भारत में अक्षय तृतीया त्योहार का विशेष महत्व है तथा यह त्योहार प्रत्येक वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है तथा इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन ही त्रेता और सतयुग का आरम्भ हुआ था इसलिए इस दिन को बेहद ही शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया को आखा तीज तथा युगादि तिथि के नाम से भी जाना जाता है।
भारत में अक्षय तृतीया का त्योहार विशेषकर हिन्दू एवं जैन धर्म के लोग मनाते हैं तथा अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी और दान-पुण्य का विशेष महत्व है तथा मान्यता यह भी है कि इस दिन सोने की ख़रीदारी, गंगा स्नान, दान-पुण, गृह प्रवेश एवं अन्य शुभ कार्य करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
2025 में अक्षय तृतीया कब है?
2025 में अक्षय तृतीया का पर्व 30 अप्रैल, दिन- बुधवार को पूरे भारत में मनाया जायेगा। अक्षय तृतीया के दिन को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है तथा इस दिन मंगल और शुभ कार्य करने से हमें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
साल | अक्षय तृतीया का दिन | |
2022 | 3 मई, मंगलवार | |
2023 | 22 अप्रैल, शनिवार | |
2024 | 10 मई, शुक्रवार | |
2025 | 30 अप्रैल, बुधवार | |
2026 | 19 अप्रैल, रविवार |
अक्षय तृतीया का त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है तथा यह त्योहार धन, समृद्धि और खुशियों का प्रतीक माना जाता है। अक्षय तृतीया को आखा तीज के रूप में भी जाना जाता है तथा इस दिन कई लोग इस त्योहार को अक्षय तीज के रूप में भी मनाते है।
अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त:
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया पर्व का विशेष महत्व है तथा अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त 29 अप्रैल को शाम 5 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और इनका समापन 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर होगी।
अक्षय तृतीया कब है? | 30 अप्रैल, 2025 दिन-बुधवार |
अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त | 29 अप्रैल, मंगलवार को शाम 05 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर ख़त्म होगी |
अक्षय तृतीया के दिन ख़रीदारी | सोने-चाँदी का आभूषण, बर्तन या फिर कोई भी धातु का सामान खरीदना शुभ माना जाता है। |
अक्षय तृतीया के दिन | महर्षि वेद व्यास जी ने भगवान गणपति के साथ महाभारत लिखना शुरू किया था, इस दिन से चार धाम की यात्रा की शुरूआत होती है और बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलते है और इसी दिन वृंदावन में बांके बिहारी के चरणों का दर्शन किया जाता है। |
अक्षय तृतीया के दिन किये गये शुभ कार्य से | हमें धन-वैभव तथा सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। |
अक्षय तृतीया का अर्थ (Meaning of Akshaya Tritiya)
अक्षय का अर्थ है- कभी नष्ट या क्षय नहीं होना अर्थात् यह एक ऐसी तिथि है जो कभी भी ख़त्म नहीं हो सकता है। जबकि तृतीया वैशाख के तीसरे चंद्र दिवस को कहा जाता है तथा इस दिन सोने से बने गहने और सोने के सिक्के खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है: अक्षय तृतीया से जुड़ी कथा
अक्षय तृतीया को नई शुरुआत, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। अक्षय तृतीया से जुड़ी कई कहानियाँ प्रचलित हैं जो लोक कथाओं का हिस्सा है :
1- अक्षय तृतीया पर त्रेता युग का आरंभ:
अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु ने नारायण का अवतार लिये थे और इसी दिन ही त्रेता और सत युग का आरम्भ हुआ था जो सभी युगो में सबसे अच्छा युग माना जाता है, जिसके कारण इस दिन को युगादि तिथि भी कहा जाता है तथा इस युग में पाप और छल न के बराबर हुआ करता था, जिस कारण इस युग में रहने वाले लोगों की आयु तथा कद बहुत ही लम्बी हुआ करती थी और इस तरह त्रेता युग की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था।
