Laxmi Puja 2024: हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी का विशेष महत्व है तथा खास कर दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है, क्योंकि माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है इस तरह माता लक्ष्मी की उपासना करने से हमें धन, सम्पती तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है तथा इस दिन पूरे भारतवर्ष में दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।
लक्ष्मी पूजा की तिथि एवं शुभ मुहूर्त:
लक्ष्मी पूजा हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है तथा इस दिन माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है। साल 2024 में लक्ष्मी पूजा का त्योहार 31 अक्टूबर, दिन गुरुवार को मनाया जाएगा तथा इस दिन लक्ष्मी पूजा करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 01 नवंबर को शाम 6 बजे होगा।
लक्ष्मी पूजा (Laxmi Puja 2024):
लक्ष्मी पूजा कब है? | 31 अक्टूबर, दिन गुरुवार |
पूजा का शुभ मुहूर्त | 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू है। |
माता लक्ष्मी का अन्य नाम | अष्ट लक्ष्मी, नारायणी, वैष्णवी, अंबाबाई, जगत जननी, विष्णु प्रिया, महा लक्ष्मी, रुक्मणी, श्रीनिवास |
माता लक्ष्मी का स्वरूप | कमल के फूल पर विराजमान माता लक्ष्मी का स्वरूप अत्यंत कोमल है। |
माता लक्ष्मी का स्वभाव | चंचल प्रकृति का है। |
माता लक्ष्मी किसकी अर्धागिनी है? | संसार का पालनहार भगवान विष्णु की। |
लक्ष्मी पूजा के लिए आवश्यक सामग्री:
माता लक्ष्मी की पूजा के लिए हमें विभिन्न सामग्री की आवश्यकता पड़ती है, जिनमें से हमें लाल कपड़ा, रोली, सुपारी, कमल का फूल, हल्दी की गांठ, धूप बत्ती, मिट्टी के दीपक, घी, फूल, कपूर, चाँदी के सिक्के और माता लक्ष्मी तथा भगवान गणेश की मूर्ति आदि।
लक्ष्मी पूजा के लिए कलश स्थापना:
माता लक्ष्मी की पूजा शुरू करने से पहले कलश की स्थापना करे, तो इसके लिए आप एक कांस्य के लोटे में जल भरे, अब इस लौटे में सुपारी तथा सिक्का डाले, अब लौटे में आम के पत्ते लगाते हुए इसके ऊपर डाब(नारियल का पानी) रखे, अब ज़मीन पर थोड़ा स अक्षत फैलाते हुए कलश की स्थापना करे। अब इसी कलश पर स्वस्तिक बना कर पूजा शुरू करे।
लक्ष्मी पूजा करने की विधि?
- लक्ष्मी पूजा के दिन आप सुबह उठ कर स्नान करे और तब जाकर घर की मंदिरों की सफ़ाई करे, उसके बाद शाम को लक्ष्मी पूजा की तैयारी करे
- शाम को माता लक्ष्मी की पूजा करने से पहले आप फिर नहा-धोकर फ़्रेश हो जाए और स्वच्छ कपड़े धारण करे, अब माता लक्ष्मी की स्थापना के लिए एक चौकी पर लाल कपड़े बिछाए। उसके बाद इस चौकी पर माता लक्ष्मी तथा भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करे।
- अब माता को फूलों तथा माला से सजाए, उसके बाद माँ को सिंदूर, चंदन तथा श्रिंगार अर्पित करे उसके साथ-साथ भगवान गणेश को भी लोरी, चंदन तथा माला चढ़ाए।
- अब माता को भोग लगाते हुए धूप तथा अगरबत्ती जलाए, उसके बाद भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी को कपूर से आरती करे।
जाने माता लक्ष्मी की उत्पति कैसे हुई ?
