कोलकाता के नैहाटी शहर में स्थित माँ काली की प्रतिमा के रूप में बोरो माँ की मंदिर स्थापित है
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देवी काली के रूप में बोरो माँ का स्वरूप काफ़ी भव्य तथा सौंदर्य है।
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बोरो माँ की मूर्ति को दक्षिणा काली के रूप में पूजा जाता है इसलिए बोरो माँ की मंदिर में पशु बलि नहीं दिया जाता है।
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बोरो माँ के दर्शन के लिए प्रत्येक दिन श्रद्धलुओं की काफी भिड़ उमड़ती है। खास कर सप्ताह के दो दिन मंगलवार तथा शनिवार को बोरो माँ की रौनक़ देखते ही बनती है.
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काली पूजा के दौरान माँ काली की प्रतिमा को 200 भरी चाँदी तथा 100 किलो सोने के गहनों से सजाया जाता है
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सोने के आभूषण से सजी माँ काली की प्रतिमा काफी अलौकिक प्रतीत होती है तथा इनका गहरा काला रंग, लम्बे खुले बाल, चौड़ी आँखें, पैरों में पहने हुए चाँदी का पायल तथा आभूषण से सजा इनका शरीर माँ काली की दिव्यता को दर्शाता है
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माँ काली के गहनों में माँगटिका, नथ, पायल, गले का हार, कंगन होता है और इसके साथ-साथ माँ काली का जीभ, इनका नेत्र तथा भगवान शिव की आँखें सोने के आभूषण से बनाया जाता है।
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श्रद्धालु माँ काली की पूजा करते है और मनोकामना पूरी हो जाने पर भक्तजन दंडी प्रदर्शन करते है और साथ ही साथ बोरो माँ को चढ़ावे के लिए सोने तथा चाँदी का आभूषण बनवाते है।
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साल 2014 में मंदिर का नाम बोरो माँ रखा गया तथा माँ काली की मूर्ति अधिक ऊँचाई पर होने के कारण माँ का नाम बोरो माँ पड़ा।
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बोरो माँ की मंदिर सुबह 5:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे तक खुली रहती है तथा जब आप चाहे बोरो माँ के दर्शन के लिए यहाँ आ सकते है।
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