2- अक्षय तृतीया के दिन हुआ था भगवान परशुराम का जन्म:
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। यह वह दिन है जब इन्होंने कठोर तपस्या करने के बाद भगवान शिव से अपना दिव्य फरसा अर्थात् परशु प्राप्त किया था। अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था, तथा मान्यता है कि भगवान परशुराम अमर है और वह आज भी धरती पर जीवित है तथा भगवान परशुराम को आठ चिरंजीवियों में से एक माना जाता है।
3- अक्षय तृतीया के दिन गंगा नदी का अवतरण:
एक अन्य किंवदंती यह भी है कि इस दिन गंगा नदी, स्वर्ग से धरती पर उतरी थी, इसलिए इस दिन गंगा नदी में स्नान करना अत्यधिक शुभ और पवित्र माना जाता है तथा अक्षय तृतीया के दिन लोग पवित्र गंगा नदी में स्नान कर दान-पुण करते हैं।
4- अक्षय तृतीया पर सुदामा का श्री कृष्ण से मुलाक़ात:
अक्षय तृतीया की सबसे प्रचलित कहानी कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की कहानी है। सुदामा, भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त थे एवं वे बचपन में एक दूसरे के संग खेला करते थे। बाद में कृष्ण बड़े होकर द्वारिका का राजा बन गया पर सुदामा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तथा इस दौरान सुदामा की पत्नी ने सुदामा को यह सुझाव दिया कि वह कृष्ण से आर्थिक मदद लें।
सुदामा को यह मंज़ूर नहीं था कि धन के लिए कृष्ण की मदद ली जाए। लेकिन अंततः सुदामा, कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका जाने के लिए सहमत हो गए। जब सुदामा द्वारिका पहुंचे, तो वे कृष्ण के भव्य महल को देखकर दंग रह गए। फिर भी, उन्होंने कृष्ण से प्रेमपूर्वक मुलाकात किए एवं उपहार के रूप में उसे चावल की पोटली दिए।
हालांकि, कृष्ण ने सुदामा का खुले हाथों से स्वागत किया। कृष्ण को मालूम था कि सुदामा मदद मांगने में संकोच करते हैं। इस तरह दोनो एक साथ भोजन ग्रहण किए और आपस में बात-चित कर समय बिताए तथा कुछ समय बाद सुदामा अपने प्रिय मित्र कृष्ण से बिना कुछ कहे तथा बिना कुछ मांगे अपने घर लौट आए और जब सुदामा अपने गाँव पहुँचे, तो वे अपनी झोपड़ी को एक शानदार महल में तब्दील पाकर चकित रह गए। उनका परिवार शाही पोशाक पहन कर उनका इंतज़ार कर रहे थे।
तभी सुदामा को एहसास हुआ कि यह कृष्ण का ही चमत्कार है। कृष्ण ने उन्हें बिना मांगे ही धन और समृद्धि का आशीर्वाद दिया है इस तरह अक्षय तृतीया का यह त्योहार शाश्वत समृद्धि और मित्रता का प्रतीक माना जाता है।
5- अक्षय तृतीया पर युधिष्ठिर को मिला था अक्षय पात्र:
यह भी कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर को भगवान कृष्ण से एक अक्षय पात्र मिला था। अक्षय पात्र यानि ऐसा बर्तन जिसमें कभी भोजन ख़त्म नहीं होता, चाहे जितना भी भोजन उसमें से खा लो। यह कभी भी खाली नहीं होता। कृष्ण ने पांडवों को इसीलिए अक्षय पात्र का दान दिया था कि वे अपने वनवास के दौरान कभी भूखे न रहें।
6- अक्षय तृतीया के दिन कुबेर को मिला था धनपति होने का आशीर्वाद :
ऐसा माना जाता है कि देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर ने अक्षय तृतीया के दिन ही माता देवी लक्ष्मी से प्रार्थना की और इस तरह माता लक्ष्मी भगवान कुबेर को धन और समृद्धि प्रदान कर, उन्हें देवताओं में सबसे धनी देवता बना दिया और तभी से ही अक्षय तृतीया के दिन को शुभता का प्रतीक माना जाने लगा।
अक्षय तृतीया के दिन क्या करना चाहिए:
- अक्षय तृतीया के दिन बिना पंचांग देखे शुभ कार्य किया जा सकता है।
- अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की उपासना की जाती है।
