More

    दशहरा में नीलकंठ का महत्व : जानें नीलकंठ पक्षी के दर्शन से क्या होता है? (2024)

    Share

    दशहरा में नीलकंठ का महत्व : दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना काफी शुभ माना जाता है तथा यह मान्यता है कि दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी के एक मात्र दर्शन से मनुष्य के जीवन में सुख-शांति तथा धन-वैभव की प्राप्ति होती है। नीलकंठ पक्षी का रंग नीला होने के कारण इसे भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है।

    दशहरा में नीलकंठ का महत्व : जानें नीलकंठ पक्षी के दर्शन से क्या होता है?

    भारत में दशहरे का त्योहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है तथा शारदीय नवरात्री के दौरान नौ दिनों तक माँ दुर्गा की प्रतिमा की पूजा आराधना करने के बाद इसके अगले दिन दशहरा का त्योहार मनाया जाता है और इस दिन पूरे भारत वर्ष में रावण का दहन किया जाता है तथा इस दिन को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा के इस खास मौक़े पर नील कंठ पक्षी के दर्शन से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है।आइए जानते हैं – नीलकंठ पक्षी के बारे में विस्तार से –

    दशहरा में नीलकंठ का महत्व

    आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा का त्योहार मनाया जाता है तथा इस दिन नील कंठ पक्षी का विशेष महत्व होता है और लोग इस पक्षी को देखने के लिए आकाश को निहारते रहते है ताकि नील कंठ पक्षी की एक झलक उन्हें दिखाई दे सके।

    नीलकंठ पक्षी की विशेषता

    लम्बाईलगभग 27 सेंटीमीटर
    वजन80 ग्राम
    रंगनीला तथा गहरा बैंगनी रंग का होता है
    सबसे अधिक क़हाँ पाया जाता हैभारत, इंडोनेशिया तथा दक्षिण एशिया
    अन्य नामनील कंठी, टेंस राजा तथा रोलर पक्षी
    नीलकंठ पक्षी का दर्शनशुभता का प्रतीक होता है।

    नीलकंठ पक्षी कैसा होता है?

    दशहरा में नीलकंठ का महत्व : जानें नीलकंठ पक्षी के दर्शन से क्या होता है?

    नील कंठ पक्षी की लम्बाई क़रीब 27 सेंटीमीटर तक होती है तथा इनका वजन लगभग 80 से 100 ग्राम तक का होता है। इनका अग्र भाग नीला होता है और इनके पंख गहरे बैंगनी रंग के होते है। नीलकंठ पक्षी दक्षिण एशिया में सबसे अधिक पाया जाता है इसके अलावा यह पक्षी भारत तथा इंडोनेशिया में भी पाया जाता है। खास कर कृषि क्षेत्र तथा मैदानी वाले भागों में नीलकंठ पक्षी की संख्या सबसे अधिक देखने को मिलती है तथा नील कंठ पक्षी की आवाज़ काफी कड़क होती है।

    नील कंठ पक्षी का दूसरा नाम:

    नील कंठ पक्षी का वैज्ञानिक नाम कोरासियास बेंगलेंसिस है इसके अलावा नीलकंठ पक्षी को भारतीय रोलर भी कहा जाता है, इसके साथ-साथ नीलकंठ पक्षी को नील कंठी, टेंस राजा तथा रोलर पक्षी के नाम से भी जाना जाता है।

    नीलकंठ पक्षी क्या खाता है?