- पौराणिक कथाओं के अनुसार माता लक्ष्मी की उत्पति ऋषि दुर्वासा तथा भगवान इंद्र के मुलाक़ात से हुई। एक बार ऋषि दुर्वासा, भगवान इंद्र से मुलाक़ात करने के लिए स्वर्ग लोक पर गए तथा भेंट में ऋषि दुर्वासा ने भगवान इंद्र के लिए फूलों की माला ले गए और जब ऋषि दुर्वासा ने भगवान इंद्र को माला पहनाए तो भगवान इंद्र यह माला खुद न पहन कर अपने हाथी ऐरावत के गले में डाल दिए और ऐरावत इस माला को पृथ्वी पर फ़ेक देते है।
- यह देख ऋषि दुर्वासा क्रोधित हो गए और भगवान इंद्र को श्राप देते हुए यह कहा कि जिस तरह आपने माला को अपमान जनक फेंका है उसी तरह आपका यह साम्राज्य भी बर्बाद हो जाए। यह कह कर ऋषि दुर्वासा वहाँ से चले जाते है।
- कुछ दिनों बाद इंद्रदेव की साम्राज्य में परिवर्तन होने लगता है। देवताओं अपनी शक्तियाँ खोने लगते है तथा पौधे मुरझाने लगते है। चारों तरफ हाहाकार मच जाता है, मानो सब उथल-पुथल स हो गया हो। अंत में इंद्र देव, ब्रह्म के पास जाते है तो इस दौरान ब्रह्म तथा सभी देवताओं ने आपस में मिलकर समुद्र मंथन का निर्णय लेते है।
- इस तरह सभी देवताओं तथा दैत्यों ने आपस में मिल कर समुद्र मंथन की शुरुआत की और इसी हलचल से माता लक्ष्मी का जन्म हुआ। माता लक्ष्मी का यह स्वरूप काफी कोमल तथा सौंदर्य था तथा इनके स्वरूप को देख सभी देव तथा दानव इनके ओर खिचे चले आए। इस तरह माता लक्ष्मी अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए वह स्वयं को भगवान विष्णु को सौंप दी।
- इस तरह माता लक्ष्मी जगत के पालनहार भगवान विष्णु की अर्धागिनी कहलाई। भगवान विष्णु के हृदय में माता लक्ष्मी का वास होने के कारण माता लक्ष्मी को श्रीनिवास के नाम से भी जाना जाता है।
माता लक्ष्मी का स्वरूप:
माता लक्ष्मी का स्वरूप अत्यंत कोमल तथा खूबसूरत है। पवित्रता का प्रतीक माता लक्ष्मी अपने एक हाथ में कमल का फूल तथा दूसरे हाथ में सोने से बने आभूषण तथा धन लिए हुए कमल के फूल पर विराजमान माता का यह स्वरूप अत्यंत सौंदर्य है। हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को धन तथा सौभाग्य की देवी कहा जाता है तथा धन की देवी के रूप में इनका स्वरूप अतुलनीय है।
लक्ष्मी पूजा में कमल का महत्व:
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता लक्ष्मी को कमल का फूल काफी प्रिय है। कमल का फूल कीचड़ में खिलने के बावजूद भी वह अपने ऊपर गंदगी को हावी होने नहीं देता है तथा कमल के फूल को बहुत पवित्र माना जाता है और इसका सम्बन्ध सौरमंडल के नौ ग्रहों से होता है। इस तरह माता लक्ष्मी को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है और लक्ष्मी पूजा के समय कमल का फूल अवश्य चढ़ाया जाता है और मान्यता यह भी है कि दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी को कमल का फूल चढ़ाने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
लक्ष्मी पूजा पर कितने दिये जलाए?
- कार्तिक माह को त्योहारों का महीना माना जाता है तथा इस पवित्र महीने में लक्ष्मी पूजा, काली पूजा, गोवर्धन पूजा, भाई दूज तथा छठ पूजा का त्योहार मनाया जाता है।
- हिंदू धर्म में लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है तथा इस दिन लोग अपने घरों में माता लक्ष्मी की पूजा -अर्चना करने के बाद मिट्टी से बने दीपक जलाते है तथा इस दौरान हमें मिट्टी के 31 दीपक जलाना चाहिए और यह सभी दीपक सरसों के तेल से जलाना चाहिए।
- शास्त्रों में यह बताया गया है कि माता लक्ष्मी चंचल प्रकृति की होती है इसलिए माता लक्ष्मी का आशीर्वाद हम पर हमेशा बने रहे इसके लिए हमें नियमित रूप से माता लक्ष्मी की उपासना करनी चाहिए ताकि माता लक्ष्मी की कृपा से हमें धन, वैभव तथा सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो।
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