- अक्षय तृतीया के दिन सोना-चाँदी तथा गहने ख़रीदना काफी शुभ माना जाता है तथा इस दिन गृह प्रवेश, पूजा-पाठ, होम करना और वाहन खरीदना भी काफी शुभ होता है।
- अक्षय तृतीया के दिन दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है तथा इस दिन जरुरतमंदो को भोजन तथा वस्त्र दान करना अति शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया पूजा विधि:
अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है तथा इस दिन सुबह उठकर प्रातः स्नान कर साफ तथा स्वच्छ कपड़े धारण करे, उसके बाद भगवान का संकल्प लेते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करे।
उसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल तथा माला अर्पित कर उनको भोग लगायें तथा उसके बाद भगवान विष्णु को दीप तथा अगरबत्ती दिखायें तथा विष्णु चालीसा का पाठ करे और अंत में भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना कर उनका आशीर्वाद ले। अक्षय तृतीया के दिन यह कार्य करने से हमारे घरों में धन-दौलत तथा सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया पर क्या खरीदना चाहिए:
- अक्षय तृतीया के दिन ख़रीदारी करना काफी शुभ माना जाता है तथा इस दिन स्टील के बर्तन, मिट्टी का घड़ा एवं शंख खरीदना काफी शुभ होता है।
- अक्षय तृतीया के दिन रसोई में ख़रीदने के लिये पीली सरसों तथा गोटा धनिया खरीदना बेहद ही लाभकारी माना जाता है,
- इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन सोने और चाँदी का आभूषण खरीदना और इन आभूषण को घर लाना अत्यंत शुभ माना जाता है। खास कर इस दिन हमें काले रंग की बनी धातु और काले कपड़े ख़रीदने से हमें बचना चाहिये।
अक्षय तृतीया पर क्या दान करना चाहिए?
अक्षय तृतीया के दिन, दान का विशेष महत्व होता है इस दिन ग़रीबों को भोजन तथा कपड़े दान करने से वर्ष भर सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन सत्तू, गेहूं तथा जौ दान करना बेहद ही लाभकारी होता है। अक्षय तृतीया के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनो उच्च राशि में स्थित होते है, जिससे इस दिन दान-दक्षिणा से वर्ष भर धन-दौलत की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया का महत्व:
अक्षय तृतीया का महत्व अनेक कारणों से है। अक्षय तृतीया के दिन को प्राचीन समय से ही धन और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। इस दिन विवाह, नए कारोबार की शुरुआत, धन की वृद्धि के लिए निवेश और धार्मिक कार्यों को प्रारंभ करने का शुभ मुहूर्त माना जाता है।
इस दिन विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा और अर्चना की जाती है। खास कर माता लक्ष्मी की पूजा धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए की जाती है। अक्षय तृतीया जैसे शुभ दिन को लेकर यह मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर माँ गंगा का धरती पर आगमन हुआ था, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है तथा इस दिन गंगा स्नान करने से लोगों को पापों से मुक्ति मिलती है।
कहा जाता है कि
वैशाख के समान कोई मास नही, सत्ययुग के समान कोई युग नही, वेद के समान कोई शास्त्र नही, और गंगा जी के समान कोई तीर्थ नही है, उसी तरह अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नही है।
हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व है तथा इस दिन बद्रीनाथ के कपाट खुलते है। अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनाथ के कपाट खुलने से सैलानी भगवान भोले की दर्शन करने के लिए बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर जाते है तथा इस शुभ अवसर पर बद्रीनाथ धाम को 20 क्विंटल फूलो से सजाया जाता है और इस दौरान भोले नाथ के दर्शन के लिए काफी भीड़ उमड़ती है।
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