हिन्दू धर्म में शारदीय नवरात्रि त्योहार का विशेष महत्व है तथा शारदीय नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा- उपासना की जाती है। तो आइए जानते है साल 2025 में शारदीय नवरात्रि की सप्तमी, महा अष्टमी व नवमी तिथि किस दिन है?
शारदीय नवरात्रि कब से शुरू है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होती है। साल 2025 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर से शुरू होने जा रही है तथा नवरात्रि के पहले दिन की शुरुआत घट स्थापना के साथ किया जाता है। इस साल नवरात्रि नौ दिन के बजाय दस दिन होने वाले है। ऐसे में श्रद्धालु पूरे दस दिनों तक माँ दुर्गा की प्रतिमा की पूजा-उपासना करेंगे। नवरात्रि में प्रत्येक तिथि का अपना अलग महत्व होता है और हर दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि में माँ दुर्गा के साथ-साथ कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है।
नवरात्रि की सप्तमी तिथि:
इस साल शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि 29 सितंबर दिन सोमवार को है। सप्तमी तिथि पर माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। सप्तमी तिथि को नवरात्रि का “हृदय दिवस” कहा जाता है, क्योंकि यह दिन साधक की साधना को शक्ति और दिशा देता है। इस दिन मां कालरात्रि की आराधना करने से जीवन में आ रहे हर प्रकार का बाधा, रोग और भय का नाश होता है।
मां कालरात्रि का स्वरूप
सप्तमी तिथि पर मां कालरात्रि को नवदुर्गा का सातवां रूप माना गया है। उनका स्वरूप अत्यंत भव्य और अद्भुत है।
- मां का रंग काला है, जिससे उनका नाम “कालरात्रि” पड़ा।
- उनके बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत के समान चमकने वाली माला है।
- मां के तीन नेत्र हैं, जो ब्रह्मांड में अग्नि के समान प्रकाशमान रहते हैं।
- मां के चार हाथ हैं, जिनमें से एक हाथ में वज्र, दूसरे में तलवार है, जबकि दो हाथ अभय और वरमुद्रा में हैं।
- मां कालरात्रि का वाहन गधा (गर्दभ) है।

मां कालरात्रि का यह स्वरूप दुष्टों के लिए विनाशकारी और भक्तों के लिए कल्याणकारी है। वे असुरों का संहार करती हैं और अपने भक्तों को हर प्रकार के संकट से बचाती हैं, इसलिए मां कालरात्रि को ‘मोक्षदायिनी’ भी कहा जाता है।
नवरात्रि की अष्टमी तिथि:
शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि 30 सितंबर दिन- मंगलवार को है। इस दिन को दुर्गा अष्टमी तथा महा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। महा अष्टमी के इस खास अवसर पर माँ दुर्गा के आठवाँ स्वरूप माँ महागौरी की पूजा की जाती है। महाष्टमी को नवरात्रि का सबसे शुभ और पवित्र दिन माना जाता है, क्योंकि महाअष्टमी के दिन ही “संधि पूजा” की जाती है।
मान्यता है कि महाअष्टमी के दिन माँ दुर्गा की साधना और पूजा से भक्तों को अपार शक्ति, सौभाग्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। शारदीय नवरात्रि के दौरान महाष्टमी का विशेष महत्व है तथा भक्त नवरात्रि का उपवास विशेष रूप से इसी दिन व्रत-पूजन करके पूर्ण करते हैं।
मां महागौरी का स्वरूप
शारदीय नवरात्रि जैसे शुभ अवसर में अष्टमी तिथि पर पूजित मां महागौरी का स्वरूप अत्यंत शांत, कोमल और दिव्य है।
- इनका स्वरूप श्वेत (सफेद) है, इसलिए इन्हें “महागौरी” कहा जाता है।
- इनके चार हाथ हैं।
- एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू है और शेष दो हाथ अभय तथा वरमुद्रा में हैं।
- इनका वाहन बैल (नंदी) है।
- मां महागौरी श्वेत वस्त्र धारण कर अत्यंत ज्योतिर्मय प्रतीत होती हैं।

मान्यता है कि काफी कठोर तपस्या के कारण मां पार्वती का शरीर काला हो गया था। इस तरह भगवान शिव की कृपा से जब उन्हें गंगा स्नान का वरदान प्राप्त हुआ तो उनका शरीर गौर अर्थात श्वेत हो गया। तभी से माँ के इस स्वरूप का नाम महागौरी पड़ा।
महाष्टमी और कन्या पूजन
महाष्टमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति में कन्याओं को देवी का स्वरूप माना गया है।
- अष्टमी के दिन नौ छोटी कन्याओं को घर बुलाकर उनका पूजन किया जाता है।
- उनके चरण धोकर उन्हें सम्मानपूर्वक बैठाया जाता है।
- उसके बाद कन्याओं के सर पर तिलक लगाकर उन्हे चुनरी पहनाया जाता है।
- सभी कन्याओं को हलवा, पूरी, चना आदि भोजन कराकर उपहार तथा दक्षिणा दिया जाता है।
नवरात्रि की नवमी तिथि:
शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि को “महानवमी” कहा जाता है। इस साल महा नवमी 01 अक्टूबर दिन-बुधवार को है। महा नवमी के दिन माँ दुर्गा के नौवें रूप माँ सिद्धिदात्री की पूजा उपासना की जाती है तथा मां सिद्धिदात्री को “सिद्धियों की देवी” कहा जाता है। इस तरह नवमी को नवरात्रि का अंतिम दिन माना जाता है।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
नवरात्रि की नवमी तिथि पर पूजित मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और कल्याणकारी है।

- मां के चार हाथ हैं – एक हाथ में चक्र, दूसरे में शंख, तीसरे में गदा और चौथे में कमल है।
- मां सिद्धिदात्री श्वेत कमल पर विराजमान रहती हैं।
- मां सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है तथा माँ का स्वरूप शांत, सौम्य और आनंददायी है।
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