Hartalika Teej Katha: हरतालिका तीज भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। लगभग 12 वर्षों तक कठिन तपस्या करने के बाद माता पार्वती ने भगवान शंकर को वर के रूप में प्राप्त की थी और तभी से इस दिन को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाने लगा।
हरतालिका तीज प्रत्येक वर्ष भाद्र पद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया जाता है तथा इस वर्ष 26 अगस्त यानि आज हरतालिका तीज मनाई जा रही है। वैवाहिक जीवन खुशहाल से व्यतीत हो इसलिए महिला इस दिन निर्जला व्रत रखती है और साथ ही साथ मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाकर विधि-विधान से पूजा करती है तथा पूजा सम्पन्न होने के बाद सभी महिला आपस में बैठकर हरतालिका तीज व्रत कथा का पाठ जरूर सुनती है।
हरतालिका तीज व्रत कथा:(Hartalika Teej Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती, भगवान शिव को पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। तपस्या के दौरान माता पार्वती केवल सूखे पत्तों का सेवन कर तप में लिन रहती थी, इतना ही नहीं माघ मास में जल में निवास कर तथा वैशाख मास में पंचधूनी में जाकर कठिन तपस्या करती थी। यह सब देख पार्वती के पिता हिमालय को बहुत ही कष्ट होता था
ऐसे में देवर्षी नारद ने माता पार्वती की विवाह के लिए भगवान विष्णु का प्रस्ताव लेकर आए तथा यह प्रस्ताव हिमालय को मंजूर हुआ और पुत्री पार्वती का विवाह भगवान विष्णु के साथ करवाने के लिए राजी हो गए, लेकिन जैसे ही यह बात पार्वती और उनकी सखी को पता चला तो सखी ने माता पार्वती को वन में ले गई तथा वन में रहकर ही माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की आराधना करने लगी तथा इस दौरान वन में इनकी तपस्या को भंग करने वाला कोई नहीं था।
माता पार्वती की भक्ति से भगवाना शिव प्रसन्न हुए और माता पार्वती के समक्ष वन में प्रकट हुए और साथ ही साथ माता पार्वती को पत्नी अर्थात अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किए, तभी से भाद्र के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर हरतालिका तीज का व्रत रखा जाने लगा।
क्यों रखा जाता है हरतालिका तीज का व्रत?
सुहागन महिलाएं तथा कुंवारी कन्या मनचाहा वर की प्राप्ति के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती है। साथ ही व्रत के दौरान सुहागन महिला सोलह श्रृंगार कर माता पार्वती और भगवान शिव की विधिवत पूजा करती है। जिससे उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल से व्यतीत हो और दांपत्य जीवन सुखमय हो।

कब है हरतालिका तीज?
हिंदू पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त, 2025 दिन-मंगलवार को रखा जाएगा। इस वर्ष भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी और 26 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी।
हरतालिका तीज की पूजन विधि:
- हरतालिका तीज के दिन नहा-धोकर, साफ और स्वच्छ कपड़े धारण कर व्रत का संकल्प लेते हुए पूजा की शुरुआत करे।
- हरतालिका तीज के दिन मिट्टी या फिर रेत से बने गौरा-पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
- भगवान शिव को गंगा जल, दूध, दही, शहद, अक्षत, रोली, चन्दन, बेलपत्र अर्पित करे तथा माता पार्वती को वस्त्र, सिंदूर और सोलह श्रृंगार की सभी चीजें अर्पित करे।
- पूजा के बाद सभी महिला आपस में मिलकर हरतालिका तीज व्रत कथा जरूर सुने।
- अंत में भगवान शिव तथा माता पार्वती के समक्ष घी का दीपक जलाए और साथ ही साथ कपूर से इनकी आरती करे।
- हरतालिका तीज व्रत के दौरान आठ प्रहर की पूजा का विधान है। ऐसे में दिन में तो बिलकुल न सोए और संभव हो तो रात्रि में भी जागकर भगवान शिव और माता पार्वती के मंत्रों का जाप करे।
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