भारतीय संस्कृति में देवताओं का विशेष महत्व है। तो ऐसे में निर्माण, वास्तु और शिल्प कला के देवता माने जाते हैं भगवान विश्वकर्मा। भारतीय संस्कृति में कर्म को पूजा माना गया है तथा विश्वकर्मा पूजा उसी भावना का विस्तार है — “काम ही पूजा है”
कन्या संक्रांति के दिन ही भगवान विश्वकर्मा का अवतरण हुआ इसलिए प्रत्येक वर्ष कन्या संक्रांति के दिन पूरे भारत में विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की विधि-विधान और श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से साधक को आर्थिक उन्नति का आशीर्वाद प्राप्त होता है और साथ ही साथ कार्य क्षेत्र में आ रही बाधा से भी मुक्ति मिलती है। विश्वकर्मा पूजा का यह पर्व न सिर्फ आस्था से जुड़ी हुई है बल्कि लोगों की मेहनत और कौशल को सम्मान देने का प्रतीक भी है।
2025 में विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त:(Vishwakarma Puja Kab Hai)
विश्वकर्मा पूजा प्रत्येक वर्ष 17 सितंबर को मनाई जाती है तथा साल 2025 में विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर दिन- बुधवार को मनाया जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 15 से लेकर, दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। विश्वकर्मा पूजा का यह त्योहार बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्यों में धूम-धाम से मनाया जाता है तथा इस खास अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की विधि-पूर्वक पूजा की जाती है।
भगवान विश्वकर्मा की उत्पति कैसे हुई:
भगवान ब्रह्मा का सांतवा संतान विश्वकर्मा को माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार विश्वकर्मा ने भगवान श्री कृष्ण के लिए द्वारका नागरी का निर्माण किया इसके अलावा जगत के पालन हार भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्, पुष्पक विमान, रावण का स्वर्ण लंका और भगवान शिव के लिए त्रिशुल जैसे शस्त्र का निर्माण किए।

भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का प्रथम इंजीनियर और शिल्पकार कहा जाता है तथा इन्हें वास्तुशास्त्र, यंत्र निर्माण, धातुकर्म, शिल्पकला और यांत्रिक ज्ञान के अधिष्ठाता देवता माने जाते हैं। साथ ही साथ विश्वकर्मा पूजा का यह पर्व हमें सृजनात्मकता, श्रम और नवाचार के मूल्यों से जोड़ता है।
विश्वकर्मा पूजा की तैयारी:
विश्वकर्मा पूजा की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। पूजा के आगमन से पहले ही लोग अपने औजारों, मशीनों, वाहनों, यंत्रों, उपकरणों और कार्यस्थलों की सफाई करते हैं और मूर्ति को स्थापित करने के लिए पंडालों को फूलों तथा रिबन से सजाते हैं। इस दौरान पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित की जाती है।
विश्वकर्मा पूजा का यह दिन खासकर कारखानों, कार्यशालाओं, औद्योगिक संस्थानों, इंजीनियरिंग कॉलेजों, दफ्तरों और तकनीकी संस्थानों में अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है तथा यह पर्व उन सभी लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है जो किसी भी रूप में निर्माण, तकनीक, यांत्रिकी या कारीगरी से जुड़े हुए हैं।
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