Navratri 5th Day: भारत में शारदीय नवरात्री का त्योहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। खास कर पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में नवरात्री के त्योहार का महत्व सबसे अधिक है तथा इस दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और कोलकाता शहर में माँ दुर्गा के भव्य पंडालो का आयोजन किया जाता है।
साल 2024 में शारदीय नवरात्री का पांचवा दिन 6 अक्टूबर यानी रविवार को मनाया जाएगा। नवरात्री के पांचवे दिन माँ दुर्गा के स्वरूप में माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। कमल के आसान पर विराजमान होने के कारण स्कंदमाता को पद्मसना देवी भी कहा जाता है तथा पौराणिक कथाओं के अनुसार यह मान्यता है कि स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करने पर हमें संतान की प्राप्ति शीघ्र होती है।
स्कंदमाता का स्वरूप:
कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। स्कंदमाता चार भुजाओं की देवी है तथा अपने दो हाथ में कमल को लिए हुए, तीसरे(दाहिने हाथ) हाथ से अपने गोद में कार्तिकेय को पकड़े हुए तथा चौथे हाथ(बायाँ हाथ) से आशीर्वाद देते हुए सिंह के ऊपर विराजमान रहती है। सिंह वाहन पर विराजमान होने के कारण इनका स्वरूप ओर भी सुशोभित प्रतीत होता है।
स्कंदमाता का अन्य नाम:
शिव तथा शक्ति के मिलन से स्कंद के रूप में कार्तिकेय का जन्म हुआ था इस दौरान माता के गोद में छः मुख वाले बच्चे के रूप में स्कंद कुमार विराजमान होते है अर्थत कार्तिकेय की माता होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता है तथा माता का यह रूप प्रेम और ममता का प्रतीक माना जाता है।
स्कंदमाता को विधा तथा बुद्धि के प्रतीक के रूप में पूजा की जाती है इसलिए स्कंदमाता को विधावाहिनी देवी भी कहा जाता है। स्कंदमाता के इस स्वरूप का ध्यान करने से हमें ज्ञान तथा विधा की प्राप्ति होती है।
स्कंदमाता से जुड़ी कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नामक राक्षस भगवान शिव का अराधना कर अपार शक्तियाँ हासिल किए थे तथा इस दौरान तारकासुर को यह वरदान प्राप्त हुआ कि इनका वध एक मात्र शिव पुत्र के हाथों ही हो सकता है। इस तरह पूरे ब्रह्मांड पर तारकासुर नामक राक्षस का अत्याचार बढ़ने लगा।
तारकासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए शिव शक्ति के मिलन से एक पुत्र का जन्म हुआ और इस पुत्र का नाम कार्तिकेय पड़ा तथा कार्तिकेय के बाल्य अवस्था में ही माता पार्वती, स्कंदमाता का रूप धारण कर कार्तिकेय को प्रशिक्षित किया करती थी और इस तरह स्कंदमाता अपने पुत्र के लिए एक भाला भी तैयार किया करती थी। युद्ध के दौरान कार्तिकेय ने अपने माँ के द्वारा दिए गए भाला से ही तारकासुर नामक राक्षस का वध किया था और सम्पूर्ण संसार को अत्याचार से मुक्त करवाया।
स्कंदमाता का भोग: (5th Day Of Navratri Bhog)
नवरात्री के पांचवे दिन यानी स्कंदमाता को पीले रंग का भोग चढ़ाया जाता है जिनमें से बेसन का लड्डू, बतासा, पीली मिठाई तथा केसर का खीर का भी भोग लगा सकते है क्योंकि स्कंदमाता को पीले रंग की वस्तुएँ काफी पसंद है। इसके अलावा स्कंदमाता को केला काफी प्रिय है तथा आप केले का भी भोग लगा सकते है।
स्कंदमाता की पूजा:
- नवरात्री के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है तथा इस दिन पूजा करने से पहले आप सुबह उठ कर नहा धो कर फ़्रेश हो जाए और स्वच्छ कपड़े धारण करे। उसके बाद चौकी पर पीला कपड़ा बिछा कर माँ स्कंदमाता की प्रतिमा स्थापित करे।
- उसके बाद गंगा जल का छिड़काव कर स्थान को पवित्र करे। स्कंदमाता को पीला रंग काफी प्रिय है इसलिए पूजा के समय आप माता को पीले रंग का फुल चढ़ाए तथा इन्हीं फुल से ही माता का श्रिंगार करे।
- उसके बाद फल, मिठाई, केला तथा केसर से बने खीर का भोग लगाए और साथ ही साथ विधा तथा बुद्धि के लिए पाँच हरी इलायची तथा एक जोड़ा लौंग भी चढ़ाए।
- अब माता को धूप तथा बाती दिखा कर कपूर से इनकी आरती करे।
- उसके बाद माँ दुर्गा चालीसा पढ़े और मंत्रों का जाप करते हुए स्कंदमाता का ध्यान करे तथा मान्यता यह भी है कि सच्चे मन से स्कंदमाता की पूजा-उपासना करने से भक्तों की सारी इच्छाएँ पूर्ण होती है।
नवरात्री के पांचवा दिन(Navratri 5th Day Colour):
नवरात्री के पांचवे दिन सफेद रंग का वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। सफेद रंग शांति तथा समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और स्कंदमाता को सफेद रंग काफी प्रिय है। इस तरह नवरात्री के इस खास मौक़े पर नौ अलग-अलग रंग के वस्त्र धारण किए जाते है।
नवरात्री के नौ रंग:
नवरात्री के नौ दिन | रंग | माता की पूजा |
नवरात्री का पहला दिन | पीला | माँ शैलपुत्री |
नवरात्री का दूसरा दिन | हरा | माँ ब्रह्मचारिणी |
नवरात्री का तीसरा दिन | भूरा | माँ चंद्रघंटा |
नवरात्री का चौथा दिन | ऑरेंज | क़ुषमांडा |
नवरात्री का पांचवा दिन | सफेद | स्कंदमाता |
नवरात्री का छठवाँ दिन | लाल | कात्यायनी |
नवरात्री का सातवाँ दिन | नीला | कालरात्रि |
नवरात्री का आठवाँ दिन | गुलाबी | महागौरी |
नवरात्री का नौवां दिन | बैंगनी | सिद्धिदात्री |
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