41 मिनट पर प्रारंभ होगा, इस तरह भारत में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को दिन- बुधवार को मनाया जाएगा।
पर्व | शरद पूर्णिमा |
शरद पूर्णिमा कब है? | 16 अक्टूबर, दिन- बुधवार |
शुभ मुहूर्त | बुधवार को रात 08:41 मिनट से शुरू है। |
शरद पूर्णिमा का अन्य नाम | कोजगारी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा |
शरद पूर्णिमा की पूजा कैसे करे?
- शरद पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है तथा इस दिन गंगा स्नान करने के बाद आप साफ तथा स्वच्छ कपड़े धारण करे।
- अब एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित करे।
- अब माता लक्ष्मी को चुनरी पहनाते हुए इन्हें सिंदूर, चंदन, फूल, अक्षत तथा धूप अर्पित करे। अब माता लक्ष्मी को नारियल का लड्डू, फल तथा खीर का भोग लगाए।
- उसके बाद माता लक्ष्मी को कपूर से आरती करते हुए इनका ध्यान करे।
- अंत में लक्ष्मी चालीसा का पाठ जरुर करे।
शरद पूर्णिमा का अन्य रूप:
पश्चिम बंगाल में शरद पूर्णिमा को कोज़गारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है तथा इस दिन लोग शरद पूर्णिमा के रूप में कोज़गारी पूर्णिमा का व्रत रखते है। कोज़गारी का अर्थ- ‘कौन जाग रहा है’ होता है अर्थात् इस दिन लोग रात भर जाग कर माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते है।
शरद पूर्णिमा का चाँद:
शरद पूर्णिमा के दिन चाँद का विशेष महत्व है तथा इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं में विधमान रहती है और पृथ्वी पर अमृत तथा औषधिय गुणों की वर्षा करती है इसलिए इस दिन दूध से बने खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है।
शरद पूर्णिमा के दिन खीर का महत्व:
शरद पूर्णिमा के दिन खीर खाने की परम्परा है तथा इस दिन खीर को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है और मान्यता है कि अगले दिन इस खीर को ग्रहण करने से हमारे जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते है और हमें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा के दिन गाय के दूध से बने खीर का सेवन करना अत्यंत लाभदायक होता है, कहा जाता है कि इस शरद पूर्णिमा के रात आसमान से अमृत तथा औषधीय गुणों की वर्षा होती है और इसी बारिश की बूँद खीर में मिलने से खीर अमृत बन जाता है और इस अमृत रूपी खीर का सेवन करने से हमें रोगों से मुक्ति मिलती है इसके अलावा इस दिन खीर का सेवन करने से हमारे कुंडली से चंद्रदोष दूर होता है। शरद पूर्णिमा का खीर खाने से हमें कई रोगों से मुक्ति मिलती है।
शरद पूर्णिमा का महत्व: (Sharad Purnima Ka Mahatva In Hindi)
- हिंदू धर्म के आश्विन मास में मनाए जाने वाले शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। शरद पूर्णिमा को बाक़ी सभी पूर्णिमा की तुलना में सबसे श्रेष्ठ तथा उत्तम माना जाता है तथा इस दिन माँ लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है।
- मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी की उत्पति हुई थी और शरद पूर्णिमा के इस पावन दिन पर माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करती है तथा इस दिन माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। माता लक्ष्मी की कृपा हम पर बने रहे इसलिए इस दिन कनक धारा स्त्रोत का पाठ किया जाता है।
- शरद पूर्णिमा के दिन कई धार्मिक स्थलों में भंडारा का आयोजन किया जाता है तथा इस दौरान ग़रीबों में अन्न, वस्त्र और धन का दान किया जाता है।
- शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर हमें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है तथा इस दिन माता अपने भक्तों पर कृपा बरसाती है।
- शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी में दूध से बनी खीर को रखा जाता है तथा मान्यता है कि अगले दिन इस खीर का सेवन करने से हमारे जीवन में सुख-शांति तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- शरद पूर्णिमा के दिन चाँद और पृथ्वी की दूरी सबसे कम होती है जिसके कारण इस दिन चंद्रमा की रोशनी सबसे तेज होती है तथा इस दिन से ही शरद ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है।
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