हिंदू धर्म में चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व है तथा चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा-उपासना की जाती है। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से हमें मनचाहा वरदान प्राप्त होता है और साथ ही साथ हमें भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इस तरह चैत्र पूर्णिमा को चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र पूर्णिमा को वर्ष की प्रथम पूर्णिमा माना जाता है। चैत्र पूर्णिमा के पावन दिन पर ही हनुमान जयंती का त्योहार पूरे भारत में हर्षों उल्लास के साथ मनाया जाता है तथा इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था इस तरह चैत्र पूर्णिमा का यह दिन हनुमान जी के जन्म के वर्ष गाँठ के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। अर्थात् चैत्र पूर्णिमा के दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाई जाती है।
चैत्र पूर्णिमा कब है?(Chaitra Purnima 2025)
साल 2025 में चैत्र पूर्णिमा का व्रत 12 अप्रैल, दिन-शनिवार को रखा जाएगा तथा चैत्र पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
चैत्र पूर्णिमा तिथि आरंभ: 12 अप्रैल, सुबह 03:21 बजे।
चैत्र पूर्णिमा तिथि समाप्त: 13 अप्रैल, सुबह 05:51 बजे।
चैत्र पूर्णिमा की पूजन विधि:
- चैत्र पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान जरुर करे,
- गंगा स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करे तथा भगवान विष्णु को पुष्प माला, रोली, चंदन, सुपारी तथा अक्षत अर्पित करे, उसके बाद भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाए।
- धूप तथा अगरबत्ती दिखाते हुए भगवान विष्णु को कपूर से आरती करे। चैत्र पूर्णिमा के दिन संध्या के समय तुलसी माता के सामने घी का दीपक जलाए।
- चैत्र पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को कच्चा दूध से अर्ध्य दे और उसके बाद व्रत का पारण करे।
- चैत्र पूर्णिमा के दिन ग़रीबों तथा जरुरतमंदों के बीच दान-पुण्य अवश्य करे, ऐसा करने से हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
चैत्र पूर्णिमा का महत्व:
चैत्र नवरात्री:
हिंदू धर्म में चैत्र महीना को बहुत ही पवित्र तथा पावन माना जाता है। यह महीना माँ दुर्गा को समर्पित है। चैत्र माह के इस पावन अवसर पर चैत्र नवरात्री की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्री के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है और साथ ही साथ चैत्र नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक व्रत रखा जाता है तथा इस दौरान माता रानी की भी पूजा की जाती है।
चैत्री छठ:
चैत्र के इस पावन महीनें में चैत्री छठ किया जाता है। चैत्री छठ बिहार, उत्तराखंड तथा झारखंड जैसे राज्यों में इस पर्व की धूम सबसे अधिक देखने को मिलती है। चैत्री छठ के इस पावन पर्व पर नहाय खाय, खरना, संध्या अर्ध्य तथा उषा अर्ध्य जैसे अनुष्ठान किए जाते है। इस तरह व्रती पूरे 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखती है।
गंगा स्नान:
चैत्र पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करना बेहद ही शुभ माना जाता है तथा इस दिन गंगा स्नान करने से हमें पापों से मुक्ति मिलती है और साथ ही साथ हमें पुण्यदायी फल की प्राप्ति होती है।
सत्यनारायण पूजा:
चैत्र पूर्णिमा के दिन कई साधक अपने घरों में सत्यनारायण पूजा रखते है तथा सत्यनारायण पूजा के दौरान भगवान विष्णु की पूजा-उपासना की जाती है। उसके बाद सत्यनारायण कथा का पाठ किया जाता है।
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