    नील कंठ पक्षी ज़मीन के कीड़े खाता है इसलिए यह पक्षी किसानों के लिए काफी लाभकारी माना जाता है क्योंकि खेत में लगे कीड़े नीलकंठ पक्षी का पसंदीदा भोजन होता है।

    नीलकंठ पक्षी की कहानी: पौराणिक कथाओं में ज़िक्र मिलता है – नीलकंठ का

    पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान राम लंका पति रावण का, वध करने जा रहे थे तो इससे पहले इन्होंने नीलकंठ पक्षी का दर्शन किए थे। नील कंठ पक्षी के एक मात्र दर्शन से भगवान राम विजय प्राप्त किए और लंका पति रावण का संहार कर इस संसार से बुराइयों का अंत किए। इस तरह दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना काफी शुभ माना जाता है।

    नील कंठ पक्षी से जुड़ी एक ओर अन्य कथा यह है कि जब भगवान राम ने लंका पर विजय हासिल की तब उन पर ब्रह्मा हत्या का पाप लगा था तथा इस दौरान भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ देवों के देव महादेव(शिव) की पूजा आराधना शुरू की तो इस तरह भगवान शिव प्रसन्न होकर नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर धरती पर प्रकट हुए और भगवान राम को दर्शन दिए।

    नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। कथाओं के अनुसार जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान विश पान किए थे तो इस दौरान भगवान शिव रंग-बिरंगे पक्षी का रूप धारण किए थे। इस तरह दशहरा के दिन नील कंठ पक्षी का दर्शन करना एक मात्र भगवान शिव के दर्शन के बराबर है।

    नीलकंठ पक्षी की आवाज

    नील कंठ पक्षी का महत्व:

    • दशहरा के दिन नील कंठ पक्षी के एकमात्र दर्शन से हमारे जीवन में सुख-समृद्धि तथा सफलता की प्राप्ति होती है।
    • किसानों के लिए बेहद लाभकारी होता है नीलकंठ पक्षी। भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा जब किसान अपने खेतों में फसलों की उपजाऊ करते है तो उनके खेत में कीड़े लग जाते है और यह कीड़ा फसलों को नुक़सान पहुँचाता है। इस तरह नील कंठ पक्षी उन कीड़ों को खा लेता है जिससे फसल बर्बाद नहीं होते है इसलिए किसान नीलकंठ पक्षी को शुभ चिंतक मानते है।
    • नीलकंठ पक्षी से जुड़ी एक ओर मान्यता यह है कि दशहरा के दिन नील कंठ पक्षी के एक मात्र दर्शन से विवाह के योग्य बनने लगते है। इस तरह नीलकंठ पक्षी शुभता का प्रतीक है। नीलकंठ पक्षी को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है तथा इनके दर्शन से हर कार्य शुभ होते है।
    • नील कंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है तथा दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन से भगवान शिव के दर्शन के बराबर है क्योंकि भगवान शिव को भी नीलकंठ कहा जाता है।

    नीलकंठ पक्षी के पंख का महत्व

    नीलकंठ पक्षी का पंख अत्यंत लाभकारी होता है तथा ऐसा माना जाता है नील कंठ पक्षी के पंख को घास तथा चारा में मिलाकर गायों को खिलाने से दूध की पैदावार अच्छी होती है और गाय भी स्वस्थ रहती है।

    रोचक जानकारी

    Sindoor Khela 2024: जानें सिंदूर खेला क्या है?

    Dussehra 2024: जाने दशहरा की तिथि, शुभ मुहूर्त तथा महत्व के बारे में।

    जानें बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है: महात्मा बुद्ध के जीवन एवं शिक्षाओं पर विहंगम दृष्टि

    Vicky Vidya Ka Woh Wala Video Movie Review: जानें ‘विक्की विद्या का वो वाला वीडियो’ का फिल्म रिव्यू, कहानी, गानों के बारे में (2024)

    jivanvrit.com
    jivanvrit.comhttps://jivanvrit.com
    जीवनवृत्त पत्रिका(www.jivanvrit.com) एक हिंदी भाषा में प्रस्तुत की गयी एक ब्लॉग वेबसाइट है । यह ब्लॉग कला, संस्कृति एवं मनोरंजन पर आधारित है।पत्रिका के विषय एवं इससे जुड़े किसी भी कंटेंट पर कोई प्रश्न हो तो मुझे Contact us मेनू के माध्यम से पूछ सकते हैं।

    Read more

    Popular Post